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Saturday, March 15, 2025

महाकुंभ 2025 प्रयागराज में आस्था की डुबकी: अमित शाह, सीएम योगी और साधु-संतों ने संगम में लगाई डुबकी

महाकुंभ 2025 प्रयागराज में आस्था की डुबकी: एक पवित्र आयोजन

महाकुंभ 2025 प्रयागराज में आस्था की डुबकी
महाकुंभ 2025 प्रयागराज में आस्था की डुबकी

महाकुंभ 2025 प्रयागराज में पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ आयोजित हो रहा है। इस बार गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, योग गुरु बाबा रामदेव और तमाम साधु-संतों ने संगम में डुबकी लगाई। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि देशभर से आए श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का केंद्र है।

अमित शाह ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी

24 जनवरी 2025 को गृहमंत्री अमित शाह ने प्रयागराज के संगम तट पर पहुंचकर पवित्र स्नान किया। उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और योग गुरु बाबा रामदेव भी उपस्थित थे। इसके बाद गृहमंत्री ने अक्षय वट और लेटे हनुमान के दर्शन किए। अमित शाह के इस दौरे ने महाकुंभ 2025 प्रयागराज की पवित्रता और भव्यता को और भी खास बना दिया।

सीएम योगी और राजनाथ सिंह भी हुए शामिल

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 जनवरी 2025 को अपनी कैबिनेट के साथ महाकुंभ में डुबकी लगाई। इसके पहले उन्होंने त्रिवेणी संकुल में एक विशेष बैठक आयोजित की। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब पूरी कैबिनेट महाकुंभ में एक साथ उपस्थित हुई। वहीं, 18 जनवरी 2025 को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी संगम तट पर स्नान किया।

महाकुंभ 2025 में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का दौरा

महाकुंभ 2025 प्रयागराज में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10 फरवरी को पहुंचेंगी और संगम में आस्था की डुबकी लगाकर इस आयोजन का हिस्सा बनेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी आगामी दिनों में महाकुंभ में भाग लेने वाले हैं। इस आयोजन में वीवीआईपी मेहमानों का शामिल होना इसकी भव्यता को और बढ़ा रहा है।

क्यों खास है महाकुंभ 2025 प्रयागराज?

महाकुंभ 2025 प्रयागराज केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें चार स्थानों पर गिरीं—हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। इन स्थानों पर ही कुंभ मेले का आयोजन होता है।

श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण

महाकुंभ 2025 प्रयागराज में संगम स्नान के साथ श्रद्धालु लेटे हनुमान, अक्षय वट और अन्य पवित्र स्थलों के दर्शन कर सकते हैं। यह आयोजन भारतीय परंपराओं को जीवित रखने का सबसे बड़ा उदाहरण है।

 

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