सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, डेंगू संक्रमण दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में होने वाली एक आम समस्या है और लगभग 3 बिलियन लोग डेंगू से प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं। इनमें भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य भाग, चीन, अफ्रीका, ताइवान और मैक्सिको शामिल हैं। नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में सिर्फ भारत में डेंगू के 67,000 से भी अधिक मामले दर्ज किए गए थे। इस रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि वर्ष 2017 डेंगू के मामले में भारत के लिए सबसे खराब साल था। 2017 में लगभग 1.88 लाख डेंगू के मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें से 325 लोगों ने इसके कारण अपनी जान गंवा दी थी।
डेंगू क्या है
डेंगू (Dengue) एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है। डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं। डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है। यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है। हालांकि, ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं। जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ होने का खतरा बढ़ जाता है। इसमें भारी रक्तस्राव ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। डीएचएफ को डेंगू शॉक सिंड्रोम भी कहा जाता है। अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है। डेंगू का कोई विशिष्ट या खास उपचार उपलब्ध नहीं है। सिर्फ इसके लक्षणों को पहचानकर ही आप इस पर काबू पा सकते हैं।
डेंगू के लक्षण
डेंगू हल्का या गंभीर दोनों हो सकता है। ऐसे में इसके लक्षण भी अलग-अलग नजर आते हैं। खासतौर से बच्चों और किशोरों में माइल्ड डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। संक्रमित होने के बाद डेंगू के हल्के लक्षण चार से सात दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों में तेज बुखार (104° F) के अलावा नीचे दिए गए लक्षण भी शामिल हैं :
- सिरदर्द
- मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द
- उल्टी
- जी मिचलाना
- आंखों में दर्द होना
- त्वचा पर लाल चकत्ते होना
- ग्लैंड्स में सूजन होना
हालांकि, गंभीर मामलों में रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ के होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में, रक्त वाहिकाएं (blood vessels) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रक्त में प्लेटलेट काउंट की कमी होने लगती है। ऐसी स्थिति में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं:
- गंभीर पेट दर्द
- लगातार उल्टी होना
- मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव
- मूत्र, मल या उल्टी में खून आना
- त्वचा के नीचे रक्तस्राव होना, जो चोट जैसा नजर आ सकता है
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान महसूस करना
- चिड़चिड़ापन या बेचैनी
डेंगू के जोखिम कारक
विभिन्न कारक होते हैं, जो डेंगू से संक्रमित होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। हम आपको नीचे कुछ ऐसे ही प्रमुख जोखिम कारकों के बारे में जानकारी दे रहें हैं:-
डेंगू पीड़ित क्षेत्र में रहना : यदि आप उन क्षेत्रों में रहते हैं, जहां एडीज मच्छरों का प्रकोप अधिक है, तो आपके डेंगू से संक्रमित होने की संभावना स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।
पहले डेंगू संक्रमण होना : जिन लोगों को एक बार डेंगू हो जाता है, उनमें इस वायरल संक्रमण से प्रतिरक्षा नहीं हो पाती है। ऐसे में जब आपको दूसरी बार डेंगू होता है, तो अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना : जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कमजोर होती है, उनमें भी डेंगू होने की संभावन अधिक होती है। ऐसे में बुजुर्ग लोग डेंगू के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। साथ ही, मधुमेह (Diabetes), फेफड़ों के रोग (lung diseases) और हृदय रोग (cardiovascular ailments) से पीड़ित लोगों में भी डेंगू होने की आशंका बढ़ जाती है।
