जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता ने रैगिंग की घटनाओं को रोकने और एक सुरक्षित शैक्षणिक वातावरण बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब विश्वविद्यालय ने रैगिंग में दोषी पाए गए छात्रों की मार्कशीट रोकने का फैसला किया है। यह नीति 2023 में हुई एक गंभीर घटना के बाद लागू की गई है, जिसका उद्देश्य भविष्य में रैगिंग की घटनाओं को रोकना है।
फर्स्ट ईयर छात्र की मौत के बाद उठाया कदम
10 अगस्त, 2023 को जादवपुर विश्वविद्यालय के मुख्य छात्रावास में रैगिंग के कारण एक फर्स्ट ईयर के छात्र की मौत हो गई थी। पुलिस जांच में पाया गया कि यह घटना तीसरी मंजिल से गिरने के कारण हुई थी, जिसमें रैगिंग का मुख्य कारण बताया गया। इस दुखद घटना ने पूरे विश्वविद्यालय परिसर और देशभर में हड़कंप मचा दिया। इसके बाद से विश्वविद्यालय प्रशासन ने रैगिंग के खिलाफ कड़े कदम उठाने का फैसला किया।
एंटी-रैगिंग कमेटी का सख्त फैसला
हाल ही में हुई एंटी-रैगिंग कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि रैगिंग में शामिल छात्रों की मार्कशीट रोक दी जाएगी, भले ही वे विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई जारी रखें।
क्यों लिया गया यह फैसला?
- नौकरी पाने में बाधा: यह सुनिश्चित करने के लिए कि रैगिंग में दोषी पाए गए छात्र जादवपुर विश्वविद्यालय से बाहर जाने के बाद आसानी से नौकरी न पा सकें।
- छात्र समुदाय को संदेश: छात्रों को यह कड़ा संदेश देने के लिए कि रैगिंग जैसे कृत्य अस्वीकार्य हैं और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
32 छात्रों को मिला कारण बताओ नोटिस
रैगिंग की इस घटना के बाद, विश्वविद्यालय ने 32 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इनमें से 14 छात्रों पर POCSO अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया, और उन्हें जेल भेजा गया।
हाई कोर्ट का आदेश
हालांकि, हाई कोर्ट ने 15 अन्य छात्रों को कक्षाओं में भाग लेने और परीक्षाएं देने की अनुमति दी है। इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि इन छात्रों की मार्कशीट तभी दी जाएगी जब कोर्ट अंतिम फैसला सुनाएगा।
रैगिंग में शामिल छात्रों पर प्रभाव
मार्कशीट रोकने के परिणाम
- शिक्षा पर प्रभाव: छात्रों को उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने में कठिनाई होगी।
- नौकरी के अवसरों पर रोक: मार्कशीट के अभाव में वे कैंपस इंटरव्यू या किसी अन्य नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे।
रैगिंग: एक गंभीर समस्या
रैगिंग केवल छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करती, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक समस्या भी है। जादवपुर विश्वविद्यालय की इस सख्त नीति का उद्देश्य ऐसी घटनाओं को रोकना है।
रैगिंग के प्रभाव
- मानसिक आघात: रैगिंग से पीड़ित छात्र डिप्रेशन और अन्य मानसिक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।
- शारीरिक नुकसान: कई बार रैगिंग के कारण गंभीर शारीरिक चोटें भी हो जाती हैं।
रैगिंग रोकने के उपाय
- सख्त कानून: रैगिंग के खिलाफ सख्त कानूनी प्रावधान लागू करना।
- एंटी-रैगिंग कमेटी: प्रत्येक विश्वविद्यालय में एक सक्रिय एंटी-रैगिंग कमेटी का गठन।
- शिक्षा और जागरूकता: छात्रों को रैगिंग के दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित करना।
जादवपुर विश्वविद्यालय के कुलपति का बयान
जादवपुर विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति भास्कर गुप्ता ने इस नीति को लेकर कहा, “जादवपुर विश्वविद्यालय की एंटी-रैगिंग कमेटी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रैगिंग में शामिल और दोषी पाए गए छात्रों की मार्कशीट रोक दी जाएगी। कोर्ट ने उन्हें क्लास अटेंड करने की अनुमति दी है, लेकिन मार्कशीट तब तक नहीं दी जाएगी जब तक अंतिम आदेश नहीं आता।”
छात्र समुदाय और शिक्षकों की प्रतिक्रिया
छात्रों के विचार
छात्र समुदाय के बीच इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कई छात्रों का मानना है कि यह एक सख्त लेकिन जरूरी कदम है। वहीं कुछ छात्रों का कहना है कि निर्दोष छात्रों को भी इस नीति का शिकार नहीं होना चाहिए।
शिक्षकों का समर्थन
शिक्षकों ने इस कदम का समर्थन किया है। उनका मानना है कि इससे विश्वविद्यालय परिसर में रैगिंग पर लगाम लगाई जा सकेगी और एक सुरक्षित शैक्षणिक माहौल तैयार होगा।
रैगिंग के खिलाफ कड़ा संदेश
जादवपुर विश्वविद्यालय का यह कदम रैगिंग की घटनाओं को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। दोषी छात्रों की मार्कशीट रोकने का फैसला न केवल एक कड़ा संदेश देगा, बल्कि यह भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में भी मददगार साबित होगा।
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