बदलते समय के अनुसार लोगों को सरकारी नौकरी के लिए जी-जान से मेहनत करते देखा गया है तो इसके इतर सरकारी स्कूल में कोई दाखिला लेना नहीं चाहता। जी हां.. जहां सरकारी नौकरी की भाग दौड़ में लाखों बच्चे लगे हुए हैं तो वही बच्चे अब सरकारी स्कूल में पढ़ना नहीं चाहते और ना ही उनके माता-पिता सरकारी स्कूलों में एडमिशन कराना चाहते हैं। प्राइवेट स्कूल में बच्चों की भरमार है लेकिन सरकारी स्कूल का कोई मुंह तक नहीं देखना चाहता और इसी नौबत के चलते एक राज्य में कई सरकारी स्कूल बंद करने की निर्देश तक आ चुके हैं।
ऐसी हो रही है सरकारी स्कूलों की हालत
दरअसल, हम बात कर रहे हैं अरुणाचल प्रदेश के बारे में जहां की सरकार ने राज्य भर के 386 सरकारी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है। जी हां यह आदेश शिक्षा विभाग द्वारा सोमवार को जारी कर दिया गया। इन स्कूलों में वर्तमान शैक्षिक वर्ष में एक भी छात्र का नामांकन नहीं हुआ। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस राज्य में सरकारी स्कूल का क्या हालत रही होगी, हालांकि यह केवल अरुणाचल प्रदेश की बात नहीं हो रही है। वर्तमान में ऐसे कई राज्य है जहां पर सरकारी स्कूलों में बच्चों के दाखिले नहीं हो रहे हैं। सिर्फ कुछ गरीब लोगों के ही बच्चे अब सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं।
गांवों तक पहुँच रहा प्राइवेट स्कूलों का असर
बता दें, यह असर न केवल शहर में दिख रहा है बल्कि अब धीरे-धीरे गांव तक भी पहुंच रहा है। गांव के लोग भी अपने बच्चों को सरकारी में ना पढ़ाते हुए बल्कि प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं। इसके पीछे का सबसे बड़ा यह कारण है कि दिन-ब-दिन शिक्षा में बदलाव देखने को मिल रहा है। एक समय जहां हिंदी और संस्कृत को चाव से पढ़ाया जाता था लेकिन अब इनकी जगह भी अब इंग्लिश ने ले ली है जिसे बहुत ध्यान में रखकर पढ़ाया जा रहा है। एक ऐसा समय था जब संस्कृति और हिंदी पर ज्यादा फोकस किया जाता था लेकिन अब इंग्लिश पर ज्यादा फोकस किया जाता है।
क्यों किए गए आंध्र प्रदेश राज्य के स्कूल?
वही बात की जाए आंध्र प्रदेश राज्य के बारे में तो यह निर्णय एकीकृत जिला सूचना प्रणाली से प्राप्त डाटा के आधार पर लिया गया है जिसमें कई स्कूलों का विश्लेषण किया गया और इसमें पाया गया कि सालों से यह स्कूल बंद पड़े हैं और इनमें किसी भी तरह के छात्र का नामांकन नहीं हुआ है। इसी वजह से इन्हें बंद करने का फैसला कर लिया गया।
बता दें, इस फैसला का असर सबसे ज्यादा इन जिलों में देखने को मिल रहा है। जिमसें पापुम पारे में 50, पश्चिम सियांग में 31, उपरी सुबनसिरी और सियांग में 28-28 स्कूल बंद हुए हैं। कई अन्य जिलों में भी 1 से 22 तक स्कूल बंद किए गए हैं। इस सूची में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक सरकारी स्कूल शामिल है जिसमें सालों से किसी छात्र का नामांकन नहीं हुआ और अंत में सरकार को स्कूल बंद करने का फैसला लेना पड़ा।
छात्रों को जल्द मिलेगी खुशखबरी
हालांकि इन सबके बीच खुश कर देने वाली बात यह है कि बंद किए गए स्कूलों के शिक्षकों और गैर शिक्षक कर्मचारियों को सक्रिय स्कूलों में फिर से तैनात किया जाएगा। अधिकारी बताते हैं कि यदि छात्रों ने हाल ही में इन बंद स्कूल में प्रवेश किया था तो उनके पास कार्यरत स्कूलों में स्थानांतरित करने की व्यवस्था की जाएगी ताकि उनकी शिक्षा पर किसी तरह का कोई असर न पड़े।
बता दे यह राज्य में स्कूलों की बंदी का दूसरा बड़ा दौर है। पिछले साल राज्य सरकार ने 600 स्कूल बंद किए थे जिसमें गैर कार्यात्मक थे जबकि किसी में शून्य नामांकन था। रिपोर्ट की माने तो राज्य में करीब 2800 सरकारी स्कूल थे जिसमें 7600 से अधिक नियमित शिक्षक कार्यालय थे। इस कदम का उद्देश्य शैक्षिक संसाधनों को समुचित उपयोग और छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए उठाया गया है।