जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट: भारत की अर्थव्यवस्था पर असर और कंजप्शन में कमी

भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट: 5.4% पर पहुंची, कंजप्शन में कमी के कारण

जीडीपी ग्रोथ रेट
जीडीपी ग्रोथ रेट

भारत की अर्थव्यवस्था के लिए 2024 की दूसरी तिमाही के आंकड़े कुछ चिंताजनक संकेत लेकर आए हैं। इस दौरान भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट यानी सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 5.4% रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 8.1% थी। यह गिरावट इस बात का संकेत है कि देश में आर्थिक गतिविधियों में कुछ मंदी आ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, कंजप्शन में कमी और कुछ अन्य कारकों की वजह से यह गिरावट आई है। इस लेख में हम जानेंगे कि इस जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट के पीछे के कारण क्या हैं और क्या आने वाली तिमाहियों में स्थिति सुधरेगी।

दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े: 5.4% का गिरना

भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट में जो गिरावट आई है, वह देश की आर्थिक स्थिति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। 2024 की दूसरी तिमाही में जीडीपी का विकास दर घटकर 5.4% पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा पिछले साल की इसी तिमाही के 8.1% से काफी कम है। इस तिमाही में जीडीपी में गिरावट का मुख्य कारण कंजप्शन में कमी, विशेष रूप से शहरी मांग में घटोतरी है।

कंजप्शन में कमी: क्या इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा?

कंजप्शन या उपभोग, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह जीडीपी के लगभग 60% हिस्से के लिए जिम्मेदार होता है। हालांकि, इस साल दूसरी तिमाही में कंजप्शन में कमी आई है। इसका सीधा असर जीडीपी ग्रोथ रेट पर पड़ा है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति, उच्च उधारी दर और स्थिर वास्तविक वेतन वृद्धि जैसे कारकों ने उपभोग को कम किया है। उदाहरण के तौर पर, खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में 10.87% तक पहुंच गई, जिससे लोगों की क्रय शक्ति में कमी आई और उनके खर्च करने की क्षमता प्रभावित हुई।

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर असर: मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग, और एग्रीकल्चर

दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट का असर भारत के प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों पर भी देखा गया। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 2.2% रही, जबकि माइनिंग एंड क्वेरिंग सेक्टर में गिरावट का सामना करना पड़ा। इस सेक्टर में 0.1% की गिरावट आई। हालांकि, कृषि क्षेत्र में 3.5% की वृद्धि देखने को मिली, जो एक सकारात्मक संकेत है। इसके अलावा, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 7.7% की वृद्धि हुई है, जो विकास का एक उज्जवल पहलू है।

कॉरपोरेट इनकम और निवेश पर असर

GDP Growth

GDP Growth Rate में गिरावट का असर कॉरपोरेट इनकम पर भी देखा गया। प्रमुख भारतीय कंपनियों ने जुलाई-सितंबर की तिमाही में अपने सबसे कमजोर प्रदर्शन की रिपोर्ट दी है। इससे निवेश और व्यापार विस्तार की योजनाओं में मंदी के संकेत मिल रहे हैं, जो आने वाले समय में और अधिक चिंता का कारण बन सकते हैं।

आरबीआई का दृष्टिकोण और नीतिगत फैसले

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपनी विकास दर का अनुमान 7.2% पर बरकरार रखा है। यह अनुमान पिछले वित्त वर्ष के 8.2% से कम है। हालांकि, आरबीआई ने अपनी रेपो दर को 6.50% पर स्थिर रखा है, जिससे मुद्रास्फीति को काबू करने की कोशिश की जा रही है। आरबीआई का यह नीतिगत रुख, मुद्रास्फीति के दबावों के बीच आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने का प्रयास है।

क्या दूसरी तिमाही में सुधार की उम्मीद है?

वर्तमान में, भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट में जो गिरावट आई है, उसे देख कर कुछ विश्लेषक भविष्य में सुधार की उम्मीद लगाए हुए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि चुनाव के बाद राज्य के खर्च में वृद्धि और अनुकूल फसल की स्थिति बनी रहती है, तो ग्रामीण मांग में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, उम्मीद जताई जा रही है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में जीडीपी ग्रोथ रेटमें सुधार हो सकता है, खासकर जब चुनावों के बाद सरकारी खर्च बढ़ेगा।

मंदी का प्रमुख कारण: खाद्य मुद्रास्फीति और उच्च उधारी दर

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। इनमें से एक है बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति, जो लोगों की क्रय शक्ति को प्रभावित कर रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी वृद्धि से आम आदमी का बजट बिगड़ा है। इसके साथ ही, उच्च उधारी दर और स्थिर वेतन वृद्धि भी उपभोग पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। इससे शहरी खपत में कमी आई है, जिसका सीधा असर जीडीपी ग्रोथ रेट पर पड़ा है।

आने वाले समय में क्या उम्मीदें हैं?हालांकि वर्तमान में GDP Growth Rate में गिरावट आई है, फिर भी कुछ विश्लेषक आने वाले समय में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। चुनाव के बाद राज्य के खर्च में वृद्धि, अनुकूल मौसम की वजह से कृषि क्षेत्र में सुधार और सरकारी योजनाओं की सफलता से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सकती है। इसके अलावा, शहरी मांग और उपभोग में सुधार की संभावना भी जताई जा रही है।

 क्या हमें चिंतित होना चाहिए?

GDP Growth Rate
GDP Growth Rate

हालांकि भारत की GDP Growth Rate में गिरावट आई है, लेकिन यह पूरी तरह से चिंताजनक नहीं है। कुछ क्षेत्रों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं और आने वाले समय में सुधार की संभावना जताई जा रही है। भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हालांकि, कंजप्शन में कमी, उच्च मुद्रास्फीति और अन्य कारकों के कारण GDP Growth Rate में गिरावट देखी गई है, लेकिन सरकार और आरबीआई की नीतियों से आने वाले समय में स्थिति बेहतर हो सकती है।

, वर्तमान में GDP Growth Rate में आई गिरावट को लेकर चिंतित होने की बजाय हमें इसे एक अस्थायी घटक के रूप में देखना चाहिए और आगे के सुधार की उम्मीद रखनी चाहिए।

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