“स्मॉग और प्रदूषण से हो रही है विटामिन D की कमी: जानें उपाय”

 दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में बढ़ते प्रदूषण और स्मॉग का प्रभाव न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बल्कि विटामिन D की कमी पर भी पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण और धूप की कमी के कारण विटामिन D की कमी अब एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। विटामिन D के स्तर को बनाए रखने के लिए डॉक्टरों की सलाह महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

हाइलाइट्स:

  • सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक धूप सेंकने से दूर हो सकती है विटामिन-D की कमी।
  • विटामिन-D की अधिक दवाओं का सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • कमरे और दफ्तर में अधिक समय बिताने वाले लोगों को विटामिन D की कमी हो सकती है।

विटामिन D की कमी और उसके कारण

विटामिन डी की कमी
विटामिन डी की कमी

विटामिन D की कमी शरीर के लिए गंभीर समस्या बन सकती है। यह शरीर में हड्डियों और मांसपेशियों के सही विकास के लिए आवश्यक है। शरीर में विटामिन D की कमी से हड्डियों में दर्द, कमजोरियां, और अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से विटामिन D की कमी में इजाफा हो रहा है।

स्मॉग और प्रदूषण से विटामिन D की कमी

प्रदूषण और स्मॉग
प्रदूषण और स्मॉग

प्रदूषण और स्मॉग सूर्य की किरणों को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे शरीर को आवश्यक विटामिन D प्राप्त नहीं हो पाता। दिल्ली के मोरी गेट जैसे क्षेत्रों में जहां प्रदूषण का स्तर उच्च है, वहां के लोगों में विटामिन D की कमी अधिक देखी जाती है। दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहरों में हुई रिसर्च में यह पाया गया कि जहां प्रदूषण कम था, वहां विटामिन D की कमी की समस्या कम थी, जबकि अधिक प्रदूषण वाले क्षेत्रों में यह समस्या अधिक गंभीर थी।

धूप में बैठने से कैसे बच सकती है विटामिन D की कमी?

डॉक्टरों के अनुसार, विटामिन D की कमी से बचने के लिए सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक धूप में बैठना बेहद फायदेमंद हो सकता है। इस दौरान सूर्य की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें अधिक तीव्र होती हैं, जो शरीर में विटामिन D का उत्पादन करती हैं। इसलिए, अगर आप कमरे या दफ्तर में अधिक समय बिताते हैं, तो आपको धूप में कुछ समय जरूर बिताना चाहिए।

विटामिन D की दवाओं का अधिक सेवन हो सकता है हानिकारक

विटामिन D की कमी को पूरा करने के लिए कई तरह की दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन इनका अधिक सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। कुछ डॉक्टर एक बार में 6 लाख यूनिट तक विटामिन D का इंजेक्शन लेने की सलाह देते हैं, जो बच्चों में स्टोन जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। बुजुर्गों के लिए भी ये दवाएं खतरनाक हो सकती हैं, क्योंकि इससे आस्टियोपोरोसिस की बीमारी बढ़ सकती है।

विटामिन D दवाओं के प्रकार:

  • एक्टिव विटामिन D: यह दवा सीधे शरीर में विटामिन D का स्तर बढ़ाने में मदद करती है, लेकिन स्वस्थ लोगों को इसे लेने से बचना चाहिए।
  • इनएक्टिव विटामिन D: यह दवा अधिक सुरक्षित मानी जाती है और इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए।

फ्लोराइड और विटामिन D की दवाओं का प्रभाव

विटामिन D के प्रभाव को पानी में मौजूद फ्लोराइड प्रभावित कर सकता है। कुछ क्षेत्रों में भूजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होती है, जिससे विटामिन D की दवाओं का असर कम हो जाता है। फ्लोराइड और कैल्शियम मिलकर कैल्शियम फ्लोराइड बना लेते हैं, जिससे दवाओं का असर नहीं होता। ऐसे में फ्लोराइड की मात्रा की जांच कराना महत्वपूर्ण हो सकता है।

नैनो विटामिन D दवा के खतरे

वर्तमान में नैनो विटामिन D दवाएं भी उपलब्ध हैं, जो सामान्य विटामिन D से तीन गुना अधिक महंगी होती हैं। इन दवाओं का अचानक सेवन विटामिन D का स्तर बहुत जल्दी बढ़ा सकता है, जिससे शरीर को नुकसान हो सकता है। इसीलिए इन दवाओं का प्रयोग भी डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।

विटामिन D की कमी के प्रभाव और बचाव के उपाय

विटामिन D की कमी से न केवल हड्डियों की समस्या बढ़ती है, बल्कि यह गर्भवती महिलाओं के लिए भी एक गंभीर खतरा हो सकता है। विटामिन D की कमी से बच्चों का वजन कम हो सकता है और उनका शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, डायबिटीज और अल्जाइमर जैसी बीमारियों के इलाज में विटामिन D का कोई खास फायदा नहीं होता।

विटामिन D की कमी से जुड़े जोखिम:

  • आस्टियोपोरोसिस: विटामिन D की कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।
  • कम वजन: गर्भवती महिलाओं में विटामिन D की कमी से बच्चों का वजन कम हो सकता है।
  • कमजोर इम्यून सिस्टम: विटामिन D की कमी से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।

किस उम्र से विटामिन D पर ध्यान देना चाहिए?

