अयोध्या भूमि अधिग्रहण मामला: सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा विवाद

अयोध्या भूमि अधिग्रहण मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले पर सवाल उठाया है, जिसमें जन कल्याण के लिए अधिग्रहित जमीन को निजी क्षेत्रों को सौंपा जा रहा है। याचिका में मुआवजे की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और भूमि अधिग्रहण अधिनियम के उल्लंघन को चुनौती दी गई है।
हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा अयोध्या भूमि अधिग्रहण मामला
अयोध्या में विकास परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित करीब 1407 एकड़ जमीन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कांग्रेस नेता आलोक शर्मा सहित तीन याचिकाकर्ताओं ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप: भूमि अधिग्रहण अधिनियम का उल्लंघन
याचिकाकर्ताओं के वकील नरेंद्र मिश्रा के अनुसार, यह अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की धारा 2 का उल्लंघन करता है। इस अधिनियम के तहत जन कल्याण के लिए अधिग्रहित भूमि का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों, जैसे निजी होटलों और उद्योगों के लिए नहीं किया जा सकता।
सरकार के फैसले पर क्यों उठ रहे सवाल?
1. बिना उपयोग के नई भूमि अधिग्रहण क्यों?
अयोध्या में 2020 और 2022 में अधिग्रहित 1407 एकड़ भूमि का अभी तक पूरा उपयोग नहीं हुआ है। लेकिन इसके बावजूद 2023 में नई भूमि अधिग्रहण योजना लाई गई, जिससे याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति जताई है।
2. किसानों को कम मुआवजा, उद्योगपतियों को ऊंचे दामों पर बिक्री
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने किसानों से कम मुआवजे पर जमीन लेकर उसे उद्योगपतियों को 30 गुना अधिक कीमत पर बेच दिया। यह सरकार की नीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
3. बुनियादी ढांचा विकसित नहीं, फिर भी नई योजनाएं
अधिग्रहित भूमि पर आज तक कोई सड़क, सीवर या अन्य बुनियादी ढांचा नहीं विकसित किया गया है। इसके बावजूद नई भूमि अधिग्रहण योजना लाना जनहित के खिलाफ माना जा रहा है।
अयोध्या भूमि अधिग्रहण मामला: सुप्रीम कोर्ट से क्या है उम्मीद?
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इस अधिग्रहण को तत्काल प्रभाव से रोका जाए और मुआवजे की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाया जाए।
सरकार की सफाई
सरकार का तर्क है कि अयोध्या में तेजी से बढ़ती आवासीय और व्यावसायिक मांग को देखते हुए यह भूमि अधिग्रहण किया गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के बाद ही स्पष्ट होगा कि इस फैसले पर क्या निर्णय लिया जाएगा।
अयोध्या भूमि अधिग्रहण मामला अब जनहित बनाम विकास नीति की बहस का केंद्र बन गया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि सरकार के भूमि अधिग्रहण का तरीका सही है या नहीं।
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