श्रम विभाग के अधिकारियों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन।

Geeta Chaudhary Lucknow उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम एवं रोजगार विभाग और सार्वजनिक नीति संस्थान प्रॉस्पेरिटी ने संयुक्त रूप से 27 फरवरी 2024 को रिजेन्टा सेन्ट्रल लखनऊ में श्रम विभाग के अधिकारियों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 शीर्षक से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई उल्लेखनीय प्रगति का जायजा लेना और 2027 तक वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सपने को साकार करने और भविष्य की चुनौतियों और रोडमैप पर चर्चा करना था। इस कार्यशाला का ध्यान श्रम-संबंधी नियमों पर था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने अपने संबोधन में निवेश को आकर्षित करने और बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (बीआरएपी) के तहत परिकल्पित सुधारों को शुरू करने के लिए विभागों में विभिन्न प्रयासों को अधिक गति देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से श्रम विभाग के संदर्भ में ईओडीबी और श्रम कल्याण को साथ-साथ चलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्रम विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने प्रतिभागियों को संबोधित किया और राज्य में व्यवसायों की स्थापना, संचालन और विकास को आसान बनाने में श्रम विभाग के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। श्रम आयुक्त, मार्कंडेय शाही ने प्रक्रिया सरलीकरण, डिजिटलीकरण और नियामक सुधार पहलों का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया जिसने यूपी को ईओडीबी सुधारों में अग्रणी स्थिति में ला दिया है। ऋषि अग्रवाल, सीईओ, टीमलीज सर्विसेज, विजय पिंगले, सीईओ, सीईजीआईएस, और शांतनु गुप्ता, जीवनी लेखक और भुवना आनंद, संस्थापक निदेशक, प्रोस्पेरिटी देश भर में ईओडीबी और नियामक सुधारों में विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित थे और उन्होंने श्रम नियमों में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रकाश डाला, जो कि भारत, विशेष रूप से यूपी द्वारा तय की जाने वाले सूचकों पर विस्तार से चर्चा की और विश्वास व्यक्त किया कि यूपी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधारों में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरेगा। इस कार्यक्रम में श्रम विभाग के (श्रम, बॉयलर और फैक्ट्री विंग) प्रतिनिधित्व करने वाले 40 प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने प्रमुख अधिकारियों को अब तक की उपलब्धियाँ और यूपी को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में तय की जाने वाली दूरी पर विचार करने हेतु मदद करने के उद्देश्य से ऐसी कार्यशालाओं की आवश्यकता व्यक्त की।

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