पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) का शुभारंभ प्रयागराज के संगम तट पर हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं ने हर-हर गंगे और जय गंगा मैया के जयकारों के बीच पवित्र डुबकी लगाई। सोमवार सुबह 4:32 बजे से शुभ मुहूर्त शुरू होते ही गंगा तट पर भक्तों का तांता लग गया।
![पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ महाकुंभ का शुभारंभ](https://sampurnhindustan.in/wp-content/uploads/2025/01/1200-675-23025080-thumbnail-16x9-mahakumb-300x169.jpg)
पौष पूर्णिमा स्नान: आध्यात्मिकता और आस्था का प्रतीक
पौष पूर्णिमा स्नान महाकुंभ के पहले प्रमुख आयोजन के रूप में मनाया गया। इस दिन संगम तट पर एकत्रित लाखों श्रद्धालु भोर से ही गंगा स्नान करने पहुंचने लगे। प्रशासन के अनुसार, सुबह 7:30 बजे तक लगभग 35 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
स्नान का महत्व और धार्मिक मान्यताएं
पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान को अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद विधिवत पूजा-अर्चना और दान-पुण्य किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश
महाकुंभ 2025 के शुभारंभ पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “विश्व के विशालतम आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक समागम ‘महाकुंभ’ का आज से तीर्थराज प्रयागराज में शुभारंभ हो रहा है। माँ गंगा आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें।”
कल्पवास की परंपरा
पौष पूर्णिमा के साथ महाकुंभ में एक महीने तक चलने वाले कल्पवास का भी शुभारंभ हो गया। लाखों कल्पवासी संगम क्षेत्र में अपने शिविरों में डेरा डाल चुके हैं। यह परंपरा सनातन धर्म की गहरी आस्था और साधना का प्रतीक है।
संगम तट पर सुरक्षा और व्यवस्था
महाकुंभ 2025 के लिए प्रशासन ने संगम क्षेत्र में सुरक्षा और सुविधाओं के व्यापक इंतजाम किए हैं। पुलिस और सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स ने स्नान घाटों पर भीड़ नियंत्रण और श्रद्धालुओं को सहायता प्रदान की। घाटों पर लगे लाउडस्पीकर के माध्यम से भीड़ को व्यवस्थित किया गया।
मौसम का अनुकूल प्रभाव
पौष पूर्णिमा स्नान के दौरान मौसम ने भी साथ दिया। कोहरे और शीतलहर में कमी होने के कारण श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई। साफ आसमान और ठंडी हवा ने स्नान का अनुभव और भी पवित्र बना दिया।
महाकुंभ 2025 का आर्थिक महत्व
महाकुंभ 2025 का आयोजन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इस आयोजन के दौरान लगभग चार लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना है, जो देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान करेगा।
प्रयागराज की सड़कों पर जनसैलाब
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पर रविवार रात से ही प्रयागराज की सड़कों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हर तरफ श्रद्धा और उत्साह का माहौल देखने को मिला।
हर वर्ग में दिखा उत्साह
महाकुंभ 2025 में बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं सहित सभी वर्गों के लोगों का उत्साह देखने लायक था। श्रद्धालु सुबह-सुबह ही संगम तट पर पहुंचने लगे और गंगा स्नान के बाद पूजा-अर्चना और दान-पुण्य में भाग लिया।
सनातन संस्कृति का महोत्सव
महाकुंभ 2025 सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का अद्भुत उत्सव है। इस आयोजन में युवाओं और विदेशी पर्यटकों का विशेष उत्साह देखने को मिला।
प्रशासन की तैयारी और सुविधाएं
महाकुंभ 2025 की भव्यता को देखते हुए प्रशासन ने व्यापक प्रबंध किए हैं। घाटों पर स्वच्छता, पेयजल आपूर्ति और चिकित्सा सेवाएं 24 घंटे उपलब्ध हैं।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम
देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेला क्षेत्र में साफ-सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं का विशेष ध्यान रखा गया है।
![महाकुंभ 2025](https://sampurnhindustan.in/wp-content/uploads/2025/01/750189-magh-mela-300x200.avif)
महाकुंभ 2025 का पौष पूर्णिमा स्नान पर्व आस्था, आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाने वाला आयोजन है। लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इसे भव्य और विशेष बना दिया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
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