कार्यालय मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश सर्वोच्च न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग के मतदाता पुनरीक्षण कार्यों पर व्यक्त किया संतोष।
लखनऊ सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में आगामी आम चुनावों के लिए तैयार की गयी अंतिम मतदाता सूची में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा किए जा रहे कार्यों पर पूर्ण संतोष व्यक्त किया। कहा कि भारत निर्वाचन आयोग पर डुप्लीकेट और फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाने का कोई आधार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रस्तुत निर्वाचक नामावलियों की तैयारी सम्बंधी रिपोर्ट के आधार पर यह टिप्पणी की। ’’संविधान बचाओ ट्रस्ट’’ नामक याचिकाकर्ता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक जनहित याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता ने त्रुटिहीन मतदाता सूची तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 324 के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने हेतु हस्तक्षेप की मांग की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा कि इस मामले में आगे किसी निर्देश की आवश्यकता नहीं है और पीठ ने इस पर सुनवाई बंद कर दी। भारत निर्वाचन आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय में त्रुटिहीन निर्वाचक नामावलियों को तैयार किये जाने संबंधी संविधान बचाओ ट्रस्ट द्वारा दाखिल जनहित याचिका के जवाब में कहा कि एक विस्तृत प्रक्रिया के तहत संवैधानिक प्रावधानां और कानूनी ढांचे का पालन करते हुए शुद्ध, स्वस्थ और समावेशी निर्वाचक नामावली बनाने का प्रयास किया जाता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद-324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 तथा निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 एवं समय-समय पर जारी निर्देशों के प्रावधानों के अन्तर्गत निर्वाचक नामावली को तैयार किया जाता है। इसमें निर्वाचकों और सभी हितधारकों, राजनीतिक दलों को उचित अवसर भी प्रदान किया जाता है। विलोपन के मामलों में आपत्ति दर्ज करने तथा सुनवाई का अवसर दिया जाता है। निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण के प्रत्येक चरण में पूर्ण पारदर्शिता के साथ लोगों को निर्वाचक नामावली में प्रविष्टियों की जांच करने और दावे व आपत्ति दर्ज करने का अवसर मिलता हैं। मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को अपने बूथ लेवल एजेन्ट (बीएलए) नियुक्त करने का भी अवसर दिया जाता है।
भारत निर्वाचन आयोग प्रतिवर्ष निर्वाचक नामावली की तैयारी को लेकर विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण आयोजित करता है और पहली जनवरी को आधार तिथि मानकर निर्वाचक नामावली को अन्तिम रूप से प्रकाशित किया जाता है। इस दौरान निर्वाचक नामावली का सत्यापन और पहचान की कार्रवाई की जाती है। नामावली को लगातार अद्यतन किया जाता है और छूटे हुए मतदाताओं को जोड़ने , स्थानांतरण/डुप्लीकेट प्रविष्टियों और मृत्यु के कारण विलोपन और संशोधन का कार्य निर्वाचन प्राधिकारियों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार निर्वाचक नामावली पूरे वर्ष निरंतर अद्यतित होती रहती है। केवल चुनाव अवधि के दौरान नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से निर्वाचन पूर्ण होने तक एक संक्षिप्त अवधि के लिए निर्वाचक नामावली को अवरूद्ध कर दिया जाता है। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के दौरान अधिकारियों के प्रशिक्षण, बीएलओ द्वारा घर-घर गहन सत्यापन, विसंगतियों की पहचान, एकाधिक/स्थानांतरित/मृत निर्वाचकों का विलोपन, पते का मानकीकरण, मतदान केन्द्रों का युक्तिकरण और संशोधन, और आलेख्य निर्वाचक नामावली की तैयारी के लिए पूरकों का एकीकरण किया जाता है। निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी सभी पात्र नागरिकों से आवेदन (दावे और आपत्तियाँ ) आमंत्रित करता है। उचित प्रक्रिया के साथ, प्रविष्टियों को शामिल करने/ हटाने/सुधारने का कार्य करता है। पुनरीक्षण अवधि के दौरान ईआरओ के कार्यालय, मतदान कन्द्रों और सीईओ की बेबसाइट पर भी दावे और आपत्तियों की सूची तैयार करने के साथ प्रदर्शित भी की जाती है। सीईओ, डीईओ और ईआरओ के स्तर पर नियमित रूप से बैठकें आयोजित की जाती हैं और राजनैतिक दलों को भी इसकी जानकारी दी जाती है। राजनैतिक दलों को ड्राफ्ट और अन्तिम निर्वाचक नामावली का निःशुल्क वितरण भी किया जाता है। पर्यवेक्षक/एईआरओ/ईआरओ द्वारा पर्यवेक्षण और जाँच की जाती है। डीईओ/नामावली पर्यवेक्षक/सीईओ द्वारा सुपर चेकिंग भी की जाती है। डीएसई, पीएसई, स्थायी रूप से स्थानांतरित मामलों में और निकट रिश्तेदार/परिवार के सदस्यों से मृतक के मामले में फॉर्म-7 प्राप्त होने के बाद ही हटाया जाता है।आयोग सभी पात्र नागरिकों को निर्वाचक नामावली में अपना नाम दर्ज करने का अवसर प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास करता है। नामांकन की कम दर वाले समाज तथा हाशिए पर रहने वाले वर्गों, महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, जनजातियों आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है। युवा मतदाताओं के पंजीकरण के लिए एईआरओ की नियुक्ति के साथ केन्द्रीय व राज्यों के शैक्षिक संस्थानों के साथ सहयोग तथा व्यावसायिक संस्थानों के साथ साझेदारी की जाती है। छूटी हुई पात्र महिला नागारिकों, विशेष रूप से विवाह योग्य आयु वाली और नवविवाहितों तक पहुँचने के लिए आशा/आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता ली जाती है। इसमें सामाजिक संगठनों, श्रमिक/ औद्योगिक/वाणिज्य संघो के साथ साझेदारी की जाती है। वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, निराश्रित/ नेत्रहीन लोगों/दिव्यांगों के घर, आदिवासी छात्रावास आदि जैसे संस्थानों एवं यौनकर्मियों के लिए काम करने वाले एनजीओ/सीएसओ तक भी पहुँच बनायी जाती है। भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट तथा वोटर हेल्पलाइन ऐप के माध्यम से सूची में नाम देखने, जोड़ने, हटाने, स्थानान्तरण आदि के लिए फार्म ऑनलाइन आवेदन किये जाने की सुविधा है। मतदाता अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर से अपना ईपिक (मतदाता पहचान पत्र) डाउनलोड कर सकते हैं। निर्वाचक नामावली 2024 का वार्षिक संक्षिप्त पुनरीक्षण 01 जनवरी 2024 के आधार पर 08 फरवरी 2024 को पांच राज्यों और असम के संबंध में अंतिम प्रकाशन निर्वाचक नामावली के साथ सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण 2024 को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अंतिम रूप से प्रकाशित निर्वाचक नामावली 2024 में कुल 96,85,01,358 मतदाता हैं, जिसमें 49,70,78,791 पुरूष, 47,13,74,510 महिला मतदाता हैं तथा 48,057 ट्रांसजेन्डर, 88,24,714 दिव्यांग मतदाता, 18-19 आयुवर्ग के 1,84,00,231 तथा 20-29 आयुवर्ग के 19,72,73,255, 80 वर्ष से अधिक के 1,86,03,321, शताब्दी मतदाता (100 वर्ष से अधिक) 2,40,201 मतदाता हैं। निर्वाचक नामावली के अनुसार मतदाता जनसंख्या अनुपात 66.76 प्रतिशत है तथा जेन्डर रेशियो 948 है। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण-2024 के निर्वाचक नामावली में 2,63,88,976 नये मतदाता जोड़े गये, जिसमें कुल 1,41,27,327 महिलाएं हैं तथा कुल नए जोड़े गए मतदाताओं में 83,94,756 मतदाता 18-19 आयु वर्ग के तथा 1,16,37,452 मतदाता 20-29 आयु वर्ग के हैं। एसएसआर-2024 के दौरान 1,65,76,654 मतदाता विलोपित किये गये, जिसमें मृत 67,82,642 स्थायी रूप से स्थानांतरित/अनुपस्थित 75,11,128 तथा डुप्लीकेट मतदाता 22,05,695 हैं। इसी अवधि के दौरान वर्ष की तीन आगामी अर्हक तिथियों अर्थात् 01 अप्रैल, 01 जुलाई और 01 अक्टूबर के संदर्भ में 10,64,381 अग्रिम आवेदन भी प्राप्त हुए हैं।