“अडाणी पर अमेरिका में मुकदमा क्यों, जबकि मामला भारत से जुड़ा है?”

अडानी समूह के खिलाफ अमेरिका में धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोपों ने एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी मामला बना दिया है। न्यूयॉर्क में 21 नवंबर को अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने, निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलने, और न्याय में बाधा डालने के आरोप लगाए गए हैं। यह मामला भारतीय सौर ऊर्जा अनुबंधों से संबंधित है, जहां अडानी समूह पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय सरकारी अधिकारियों को अनुकूल शर्तों के लिए करोड़ों डॉलर की रिश्वत दी।

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अमेरिकी अदालत में मुकदमा क्यों?

अमेरिका में यह मामला तब दर्ज हुआ जब एक अमेरिकी कंपनी, ट्रिनी एनर्जी, ने शिकायत की कि अडानी ग्रुप ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी। चूंकि अडानी ग्रीन एनर्जी ने अमेरिकी निवेशकों से अरबों डॉलर जुटाए थे और इसके वित्तीय लेन-देन अमेरिकी वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से हुए थे, इस कारण अमेरिकी अदालत का न्यायक्षेत्र बनता है। अमेरिकी कानूनों के तहत, अगर किसी अमेरिकी नागरिक या कंपनी के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचता है या कोई गड़बड़ी होती है, तो वह अमेरिकी अदालतों के दायरे में आता है।

अदानी पर आरोप और विदेशी भ्रष्टाचार कानून (FCPA)

अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी पर आरोप लगाया कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए योजना बनाई, ताकि सोलर प्रोजेक्ट्स के अनुबंध हासिल किए जा सकें। यह मामला अमेरिकी “विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम” (FCPA) के तहत दर्ज किया गया है, जिसे 1977 में लागू किया गया था और जिसका उद्देश्य विदेशी सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकना है। इसके तहत अगर कोई अमेरिकी या अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध विदेशी कंपनी भ्रष्टाचार करती है, तो वह अमेरिकी अदालत में मुकदमे का सामना कर सकती है।

क्या अडानी को गिरफ्तार किया जा सकता है?

अडानी अगर भारत में हैं तो अमेरिका से उनका प्रत्यर्पण किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि और कई कानूनी प्रक्रियाएं होती हैं। अडानी के खिलाफ भारत में भी आपराधिक मामले चल सकते हैं, लेकिन यदि अमेरिका ने प्रत्यर्पण का अनुरोध किया तो भारत की अदालतें इस पर फैसला करेंगी। अडानी के वकील भी इस फैसले को चुनौती दे सकते हैं।

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न्यूयॉर्क में फेडरल प्रोसीक्युटर्स 21 नवंबर को अडानी समूह के चेयरमैन गौतम एस. अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और छह अन्य लोगों पर धोखाधड़ी के कई मामलों में आरोप लगाए। ये आरोप सौर ऊर्जा अनुबंधों पर अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की कथित मल्टी करोड़ डॉलर की योजना से जुड़े हैं, जिनसे 2 बिलियन डॉलर से अधिक का मुनाफ़ा होने का अनुमान था. इस मामले ने एक सवाल उठाया है कि अडाणी ग्रुप का ये प्रोजक्ट भारत से संबंधित था और आरोप भी भारत से जुड़े हुए तो इसमें अमेरिका में कैसे मामला दर्ज हुआ. केस चला और कोर्ट ने उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया.

अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय, पूर्वी जिला न्यूयॉर्क द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, “इस अभियोग में भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने, अरबों डॉलर जुटाने के लिए निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलने और न्याय में बाधा डालने की योजना का आरोप लगाया गया है.”

सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) द्वारा 2019 में जारी एक नया टेंडर अमेरिकी कोर्ट में अभियोग का केंद्रबिंदु है, जिसमें अडानी समूह के अध्यक्ष और उनके सहयोगियों पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है. मेनुफैक्चिरंग से जुड़ा ये सौर टेंडर को आखिरकार अडानी ग्रीन एनर्जी और एज़्योर पावर को दिया गया.

अभियोग के अनुसार, 6 बिलियन डॉलर के निवेश से 20 वर्षों में कर-पश्चात लाभ में 2 बिलियन डॉलर से अधिक का लाभ होने का अनुमान था. वैसे इस परियोजना को एक अप्रत्याशित झटका लगा, जब इसकी “उच्च ऊर्जा कीमतों” के कारण राज्य बिजली वितरण कंपनियों के साथ बिजली आपूर्ति समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं पाया.

