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Friday, January 17, 2025
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गौरैया घोसला वितरित करने बाराबंकी पहुंची लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर।

गौरैया घोसला वितरित करने बाराबंकी पहुंची लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर।

20 जनवरी को विश्व गौरैया दिवस तक चलेगा घोसलों को वितरण करने का अभियान।

अनोखी पहल के तहत वितरित कर चुकी है 1000 से अधिक गौरैया घोसला।
UP बाराबंकी। लखनऊ विश्वविद्यालय की जंतु विज्ञान की प्रोफेसर डॉक्टर अमित कनौजिया सोमवार को अपनी अनोखी पहल के तहत बाराबंकी पहुंची। जिसमें उन्होंने विलुप्त होती गौरैया को बचाने के लिए यहां शहर के सिटी बस स्टेशन पर गौरैया के घोसलों व उनके खाने की सामग्री को निशुल्क वितरित किया। घरों के आंगन में चहचहाट से सन्नाटा तोड़ने वाली नन्ही गौरैया को बचाने के लिए विगत 2010 से गौरैया घोसलों को देने का अभियान चला रही है। उन्होंने अब तक तकरीबन 1000 से अधिक गौरैया घोसलों का वितरण किया है। प्रोफेसर डॉक्टर अमिता कनौजिया ने यहां बात करने पर बताया कि आगामी 20 तारीख को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाएगा। जिसे देखते हुए विगत 16 तारीख से 20 तारीख तक गौरैया उसके घोसलों को घर-घर पहुंचने का अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। यहां अपर पुलिस अधीक्षक चिरंजीवी नाथ सिंह की प्रेरणा से गौरैया बचाव का अभियान चलाया गया है। जिसमें सोमवार को अपने शोध छात्रों प्रशांत त्रिपाठी, ज्योति अंतिल व शिवांशु राठौर के साथ तकरीबन दो दर्जन गौरैया घोसलों व उनके खाने की सामग्री दी गई है। आगामी 20 तारीख को विश्व गौरैया दिवस है। यह अभियान तब तक जारी रहेगा।
गौरैया के अस्तित्व पर खतरा
वर्तमान समय में वातावरण में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और शहरीकरण से गौरैया के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। जिससे ज्यादातर शहरी क्षेत्र में गौरैया गायब हो गई है। पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में गौरैया अहम भूमिका अदा करती है। गौरैया एक ऐसी पक्षी है जो आबादी वाले क्षेत्रों में पेड़ों पर खुद घोंसला तैयार कर प्रजनन करती है। वर्तमान समय में गौरैया के प्रजनन का समय चल रहा है। लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण में पेड़ों की कटाई बे-हिसाब जारी है। जिससे गौरैया स्वयं घोंसला नहीं बना पाती और उनकी संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है।
कैसे बचाएं गौरैया
प्रोफेसर डॉ अमिता कनौजिया ने बताया कि गौरैया को बचाने के लिए लोगों को प्रयास करने चाहिए। घोंसले बनाकर उनके खाने और पीने की व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे गौरैया की लुप्त होती प्रजाति को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि गौरैया से हमारा बचपन का संबंध है। बचपन में मां हमें गौरैया की कहानियां सुनाती थी। गौरैया जंगल के साथ-साथ मकानों में भी निवास करती थी। पर्यावरण के साथ हमारी फसलों के लिए भी गौरैया लाभदायक है। कार्यक्रम के समापन से पूर्व यहां पहुंचे अपर पुलिस अधीक्षक उत्तरी चिरंजीवी नाथ सिंह ने भी बताया कि गौरैया किसान मित्र है। इसके संरक्षण के लिए हमें भरसक प्रयास करने चाहिए। इस मौके पर भारी निरीक्षक शहर कोतवाली अजय कुमार त्रिपाठी व अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

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