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Monday, June 30, 2025

एथनॉल कीमत में वृद्धि: मोदी सरकार के फैसले से शुगर स्टॉक्स में उबाल, जानिए क्या है असर

एथनॉल कीमत में वृद्धि: मोदी सरकार का अहम फैसला

एथनॉल कीमत
एथनॉल कीमत

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एथनॉल की कीमतों में वृद्धि करने का एक बड़ा फैसला लिया है, जो विशेष रूप से शुगर स्टॉक्स पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है। इस निर्णय से सी-श्रेणी के शीरा से प्राप्त एथनॉल की कीमत में 1.69 रुपये प्रति लीटर का इज़ाफा हुआ है, जो अब 57.97 रुपये प्रति लीटर हो गई है।

क्या है एथनॉल की कीमतों में वृद्धि का कारण?

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई, जिससे 2024-25 अवधि के लिए सी-श्रेणी के शीरा से प्राप्त एथनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा, बी श्रेणी के भारी शीरा और गन्ना रस से उत्पादित एथनॉल की कीमतों को अपरिवर्तित रखा गया है, जो क्रमशः 60.73 रुपये प्रति लीटर और 65.61 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर रहेंगे।

पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य

इस निर्णय के साथ, सरकार ने पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2030 से घटाकर 2025-26 कर दिया है। इससे संबंधित तेल विपणन कंपनियों के लिए एथनॉल खरीद मूल्य में संशोधन भी किया गया है। इस वर्ष के लिए तेल विपणन कंपनियां 18 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त करने की योजना बना रही हैं।

शुगर स्टॉक्स पर क्या असर पड़ा?

एथनॉल की कीमत में वृद्धि के साथ, शुगर स्टॉक्स पर इसका बड़ा असर पड़ा है। शेयर बाजार में शुगर कंपनियों के स्टॉक्स में भारी उछाल देखा गया। उदाहरण के लिए, डालमिया भारत शुगर एंड इंडस्ट्रीज के शेयर 5.79% बढ़कर 355.10 रुपये पर बंद हुए। इसी तरह, बलरामपुर चीनी मिल्स के शेयर भी 3.45% बढ़कर 496.10 रुपये हो गए।

अन्य प्रमुख शुगर स्टॉक्स की स्थिति
  • श्री रेणुका शुगर्स के शेयर 5.76% बढ़कर 37.85 रुपये पर पहुंचे।
  • बजाज हिन्दुस्तान शुगर लिमिटेड के शेयर 3.22% बढ़कर 27.26 रुपये पर पहुंचे।
  • बन्नारी अम्मन शुगर्स के शेयर 6.32% बढ़कर 3629 रुपये हो गए।
  • धामपुर शुगर मिल्स के शेयर में 7.37% की बढ़ोतरी देखने को मिली, जो 152.95 रुपये पर बंद हुए।
एथनॉल से जुड़ी सरकार की नीतियां

एथनॉल की बढ़ती कीमतें और सरकार की नई नीतियां शुगर उद्योग के लिए सकारात्मक संकेत हैं। इससे शुगर मिल्स को लाभ हो सकता है, क्योंकि एथनॉल उत्पादन में वृद्धि के साथ इनकी कमाई में भी इज़ाफा हो सकता है। सरकार की यह नीति शुगर उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम और बढ़ा सकती है।

 

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