अमेरिका से भारतीयों का डिपोर्टेशन पर संसद में विपक्ष का हंगामा
अमेरिका से भारतीयों का डिपोर्टेशन एक बड़ा मुद्दा बन गया है। हाल ही में अमेरिका ने 104 भारतीयों को डिपोर्ट किया, जिसे लेकर संसद में विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों ने संसद परिसर में हथकड़ियां पहनकर प्रदर्शन किया और सरकार से जवाब मांगा।
विपक्ष ने क्यों किया प्रदर्शन?
हथकड़ियां पहनकर संसद परिसर में विरोध
अमेरिका से भारतीयों का डिपोर्टेशन होने के बाद विपक्षी दलों ने इसे भारतीय नागरिकों के साथ अन्याय बताया। कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, समाजवादी पार्टी सांसद धर्मेंद्र यादव, कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह सहित कई विपक्षी नेताओं ने संसद भवन के मकर द्वार के सामने हथकड़ियां पहनकर प्रदर्शन किया।
डिपोर्ट किए गए भारतीयों के साथ कैसा व्यवहार हुआ?
विपक्ष का आरोप है कि डिपोर्ट किए गए भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि –
“भारत को विश्वगुरु बनाने के दावे किए जा रहे थे, लेकिन हमारे नागरिकों को अमेरिका में हथकड़ियां लगाकर दास की तरह भेजा गया। विदेश मंत्रालय और सरकार कुछ नहीं कर रही।”
डिपोर्टेशन का मुद्दा क्यों उठा?
अमेरिका की सख्त डिपोर्टेशन नीति
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की डिपोर्टेशन नीति लागू होने के बाद वहां अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों को वापस उनके देशों में भेजा जा रहा है। इसी के तहत 104 भारतीयों को भी डिपोर्ट किया गया।
विपक्ष की सरकार से मांग
विपक्ष ने सरकार से सवाल किया कि आखिर भारतीय नागरिक अमेरिका में अवैध रूप से रहने को क्यों मजबूर हुए? साथ ही, सरकार यह भी स्पष्ट करे कि डिपोर्ट किए गए नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार किया गया।
विदेश मंत्री जयशंकर देंगे जवाब
इस पूरे विवाद के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने संसद में बयान देते हुए कहा कि –
“अमेरिका से भारतीयों का डिपोर्टेशन कोई नया मामला नहीं है। 2009 से हर साल भारतीयों को डिपोर्ट किया जाता रहा है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हमारे नागरिकों के साथ कोई अमानवीय व्यवहार न हो।”
सरकार ने इस मामले पर अमेरिका से लगातार बातचीत करने की बात भी कही है।
अमेरिका से भारतीयों का डिपोर्टेशन अब राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गया है। विपक्ष सरकार पर सवाल उठा रहा है, जबकि सरकार ने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की बात कही है। आने वाले दिनों में यह मामला और गर्मा सकता है, क्योंकि विदेश मंत्रालय की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
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