कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत पर उग्र प्रदर्शन, राजभवन के आसपास बढ़ाई गई सुरक्षा
लखनऊ में कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत के बाद स्थिति तनावपूर्ण, पुलिस की जांच तेज
लखनऊ: कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की संदिग्ध मौत ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसकी जांच की मांग करते हुए उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इस घटनाक्रम के बाद राज्य प्रशासन ने राजभवन की सुरक्षा बढ़ा दी है और भारी पुलिस बल तैनात किया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है और इस मामले में कुछ संदिग्धों से पूछताछ भी की जा रही है।
कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत से गहरी नाराजगी
प्रभात पांडे की मौत के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गहरी नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि उन्हें समय पर उचित इलाज नहीं मिल सका। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पांडे को जल्द अस्पताल नहीं ले जाया गया, जिससे उनकी जान जा सकती थी। इस मामले को लेकर प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे को कांग्रेस दफ्तर में बेहोश होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस पर कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि समय पर इलाज मिलता, तो उनकी जान बच सकती थी।
राजभवन पर सुरक्षा बढ़ाई गई
राजनीतिक विरोध और उग्र प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने राजभवन के पास सुरक्षा कड़ी कर दी है। भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। प्रशासन की ओर से पूरी स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कांग्रेस कार्यकर्ता को इलाज में देरी की वजह से उनकी मौत हो गई।
पुलिस की जांच में तेजी
लखनऊ पुलिस ने मामले की जांच में तेजी लाई है। पुलिस ने कांग्रेस कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों से पूछताछ की है और यह जानने की कोशिश की है कि प्रभात पांडे को बेहोश होने के बाद अस्पताल ले जाने में क्यों देरी हुई। पुलिस यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि क्या कोई लापरवाही बरती गई थी, जिससे समय पर इलाज नहीं मिल पाया।
द्वारिका शुक्ला और राकेश कुमार से पुलिस ने पूछताछ की है, जो प्रभात पांडे को अस्पताल ले गए थे। पुलिस का कहना है कि यह महत्वपूर्ण है कि यह पता चले कि इस घटना के पीछे क्या कारण थे। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि किसी भी कार्यकर्ता की मौत दुखद है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा
कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें यह स्पष्ट हुआ है कि उनके शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं पाए गए। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्रभात पांडे को कांग्रेस कार्यालय में दो घंटे तक अचेत अवस्था में पड़ा रहा, उसके बाद उसे सिविल हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने कई सवाल उठाए हैं, जिनमें यह प्रमुख सवाल है कि कार्यकर्ता को समय पर इलाज क्यों नहीं मिल सका। यह भी जांचा जा रहा है कि कांग्रेस दफ्तर में बेहोश होने के बाद क्या सही कदम उठाए गए थे।
कांग्रेस की ओर से प्रदर्शन
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रभात पांडे की मौत में कोई राजनीतिक साजिश हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार और पुलिस इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि दोषियों को सजा दिलवानी चाहिए।
कांग्रेस कार्यकर्ता की मौत: सवाल उठते हैं
कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत के बाद कई सवाल उठते हैं, जिनमें मुख्य सवाल यह है कि अगर समय पर इलाज मिल जाता, तो क्या उनकी जान बच सकती थी? इस मामले में पुलिस और प्रशासन के खिलाफ भी सवाल खड़े हो रहे हैं, कि क्या उनके द्वारा उचित कदम उठाए गए थे। कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर अपना विरोध जारी रखा है और कहा है कि उन्हें न्याय मिलना चाहिए।
राजनीतिक माहौल और तनाव
प्रभात पांडे की मौत ने लखनऊ में राजनीतिक माहौल को और भी गरमा दिया है। जहां एक ओर कांग्रेस कार्यकर्ता उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बीजेपी और अन्य विपक्षी पार्टियां भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दे रही हैं। इस घटना ने राज्य की राजनीति को एक नई दिशा में मोड़ दिया है।
कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत एक गंभीर घटना है, जिसे लेकर राजनीति में उबाल है। इस मामले की जांच तेज कर दी गई है, लेकिन यह सवाल बरकरार है कि क्या समय पर इलाज मिल जाता तो प्रभात पांडे की जान बच सकती थी? पुलिस और प्रशासन को निष्पक्ष जांच करके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
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