लो प्लेटलेट काउंट : डेंगू तब और अधिक गंभीर हो जाता है, जब पीड़ित व्यक्ति के रक्त में प्लेटलेट (थक्का बनाने वाली कोशिकाएं) काउंट काफी कम होने लगता है। ऐसे में यदि आपका प्लेटलेट काउंट का स्तर पहले से ही कम है, तो दूसरों की तुलना में डेंगू से जल्दी संक्रमित हो सकते हैं।
डेंगू संबंधित जटिलताएं
यदि डेंगू का संक्रमण गंभीर है, तो यह आपके फेफड़ों, लिवर और हृदय को प्रभावित कर सकता है। ब्लड प्रेशर काफी कम हो सकता है। अत्यधिक गंभारी मामलों में यह घातक भी हो सकता है। डेंगू का संक्रमण गंभीर होने पर शरीर में निम्न जटिलताएं देखी जा सकती हैं:
- पेट में गंभीर रूप से दर्द होना
- लिवर में फ्लूइड का एकत्रित होना
- रक्तस्राव
- जी मिचलाना
- सीने में तरल पदार्थ का जमा होना
डेंगू का निदान
डेंगू का निदान आमतौर पर रोगी के लक्षणों और शारीरिक परीक्षण के आधार पर किया जाता है। आपका डॉक्टर आपके लक्षणों का मूल्यांकन करने के बाद निम्नलिखित परीक्षणों (Tests) का सुझाव दे सकता है-
पूर्ण रक्त गणना : इस परीक्षण के जरिए शरीर में प्लेटलेट काउंट का पता चलता है। इन कोशिकाओं के काउंट का कम होना यह दर्शाता है कि डेंगू कितना गंभीर हो चुका है।
डेंगू एनएस1 एजी के लिए एलिसा टेस्ट : यह एक ब्लड टेस्ट है, जिसके जरिए डेंगू वायरस एंटिजेन (dengue virus antigen) का पता लगाया जाता है। हालांकि, यह संक्रमण के प्रारंभिक चरणों के दौरान नकारात्मक परिणाम दिखा सकता है। ऐसे में यदि किसी में डेंगू के लक्षण बने रहते हैं, तो यह टेस्ट दोबारा करवा लेना चाहिए।
पीसीआर टेस्ट : यह टेस्ट संक्रमण के पहले 7 दिनों में अधिक प्रभावी हो सकता है, जब एनएस1 एजी
टेस्ट का रिजल्ट संक्रमण होने के बावजूद भी नेगेटिव आता है।
सीरम आईजीजी और आईजीएम टेस्ट : आमतौर पर यह टेस्ट बाद की अवस्था और स्थिति को जानने के लिए की जाती है। एक बार जब वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो प्रतिरक्षा कोशिकाएं डेंगू वायरस के खिलाफ आईजीजी (IgG) और आईजीएम (IgM) एंटीबॉडीज का निर्माण करना शुरू कर देती हैं। इन एंटीबॉडीज का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है।
डेंगू का इलाज
डेंगू के लिए कोई खास दवा या सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर बुखार, दर्द को नियंत्रित करने के लिए पेनकिलर जैसे पारासिटामोल दवा खाने के लिए दे सकता है। शरीर को हाइड्रेटेड रखकर डेंगू को कंट्रोल में रखना एक सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी पीना चाहिए। हालांकि, गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। अत्यधिक गंभीर मामले में मरीज को नसों में तरल पदार्थ यानी इंट्रावेनस फ्लूइड (Intravenous fluid) या इलेक्ट्रोलाइट सप्लीमेंट दी जाती है। कुछ मामलों में ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग और ब्लड ट्रांस्फ्यूजन के जरिए भी इलाज की जाती है। आप खुद से एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसी दवाओं का सेवन भूलकर भी ना करें, क्योंकि ये रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
डेंगू से बचाव
मई 2019 में, अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन ने 9 से 16 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में डेंगवैक्सिया नामक एक डेंगू टीके का उपयोग करने के लिए मंजूरी दी थी। हालांकि, भारत में अभी तक इस टीके को इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी गई है। डेंगू एक संचारी रोग है, जो मच्छरों द्वारा एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। ऐसे में वैक्सीन के उपलब्ध नहीं होने से डेंगू से बचने का सिर्फ एकमात्र तरीका है खुद को मच्छरों से बचाकर रखना। जितना हो सके आप मॉस्किटो रेपलेंट्स, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को शाम होने से पहले बदं कर दें। शरीर को पूरी तरह से कवर करने वाले कपड़े पहनें। निम्न दिए गए उपायों को भी आप अपना सकते हैं:
- सुनिश्चित करें कि आसपास पानी इकट्ठा ना हो। कूलर का पानी बदलते रहें। पानी को ढंक कर रखें। इन जगहों पर ही मच्छर अंडे देते हैं।
- यदि कोई खुला जल स्रोत है, जिसे आप हटा नहीं कर सकते हैं, तो उसे या तो ढंक दें या फिर उपयुक्त कीटनाशक अप्लाई करें।
और पढ़ें: Health