यूपी बोर्ड परीक्षा हिजाब विवाद: हिजाब हटाने की शर्त पर छात्राओं ने छोड़ा पेपर

जौनपुर: यूपी बोर्ड परीक्षा के पहले दिन जौनपुर जिले में हिजाब को लेकर विवाद खड़ा हो गया। परीक्षा केंद्र पर पहुंचीं 10 छात्राओं को हिजाब हटाने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इसका विरोध करते हुए परीक्षा छोड़ दी। इस घटना के बाद शिक्षा विभाग और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
हिजाब हटाने के निर्देश से शुरू हुआ विवाद
हाईस्कूल की परीक्षा देने आईं छात्राओं को परीक्षा केंद्र पर चेकिंग के दौरान हिजाब हटाने को कहा गया। स्कूल प्रशासन का कहना था कि पहचान सत्यापित करने के लिए चेहरा दिखाना जरूरी है। लेकिन छात्राओं ने इस नियम को मानने से इनकार कर दिया और परीक्षा में बैठने से मना कर दिया।
परीक्षा से पहले 6 छात्राओं ने घर पर ही छोड़ दिया पेपर
अभिभावकों के अनुसार, इस परीक्षा में उनके परिवार की 10 बच्चियों को शामिल होना था। लेकिन हिजाब हटाने की शर्त के चलते पहले ही 6 छात्राओं ने परीक्षा केंद्र जाने से इनकार कर दिया था। वहीं, 4 छात्राएं जब परीक्षा देने गईं, तो उन्हें भी हिजाब हटाने के निर्देश दिए गए, जिसके कारण उन्होंने भी परीक्षा छोड़ दी।
परीक्षा केंद्र पर क्या हुआ?
परीक्षा केंद्र पर बड़ी संख्या में मुस्लिम छात्राएं परीक्षा देने पहुंचीं थीं। अधिकांश छात्राओं ने प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए हिजाब हटा दिया, लेकिन कुछ छात्राओं ने इसका विरोध किया। जब उन्होंने परीक्षा में बिना हिजाब बैठने से इनकार कर दिया, तो उन्हें परीक्षा देने से रोक दिया गया।
अभिभावकों का आरोप, प्रशासन ने नहीं सुनी बात
छात्राओं के अभिभावकों ने बताया कि उन्होंने महिला शिक्षकों से जांच कराने के बाद हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति मांगी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी हिजाब हटाने के फैसले को लेकर बहस छिड़ गई है।
परीक्षा केंद्र प्रशासन का क्या कहना है?
विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि परीक्षा में कोई गड़बड़ी न हो, इसलिए छात्रों की पहचान सत्यापित करना आवश्यक है। इस कारण छात्राओं को हिजाब हटाने के लिए कहा गया। विद्यालय प्रशासन के अनुसार, कई छात्राओं ने बिना किसी आपत्ति के हिजाब हटाकर परीक्षा दी, लेकिन कुछ छात्राओं ने इसे स्वीकार नहीं किया और परीक्षा छोड़ दी।
महिला शिक्षिकाओं द्वारा की जा रही थी जांच
विद्यालय के प्रिंसिपल दिनेश गुप्ता ने स्पष्ट किया कि सभी छात्राओं की जांच महिला शिक्षिकाओं द्वारा ही की जा रही थी। परीक्षा नियमों के तहत सभी परीक्षार्थियों के चेहरे की पहचान मिलान करना आवश्यक होता है।
यूपी बोर्ड परीक्षा हिजाब विवाद पर बढ़ता तनाव
इस मामले के बाद शिक्षा विभाग पर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या छात्रों की धार्मिक आस्था का सम्मान किया जाना चाहिए था? या फिर परीक्षा केंद्र के नियमों के पालन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए? यह बहस अभी भी जारी है और इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग से स्पष्टीकरण की मांग की जा रही है।
और पढ़ें: बीकानेर में सरकारी स्कूल हादसा: वॉटर टैंक में गिरने से तीन छात्राओं की मौत, परिजनों का हंगामा