उत्तर प्रदेश में गोवर्धन पूजा का आयोजन धूमधाम से किया गया, जहां विभिन्न गौशालाओं में गोवंश संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह गौवंश की सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में एक प्रमुख पर्व है, जो प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार ने गौशालाओं में गोवंश की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष आयोजन किए।
गोवर्धन पूजा का आयोजन
2024 में गोवर्धन पूजा के अवसर पर उत्तर प्रदेश के सभी गौ आश्रय स्थलों में गो पूजन का आयोजन किया गया। इस दिन, 6697 अस्थायी गो आश्रय स्थलों, 333 वृहद गो संरक्षण स्थलों और 289 कान्हा आश्रय स्थलों पर इस पूजा का समारोह आयोजित किया गया। इस प्रकार कुल 7319 गो-आश्रय स्थलों पर गोवंश की पूजा की गई।
मंत्रीगणों और अधिकारियों की भागीदारी
उत्तर प्रदेश के मंत्री पशुधन एवं दुग्ध विकास, धर्मपाल सिंह, ने बरेली जनपद के मऊ चन्द्रपुर विकास खंड में वृहद गो संरक्षण केंद्र पर आयोजित इस पूजा में भाग लिया। इसके अलावा, प्रमुख सचिव पशुधन रविन्द्र नायक और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने भी विभिन्न स्थानों पर इस पूजा में सहभागिता की।
इन आयोजनों में जनप्रतिनिधियों द्वारा गायों को गुड़, हरा चारा, फल आदि का वितरण किया गया, जिससे गौशालाओं में गोवंश की देखभाल के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी। यह पहल न केवल गोवंश के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों में गौशालाओं के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी का भी संचार करती है।
गोवंश संरक्षण की दिशा में प्रयास
गोवर्धन पूजा के अवसर पर विभिन्न जनपदों में गोवंश के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने का कार्य किया गया। मंत्रीगणों और जन प्रतिनिधियों ने गायों की सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य के प्रति जनमानस को जागरूक किया। इसके साथ ही, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष आचार्य श्याम बिहारी गुप्ता ने भी गो आश्रय स्थलों में इस पूजा में भाग लिया।
इस अवसर पर गो आश्रय स्थलों को स्वावलंबी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि अधिक से अधिक गोवंश को पशुपालकों को सुपुर्द किया जाए, जिससे उन्हें भी आर्थिक सहायता मिल सके और कुपोषण से प्रभावित परिवारों की सहायता की जा सके।
गाय के गोबर का उपयोग
इस पूजा के अंतर्गत गाय के गोबर का भी महत्व बताया गया। गोबर से बने दीपों, मूर्तियों आदि के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जनमानस में व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। यह न केवल पारंपरिक मान्यता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है।
दुग्ध उत्पादन और स्वास्थ्य
गौशालाओं में गोवंश के दुग्ध उत्पादन पर भी जोर दिया गया। गोमूत्र और गोबर का उपयोग मिट्टी की सेहत को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण होता है। इस प्रकार, गोवर्धन पूजा ने न केवल धार्मिक भावना को जगाया, बल्कि गौवंश संरक्षण और दुग्ध उत्पादन को भी प्राथमिकता दी।
निष्कर्ष
गोवर्धन पर्व का आयोजन केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह गौवंश के प्रति हमारी जिम्मेदारी और देखभाल का प्रतीक भी है। इस पर्व के माध्यम से हमने न केवल गायों की पूजा की, बल्कि उनकी सुरक्षा और कल्याण के लिए भी जागरूकता फैलाई। गौवंश की देखभाल और संरक्षण हमारे समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए, और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इन पवित्र प्राणियों के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं।
हमारी सरकार और संबंधित संस्थाएं इस दिशा में प्रयासरत हैं, लेकिन हर व्यक्ति को भी इस कार्य में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। हम अपने स्तर पर गायों की देखभाल के लिए छोटे-छोटे कदम उठा सकते हैं, जैसे कि गोआश्रय स्थलों की सहायता करना, गायों को चारा और पानी देना, और गोवंश के महत्व के बारे में दूसरों को जागरूक करना।
इस प्रकार, गोवर्धन पर्व केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं की महत्वपूर्ण कड़ी है। आइए, हम सभी मिलकर इस पर्व को मनाएं और गौवंश की सेवा को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, जिससे आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण मिल सके।
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