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अरविंद केजरीवाल ने दिया नारा- जो बाबा साहेब से करे प्यार, वो बीजेपी को करे इनकार

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाबा साहेब अंबेडकर पर दिए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को बाबा साहेब के संविधान का सम्मान नहीं है और वह सिर्फ दलितों और गरीबों के वोटों से प्यार करती है। इस दौरान केजरीवाल ने एक नारा भी दिया: “जो बाबा साहेब से करे प्यार, वो बीजेपी को करे इनकार।”

अरविंद केजरीवाल ने दिया नारा
अरविंद केजरीवाल ने दिया नारा

अमित शाह के बयान पर केजरीवाल का विरोध

अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अमित शाह के बयान में बाबा साहेब के प्रति एक अपमानजनक लहजा था। केंद्रीय मंत्री ने संसद में आंबेडकर का नाम लेते हुए कहा था, “आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। अगर आप भगवान का नाम इतनी बार लेंगे तो आपको स्वर्ग मिलेगा।” केजरीवाल ने इस बयान को बाबा साहेब के प्रति नफरत और अपमान के रूप में देखा। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के शब्दों से गृह मंत्री ने बाबा साहेब के योगदान को सही तरीके से नहीं पहचाना।

“बीजेपी को केवल वोटों से प्यार है”

अरविंद  केजरीवाल ने आगे कहा कि बीजेपी नेताओं को दलितों और गरीबों से कोई प्यार नहीं है, बल्कि उन्हें सिर्फ उनके वोटों से प्यार है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बीजेपी नेता झुग्गियों में इसलिए जाते हैं क्योंकि बाबा साहेब के संविधान के कारण उन्हें यह अधिकार है। “अगर बाबा साहेब ने संविधान नहीं बनाया होता, तो आज दलितों, पिछड़ों और वंचितों का जीना मुश्किल हो जाता,” केजरीवाल ने कहा।

बाबा साहेब के योगदान को नकारा नहीं जा सकता

अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि बाबा साहेब ने संविधान में सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए, खासकर वोट डालने का अधिकार। यह अधिकार उस समय कई लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन बाबा साहेब ने सभी को यह अधिकार दिया, जिससे देश में समानता की शुरुआत हुई। केजरीवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर बाबा साहेब ने संविधान नहीं बनाया होता, तो आज भी देश में छुआ-छूत और भेदभाव होता।

“हमारे आदर्श बाबा साहेब और भगत सिंह”

अरविंद केजरीवाल

अरविंद  केजरीवाल ने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) में दो महानुभावों को आदर्श माना जाता है – बाबा साहेब और भगत सिंह। उन्होंने बताया कि दिल्ली और पंजाब सरकार ने अपने दफ्तरों में इन दोनों नेताओं की तस्वीर लगाने का आदेश दिया है। “दिल्ली सरकार के दफ्तर में केजरीवाल की तस्वीर नहीं, बल्कि बाबा साहेब और भगत सिंह की तस्वीर होगी,” केजरीवाल ने कहा।

‘बीजेपी या बाबा साहेब?’

अरविंद  केजरीवाल ने आगे कहा, “आज हम यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या आप बाबा साहेब से प्यार करते हैं या बीजेपी से? क्योंकि अगर आप बाबा साहेब से प्यार करते हैं, तो आपको बीजेपी को नकारना पड़ेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी नेता अपनी नीतियों और विचारधाराओं के चलते दलितों और गरीबों का सम्मान नहीं करते। “बाबा साहेब ने संविधान के माध्यम से हमें वोट डालने का अधिकार दिया था, और यही कारण है कि आज दलितों और गरीबों को अपनी आवाज उठाने का मौका मिला है।”

बाबा साहेब का संघर्ष और उनका योगदान

अरविंद केजरीवाल ने बाबा साहेब अंबेडकर के संघर्ष को याद करते हुए कहा, “बाबा साहेब का जीवन उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति समाज की बेहतरी के लिए संघर्ष करता है। जब वे स्कूल जाते थे, तो इतनी छुआ-छूत थी कि उन्हें अलग बोरी पर बैठने के लिए मजबूर किया जाता था।” केजरीवाल ने यह भी कहा कि यदि बाबा साहेब ने संविधान में वोट का अधिकार नहीं दिया होता, तो आज भी भारत में सामाजिक असमानताएं और भेदभाव होता।

अमित शाह से केजरीवाल की चुनौती

अरविंद अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चुनौती देते हुए कहा, “मैं चुप नहीं बैठूंगा। मैं घर-घर जाऊंगा और लोगों को जागरूक करूंगा। अगर आप बाबा साहेब से प्यार करते हैं, तो बीजेपी से प्यार नहीं कर सकते। आपको एक चुनाव करना होगा – या तो आप बाबा साहेब से प्यार करते हैं या फिर बीजेपी से।”

पीएम मोदी का समर्थन

पार्टी के बयानों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमित शाह के बयान का समर्थन किया। इसके बाद राजनीति में और विवाद उठ खड़ा हुआ, जिसमें विपक्षी दलों ने शाह के बयान को लेकर अपनी आलोचना की। केजरीवाल ने इसे बीजेपी की छवि सुधारने की एक कोशिश के रूप में देखा, जो उनका मानना था कि असल में उनके पार्टी के आदर्श और नीतियां बाबा साहेब के संविधान के खिलाफ हैं।

अरविंद केजरीवाल का यह बयान यह स्पष्ट करता है कि वह हमेशा बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान और उनके बनाए संविधान का सम्मान करते हैं। उनका यह कहना है कि बाबा साहेब ने भारत को समानता और अधिकारों का अधिकार दिया, जिसे किसी भी पार्टी या नेता द्वारा नकारा नहीं जा सकता। बीजेपी के खिलाफ उनके बयान को लेकर राजनीति में और भी गहरे मतभेद उभरकर सामने आए हैं, जिनसे आने वाले समय में और अधिक चर्चा हो सकती है।

इस मुद्दे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हम सही मायनों में बाबा साहेब के संविधान को सम्मान देते हैं या इसे अपनी राजनीति में इस्तेमाल करते हैं।

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