कैसे मामला अमेरिकी अदालत में पहुंचा? अमेरिकी कानून के तहत, यदि अमेरिकी नागरिक या कंपनियां विदेशी देशों में निवेश करती हैं और उनके आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचता है या किसी गड़बड़ी का पता चलता है, तो अमेरिकी अदालत इसका न्यायक्षेत्र रखती है। इस मामले में, ट्रिनी एनर्जी नामक कंपनी ने अमेरिकी अधिकारियों से शिकायत की कि अडानी ग्रीन एनर्जी ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी ताकि भारतीय डिस्कॉम्स पर ऊंची दरों पर सौर ऊर्जा खरीदने का दबाव डाला जा सके, जिससे अमेरिकी निवेशकों को नुकसान हुआ।

क्या आरोप लगाए गए हैं? अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया कि अडानी और उनके सहयोगियों ने भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (2100 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी थी ताकि वे सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स को प्राप्त कर सकें। इस कार्रवाई में विदेशी भ्रष्टाचार, प्रतिभूति धोखाधड़ी और धोखाधड़ी की साजिश के आरोप हैं। विशेष रूप से गौतम अडानी पर अगस्त 2021 में एक आंध्र प्रदेश के उच्च सरकारी अधिकारी से व्यक्तिगत मुलाकात करने और रिश्वत देने का आरोप है।

क्या यह मामला अमेरिकी अदालत में क्यों दर्ज हुआ? अमेरिकी विदेशीय भ्रष्टाचार अधिनियम (FCPA) के तहत, यदि अमेरिकी कंपनियों या निवेशकों का हित प्रभावित होता है, तो अमेरिकी न्यायपालिका के पास अधिकार होता है। इस मामले में, अडानी ग्रीन ने अमेरिकी निवेशकों को सच्चाई नहीं बताई और भारतीय अधिकारियों से रिश्वत की प्रक्रिया को छिपाया, जिससे यह मामला अमेरिका में जुड़ा।

अदानी के खिलाफ अमेरिकी अदालत में कौन से आरोप हैं? अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी और उनके सहयोगियों पर विदेशी भ्रष्टाचार अधिनियम (FCPA) के उल्लंघन का आरोप लगाया। इस कानून के तहत, अमेरिकी नागरिक या कंपनियां विदेशी सरकारी अधिकारियों को रिश्वत नहीं दे सकतीं और इसे लेकर कड़ी सजा का प्रावधान है।

अडानी के खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है? अगर दोषी पाया जाता है, तो अडानी और उनके सहयोगियों पर जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है। अडानी को भारत में रहने के कारण अमेरिकी अधिकारियों को उसे प्रत्यर्पित करने के लिए भारत सरकार से अनुरोध करना होगा। इस प्रक्रिया में कई कानूनी और राजनीतिक मुद्दे सामने आ सकते हैं।

आगे क्या होगा? अगला कदम अमेरिकी अदालत में अडानी और उनके सहयोगियों के खिलाफ आरोपों की सुनवाई होगी। यदि अदालत ने अभियोग की पुष्टि की, तो उन्हें जमानत पर या हिरासत में लिया जा सकता है। यह मामला भारतीय और अमेरिकी कानूनी प्रणालियों में बड़ी जटिलताएं पैदा कर सकता है।

अडानी के पास क्या विकल्प हैं? अडानी के पास इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने के कई रास्ते हैं। यदि वह भारत में हैं, तो वे प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील कर सकते हैं। साथ ही, अगर वे अमेरिकी अदालत में पेश होते हैं, तो उनके वकील अभियोगों को चुनौती दे सकते हैं।

गौतम अडानी मुकदमा

अमेरिकी अभियोजकों के पास क्या सबूत हैं? अमेरिकी अभियोजकों के पास रिश्वतखोरी के मामलों के दस्तावेज़ी साक्ष्य हैं, जैसे भारतीय अधिकारियों के साथ व्यक्तिगत बैठकें और अन्य संदिग्ध संचार। यह मामला आगे बढ़ने पर और भी जटिल हो सकता है, खासकर जब साक्ष्य प्रस्तुत होंगे।

यह मामला एक अंतरराष्ट्रीय विवाद का रूप ले सकता है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ-साथ कानूनी प्रक्रिया की उलझनें भी शामिल हैं।

 

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