महाकुंभ 2025 में कैदियों का संगम स्नान: जेल प्रशासन ने की खास व्यवस्था
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प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, और इस बार यूपी की 75 जेलों में बंद 90 हजार से अधिक कैदियों को भी इसका आध्यात्मिक लाभ मिलेगा। जेल प्रशासन ने विशेष पहल करते हुए संगम का पवित्र जल सभी जेलों में पहुंचाने की योजना बनाई है, जिससे कैदी जेल परिसर में ही इस जल से स्नान कर सकें।
कैदियों के लिए संगम जल स्नान की विशेष व्यवस्था
उत्तर प्रदेश के जेल मंत्री दारा सिंह चौहान के निर्देशानुसार, 21 फरवरी को सुबह 9:30 से 10:00 बजे तक यह अनोखा कार्यक्रम सभी जेलों में आयोजित किया जाएगा। जेल प्रशासन ने सुरक्षा कर्मियों को भेजकर संगम से गंगाजल मंगवाने की व्यवस्था की है, जिससे कैदी अपने जेल परिसर में ही आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकें।
कैसे होगा महाकुंभ 2025 में कैदियों का संगम स्नान?
1. संगम से जल लाने की प्रक्रिया
गोरखपुर जिला जेल के जेलर ए. के. कुशवाहा ने बताया कि जेल प्रशासन ने अपने सुरक्षाकर्मी अरुण मौर्य को प्रयागराज भेजा है, जो वहां से गंगा जल लेकर आएंगे। इसी तरह, प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल और जिला जेल में भी यह व्यवस्था की गई है।
2. जेलों में कैसे रखा जाएगा गंगाजल?
जेल महानिदेशक पी. वी. रामासास्त्री के अनुसार, संगम से लाए गए पवित्र जल को जेलों में विशेष टैंक में रखा जाएगा और सामान्य जल में मिलाया जाएगा। इसके बाद कैदी प्रार्थना कर इस जल से स्नान करेंगे।
3. कैदियों में उत्साह, अधिकारियों की विशेष भागीदारी
लखनऊ जेल में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में जेल मंत्री दारा सिंह चौहान और अन्य वरिष्ठ जेल अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। प्रयागराज जिला जेल की वरिष्ठ अधीक्षक अमिता दुबे ने बताया कि उनके जेल में 1,350 से अधिक कैदी इस विशेष स्नान को लेकर उत्साहित हैं।
पहले भी हुआ है ऐसा आयोजन
इससे पहले, उन्नाव जेल प्रशासन ने 17 फरवरी को अपने कैदियों के लिए इसी तरह का कार्यक्रम आयोजित किया था। जेल अधीक्षक पंकज कुमार सिंह ने बताया कि 21 फरवरी को कैदियों को गंगा जल से स्नान का अवसर दोबारा मिलेगा।
महाकुंभ 2025: कब होगा समापन?
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला 2025 का समापन 26 फरवरी को होगा। इस दिन महाशिवरात्रि का पर्व भी है, जिस कारण यह दिन धार्मिक रूप से और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महाकुंभ 2025 में कैदियों के संगम स्नान के लिए किए गए इस प्रयास की सराहना की जा रही है। यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि कैदियों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।
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