श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह कथा और सुदामा चरित्र का भावपूर्ण वर्णन

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सात दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन कथा व्यास ने श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह कथा और सुदामा चरित्र का दिव्य प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने इस पावन कथा का श्रवण कर भाव विभोर होकर भक्ति में लीन हो गए।
श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह कथा: प्रेम, विश्वास और विजय की कथा
रुक्मिणी ने भगवान श्रीकृष्ण को चुना
कथावाचक संत सर्वेश जी महाराज ने बताया कि जब रुक्मिणी ने भगवान श्रीकृष्ण को अपने हृदय समर्पित कर दिया, तब उन्होंने माता पार्वती की पूजा कर अपने मन की अभिलाषा प्रकट की। रुक्मिणी के भाई रुक्मी चाहते थे कि उनका विवाह शिशुपाल से हो, लेकिन स्वयं रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को पत्र लिखकर विवाह की इच्छा जताई।
भगवान श्रीकृष्ण ने किया रुक्मिणी हरण
जब रुक्मिणी देवी पार्वती के पूजन के लिए निकलीं, तभी भगवान श्रीकृष्ण वहां पहुंचे और उन्हें अपने रथ में बैठाकर ले गए। रुक्मी और शिशुपाल ने श्रीकृष्ण को रोकने का प्रयास किया, लेकिन श्रीकृष्ण ने सभी विरोधियों को पराजित कर दिया।
धूमधाम से हुआ श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह
भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ। इस पावन विवाह के अवसर पर इंद्रलोक से देवताओं ने पुष्प वर्षा की और पूरी द्वारका नगरी भक्ति और उल्लास से भर उठी।
सुदामा चरित्र: मित्रता की अमर कथा
सुदामा की द्वारका यात्रा
कथावाचक ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि जब सुदामा की पत्नी ने आर्थिक तंगी के कारण उन्हें भगवान श्रीकृष्ण से मिलने की सलाह दी, तो वे श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचे। वहां द्वारपालों ने उन्हें भिक्षुक समझकर रोक दिया।
भगवान श्रीकृष्ण का सुदामा प्रेम
जब भगवान श्रीकृष्ण को पता चला कि सुदामा द्वार पर खड़े हैं, तो वे दौड़ते हुए आए और अपने मित्र को गले लगा लिया। सुदामा ने श्रीकृष्ण को प्रेमपूर्वक चावल भेंट किए। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने बिना कुछ कहे ही सुदामा के घर को धन-धान्य से भर दिया।
भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु
इस भागवत कथा के समापन के अवसर पर भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे। आरती के बाद भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया और श्रीमद् भागवत कथा का विधिवत समापन हुआ।
सात दिवसीय भागवत कथा में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
इस धार्मिक आयोजन में आचार्य अरुण, अजय शुक्ल, अनुपम शास्त्री, तबला वादक सुरेश, बैंजो वादक दिनेश, पैड वादक शत्रुघ्न प्रसाद मिश्रा, आर्गन वादक सरबजीत सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।
श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह कथा और सुदामा चरित्र भक्तों को प्रेम, समर्पण और भक्ति का संदेश देते हैं। इस कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया और भक्ति की गहराइयों में डूब गए।