चंद्रिका टंडन ने 71 साल की उम्र में जीता ग्रैमी अवॉर्ड

भारतीय-अमेरिकन सिंगर चंद्रिका टंडन ने 71 साल की उम्र में ग्रैमी अवॉर्ड जीता है, और यह उनकी जीवन यात्रा का सबसे बड़ा मील पत्थर है। उनके जीवन में सफलता की कहानी एक प्रेरणा बन गई है, खासकर उन लोगों के लिए जो यह सोचते हैं कि किसी भी उम्र में सपनों को पूरा करना संभव नहीं है।
चंद्रिका का संगीत के प्रति प्यार
चंद्रिका टंडन का संगीत के प्रति प्यार बचपन से था, लेकिन उन्होंने अपने इस पैशन को गंभीरता से अपनाने में काफी समय लिया। करीब 45 साल की उम्र तक वह संगीत को अपनी प्राथमिकता नहीं बना पाई थीं। लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि जीवन में कुछ बड़ा करना है, तो उन्होंने संगीत की दुनिया में कदम रखा।
व्यवसाय और शिक्षा की दुनिया में सफलता
चंद्रिका टंडन केवल संगीत के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि व्यवसाय और शिक्षा के क्षेत्र में भी अविस्मरणीय काम कर चुकी हैं। वह मैकेंजी एंड कंपनी की पहली भारतीय महिला पार्टनर थीं और अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटीज में तकनीकी शिक्षा में बदलाव लाने में योगदान दिया। इसके अलावा, उन्होंने अपनी खुद की मल्टी-मिलियन-डॉलर कंपनी भी शुरू की।
भूख हड़ताल से शुरू हुआ चंद्रिका का सफर
चंद्रिका टंडन का जीवन एक भूख हड़ताल से बदल गया। जब वह अपने घरवालों के खिलाफ जाकर मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लेने के लिए भूख हड़ताल पर बैठी, तब उनके जीवन ने एक नई दिशा ली। इस संघर्ष के बाद ही उन्होंने आगे बढ़ने का फैसला किया और इसके बाद आई.आई.एम. अहमदाबाद में दाखिला लिया।
चंद्रिका की संगीत वापसी और ग्रैमी अवॉर्ड
अपने करियर के व्यस्त दिनों में चंद्रिका ने संगीत को एक साइड हबी माना, लेकिन एक समय के बाद जब उन्होंने आत्ममंथन किया तो उन्होंने अपने संगीत को फिर से सीरियसली लेना शुरू किया। उन्होंने हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत को अपने एल्बम्स में शामिल किया, और इस सफर का परिणाम 2023 में आया जब उनके एल्बम ‘त्रिवेणी’ को ग्रैमी अवॉर्ड मिला।
चंद्रिका का योगदान और ग्रैमी अवॉर्ड की प्राप्ति
चंद्रिका टंडन के लिए यह अवॉर्ड सिर्फ एक पुरस्कार नहीं था, बल्कि यह उनके जीवन के हर पहलू में किए गए संघर्ष और समर्पण का प्रतीक था। ‘त्रिवेणी’ एल्बम को साउथ अफ्रीका के बांसुरी वादक वाउटर केलरमैन और जापानी-अमेरिकन सेलिस्ट एरु मात्सुमोतो के साथ कोलैबोरेशन में बनाया गया था, जिसे ग्रैमी अवॉर्ड की ‘बेस्ट न्यू एज, एम्बिएंट ऑर चान्ट एल्बम’ कैटेगरी में सम्मानित किया गया।
चंद्रिका टंडन की कहानी यह साबित करती है कि उम्र कभी भी किसी को अपने सपनों को पूरा करने से रोक नहीं सकती। 71 साल की उम्र में ग्रैमी अवॉर्ड जीतकर उन्होंने यह दिखाया कि कभी भी नए रास्ते अपनाए जा सकते हैं। उनकी यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन में सफलता पाने के लिए कभी भी देर नहीं होती।
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