डॉक्टरों का कहना है कि 30 से 40 वर्ष की उम्र में ही शरीर में विटामिन D का स्तर बनाए रखना चाहिए, ताकि उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों और मांसपेशियों की समस्याओं से बचा जा सके। यह समय से पहले विटामिन D की कमी से होने वाली समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

विटामिन D की कमी एक गंभीर समस्या बन सकती है, खासकर जब हम प्रदूषण और स्मॉग के प्रभावों को नजरअंदाज करते हैं। विटामिन D के स्तर को बनाए रखने के लिए धूप में समय बिताना और डॉक्टर की सलाह पर दवाओं का सेवन करना बेहद महत्वपूर्ण है। विटामिन D की कमी से बचने के लिए नियमित रूप से सही उपायों को अपनाना चाहिए ताकि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचा जा सके।

संक्षेप में, धूप में समय बिताना, विटामिन D की दवाओं का सही तरीके से सेवन करना और प्रदूषण के प्रभावों से बचने के लिए कदम उठाना आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।

विटामिन डी की कमी से बचाव के लिए क्या करें?

विटामिन डी की कमी आजकल एक गंभीर समस्या बन चुकी है, और यह केवल धूप की कमी से नहीं, बल्कि प्रदूषण और जीवनशैली से भी जुड़ी हुई है। डॉक्टरों का मानना है कि कमरे में अधिक समय बिताने वाले लोग और प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोग विटामिन डी की कमी के शिकार हो सकते हैं। दिल्ली जैसे शहरों में जहां प्रदूषण अत्यधिक है, वहां विटामिन डी की कमी बढ़ रही है।

एम्स के डॉक्टरों के अनुसार, विटामिन डी की कमी से बचने के लिए सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच धूप में रहना सबसे प्रभावी उपाय है। विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए धूप का सेवन प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है। इसके अलावा, विटामिन डी के अतिरिक्त सप्लीमेंट्स का अत्यधिक सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

विटामिन डी की कमी के कारण

विटामिन डी की कमी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:

  • प्रदूषण: जैसे कि दिल्ली के मोरी गेट इलाके में अत्यधिक प्रदूषण, जहां लोगों में विटामिन डी की कमी अधिक पाई जाती है।
  • जीवनशैली: ऑफिस में लंबे समय तक बैठना और बाहर कम निकलना।
  • असंतुलित आहार: पर्याप्त विटामिन डी वाले आहार का सेवन न करना।

विटामिन डी के लिए डाइट और दवाइयां

विटामिन डी
विटामिन डी

विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए कई प्रकार की दवाइयाँ उपलब्ध हैं, लेकिन इनका सेवन डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए। विटामिन डी की अधिकता भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है, जैसे कि उच्च मात्रा में विटामिन डी लेने से स्टोन या अन्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

प्रदूषण से विटामिन डी पर असर

डॉक्टरों के अनुसार, प्रदूषण न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह शरीर में विटामिन डी के स्तर को भी कम कर सकता है। प्रदूषण से वातावरण में मौजूद अल्ट्रावायलेट किरणें कमजोर हो जाती हैं, जो विटामिन डी के निर्माण के लिए जरूरी हैं। इसलिए, प्रदूषण वाले इलाकों में विटामिन डी की कमी अधिक होती है।

विटामिन डी और शरीर के अन्य लाभ

 

विटामिन डी सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि यह शरीर के कई अन्य कार्यों के लिए भी आवश्यक है:

  • इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना।
  • आस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाव करना।
  • गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी से बच्चों के वजन में कमी हो सकती है, जिससे यह और भी जरूरी हो जाता है।

विटामिन डी का पर्याप्त स्तर शरीर के समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। प्रदूषण, जीवनशैली, और सही आहार के साथ विटामिन डी की कमी को दूर किया जा सकता है। विटामिन D की कमी एक गंभीर समस्या बन सकती है, खासकर जब हम प्रदूषण और स्मॉग के प्रभावों को नजरअंदाज करते हैं। विटामिन D के स्तर को बनाए रखने के लिए धूप में समय बिताना और डॉक्टर की सलाह पर दवाओं का सेवन करना बेहद महत्वपूर्ण है। विटामिन D की कमी से बचने के लिए नियमित रूप से सही उपायों को अपनाना चाहिए ताकि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचा जा सके।

संक्षेप में, धूप में समय बिताना, विटामिन D की दवाओं का सही तरीके से सेवन करना और प्रदूषण के प्रभावों से बचने के लिए कदम उठाना आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।

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