सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने हाल ही में यह घोषणा की है कि 10वीं कक्षा के विज्ञान और सोशल साइंस विषयों में दो स्तर का सिलेबस पेश किया जाएगा। यह बदलाव 2026-27 शैक्षणिक सत्र से लागू किए जाने की योजना है।

फिलहाल, CBSE गणित विषय के लिए यह व्यवस्था पहले से ही उपलब्ध है। छात्रों को ‘स्टैंडर्ड’ और ‘बेसिक’ लेवल का विकल्प दिया जाता है। अब यही मॉडल विज्ञान और सोशल साइंस में भी लागू किया जाएगा।
CBSE सिलेबस समिति की मंजूरी
CBSE की पाठ्यक्रम समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, इसे लागू करने से पहले गवर्निंग बॉडी की अंतिम स्वीकृति ली जाएगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों को अधिक विकल्प प्रदान करना और उनके शैक्षणिक तनाव को कम करना है।
गणित में पहले से उपलब्ध है यह मॉडल
CBSE बोर्ड पहले से ही कक्षा 10वीं में गणित के लिए दो स्तर का सिलेबस उपलब्ध कराता है।
स्टैंडर्ड और बेसिक गणित: क्या है अंतर?
- स्टैंडर्ड गणित:
- यह उन छात्रों के लिए है जो गणित को गहराई से समझने और आगे अध्ययन करने में रुचि रखते हैं।
- प्रश्न पत्र में एप्लीकेशन-बेस्ड और विश्लेषणात्मक सवाल होते हैं।
- बेसिक गणित:
- इसे उन छात्रों के लिए डिजाइन किया गया है जो कठिन सवालों से बचना चाहते हैं।
- पेपर अपेक्षाकृत सरल होता है और अधिक नंबर प्राप्त करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
पिछले साल के आंकड़े:
2023-24 की परीक्षाओं में:
- 6,79,560 छात्रों ने बेसिक गणित चुना।
- 15,88,041 छात्रों ने स्टैंडर्ड गणित को चुना।
विज्ञान और सोशल साइंस में बदलाव की तैयारी

गणित की तरह अब विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों के लिए भी दो स्तर के पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह बदलाव केवल प्रश्न पत्र के स्तर तक सीमित रहेगा या किताबों में भी अंतर होगा।
दो संभावित स्तर:
- स्टैंडर्ड स्तर:
- गहराई से पढ़ाई और एप्लीकेशन-बेस्ड सवालों पर आधारित होगा।
- उन छात्रों के लिए बेहतर विकल्प होगा जो मेडिकल, इंजीनियरिंग या रिसर्च फील्ड में जाना चाहते हैं।
- बेसिक स्तर:
- सरल और बुनियादी सवालों पर आधारित होगा।
- उन छात्रों के लिए अनुकूल होगा जो विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में गहराई तक नहीं जाना चाहते।
इस बदलाव का मकसद
CBSE द्वारा इस पहल का उद्देश्य छात्रों को अपनी पढ़ाई में अधिक लचीलापन देना और कठिन विषयों के प्रति उनकी झिझक को कम करना है।
- अधिक विकल्प:
- छात्रों को अपनी क्षमता के अनुसार पाठ्यक्रम चुनने का मौका मिलेगा।
- जो छात्र विज्ञान और सामाजिक विज्ञान को चुनौतीपूर्ण मानते हैं, वे बेसिक स्तर का चयन कर सकते हैं।
- कम तनाव:
- छात्रों के शैक्षणिक तनाव को कम करने में मदद मिलेगी।
- जटिल विषयों के प्रति छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- बेहतर प्रदर्शन:
- छात्रों को अपने चुने हुए स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा।
- परीक्षा में उनके अंक और परिणामों में सुधार होगा।
क्या होगा छात्रों और अभिभावकों पर असर?
CBSE बोर्ड के इस फैसले का सीधा असर छात्रों और अभिभावकों पर पड़ेगा।
- छात्रों पर प्रभाव:
- कठिनाई स्तर के अनुसार विषय चुनने का फायदा मिलेगा।
- जटिल विषयों के प्रति डर कम होगा।
- अभिभावकों की भूमिका:
- सही स्तर का चयन करने में बच्चों को मार्गदर्शन देना जरूरी होगा।
- बच्चों की क्षमताओं और रुचियों को समझकर निर्णय लेना आवश्यक होगा।
सीबीएसई का आधिकारिक बयान
CBSE ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि यह बदलाव छात्रों की सुविधा और उनके शैक्षणिक विकास को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।
CBSE के एक अधिकारी के अनुसार:
“हम चाहते हैं कि छात्र अपनी पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि आनंद के रूप में लें। गणित में दो स्तर की सफलता के बाद, अब विज्ञान और सोशल साइंस में भी इसे लागू किया जाएगा।”
छात्रों को कैसे करें तैयारी?
- अपनी रुचि और क्षमता पहचानें:
- बेसिक और स्टैंडर्ड स्तर के बीच चयन करने से पहले अपनी रुचि और क्षमता को समझें।
- गाइडेंस लें:
- अपने शिक्षकों और अभिभावकों से परामर्श करें।
- रोजाना पढ़ाई की आदत डालें:
- सिलेबस के स्तर के बावजूद नियमित पढ़ाई जरूरी है।
- सही किताबें चुनें:
- NCERT की किताबों के अलावा अतिरिक्त संसाधनों का उपयोग करें।
CBSE के इस कदम पर विशेषज्ञों की राय
शैक्षिक विशेषज्ञों ने CBSE के इस कदम की सराहना की है। उनका मानना है कि यह पहल छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखकर की गई है।
“यह पहल छात्रों के मानसिक तनाव को कम करेगी और उन्हें अपनी रुचि और क्षमताओं के अनुसार पढ़ाई का मौका देगी।” – डॉ. रश्मि शर्मा, शिक्षा विशेषज्ञ।

CBSE बोर्ड का यह कदम छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए एक सकारात्मक बदलाव लाएगा। दो स्तर के सिलेबस से छात्रों को अधिक विकल्प मिलेंगे और वे अपनी पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।
2026-27 से लागू होने वाली इस नई व्यवस्था से न केवल छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि उनकी शैक्षिक यात्रा भी सरल और प्रभावी हो जाएगी।
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