शंभू बॉर्डर पर फिर आमने-सामने किसान और पुलिस, गरम माहौल के बीच दिखा सौहार्दपूर्ण नजारा
हरियाणा और पंजाब के किसानों के प्रदर्शन ने रविवार को शंभू बॉर्डर पर एक अनोखा दृश्य प्रस्तुत किया। जहां एक तरफ पुलिस और किसान अपनी-अपनी मांगों पर अड़े दिखे, वहीं दूसरी ओर दोनों पक्षों के बीच सौहार्द का भाव भी झलका। आंदोलन के दौरान, पुलिस ने किसानों को अदरक वाली चाय ऑफर की, तो किसानों ने पुलिसकर्मियों को पानी की बोतलें और भोजन देने की पेशकश की।
किसान आंदोलन: 299 दिन का संघर्ष और दिल्ली कूच की तैयारी
पंजाब और हरियाणा के किसान एमएसपी गारंटी कानून और अन्य मांगों को लेकर पिछले 299 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को 101 किसानों और मजदूरों का जत्था शंभू बॉर्डर पहुंचा। ये किसान दिल्ली की ओर कूच करने के लिए अड़े थे, लेकिन हरियाणा पुलिस ने बैरिकेड लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की।
किसानों और पुलिस के बीच टकराव की स्थिति तब बनी जब किसानों ने बैरिकेड तोड़ दिया। पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, जिससे कुछ किसानों को चोटें भी आईं।
पुलिस और किसानों के बीच दिखी मानवीयता
गरमाए माहौल के बीच एक पल ऐसा भी आया जिसने तनाव को कुछ समय के लिए हल्का कर दिया। हरियाणा पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को अदरक वाली चाय और बिस्किट ऑफर किए। इसके बदले में, किसानों ने भी पानी की बोतलें पुलिसकर्मियों को दीं और यहां तक कि उन्हें भोजन कराने की पेशकश की।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “अगर आपके घर कोई आता है, तो आप उसकी सेवा करते हैं।” इसी भावना के तहत सुरक्षाकर्मियों ने यह कदम उठाया।
आंसू गैस से किसान घायल, प्रशासन ने की मदद
पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाने से एक किसान, रेशम सिंह, घायल हो गए। वह पंजाब के बंठिडा जिले के निवासी और भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के सदस्य हैं। घायल किसान को पटियाला प्रशासन ने राजपुरा के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया।
पुलिस ने की परमिशन दिखाने की मांग
हरियाणा प्रशासन ने किसानों से पैदल मार्च के लिए परमिशन दिखाने को कहा। अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को दिल्ली कूच की अनुमति तभी दी जाएगी जब वे अपनी पहचान और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “हमने अपनी सूची पहले ही जारी कर दी है। अगर पुलिस हमसे सहयोग चाहती है, तो उन्हें हमें स्पष्ट रूप से बताना चाहिए।”
दिल्ली कूच की रणनीति पर अड़े किसान
किसान नेताओं का कहना है कि उनका उद्देश्य दिल्ली पहुंचकर अपनी मांगें प्रधानमंत्री तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि वे अपने अधिकारों के लिए किसी भी प्रकार के बलिदान के लिए तैयार हैं।
सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “यह निर्णय प्रधानमंत्री को लेना है कि हमारी समस्याओं का समाधान करें या हमें दिल्ली मार्च करने दें।”
मीडिया के लिए विशेष व्यवस्था
पटियाला के एसएसपी नानक सिंह ने कहा कि मीडिया को रोका नहीं गया है, लेकिन उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पिछली बार कई मीडियाकर्मी घायल हुए थे, इसलिए इस बार विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
किसान आंदोलन का संदेश: सौहार्द से हल हो सकते हैं विवाद
किसान आंदोलन के दौरान पुलिस और किसानों के बीच जो मानवीयता और सौहार्द का भाव दिखा, वह इस बात का प्रतीक है कि संवाद और सहयोग से किसी भी विवाद का समाधान निकाला जा सकता है।
प्रदर्शन के मुख्य बिंदु
- किसान एमएसपी गारंटी कानून और अन्य मांगों को लेकर अड़े हैं।
- पुलिस और किसानों के बीच टकराव के बावजूद सौहार्दपूर्ण व्यवहार देखने को मिला।
- घायल किसानों के लिए प्रशासन ने तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई।
- किसानों को दिल्ली कूच की अनुमति के लिए दस्तावेज दिखाने को कहा गया।
किसान आंदोलन और पुलिस के बीच समझ का पुल
हालांकि किसान आंदोलन कई बार गरमा चुका है, लेकिन रविवार का यह नजारा यह दर्शाता है कि इंसानियत और आपसी समझ से परिस्थितियां बेहतर बनाई जा सकती हैं।
इस आंदोलन ने दिखाया कि जब लोग एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सहयोग का भाव रखते हैं, तो विवाद भी सकारात्मक दिशा में बढ़ सकते हैं। किसान आंदोलन सिर्फ अधिकारों की लड़ाई ही नहीं, बल्कि समाज में संवाद और सामंजस्य की एक मिसाल भी है।