महाकुंभ में कांग्रेस नेताओं का स्नान: अजय राय ने दी सफाई

महाकुंभ का समापन और कांग्रेस नेताओं की अनुपस्थिति
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर महाकुंभ का भव्य समापन हुआ, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। लेकिन इस बार चर्चा का विषय यह रहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने संगम में स्नान क्यों नहीं किया? इसे लेकर सियासी चर्चाएं तेज हो गईं।
अजय राय का बड़ा बयान
इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महाकुंभ में कांग्रेस नेताओं का स्नान एक व्यक्तिगत आस्था का विषय है। उन्होंने बताया कि गांधी परिवार की ओर से उन्होंने स्वयं गंगा में डुबकी लगाई और देश की मंगलकामना के लिए प्रार्थना की।
“मैं कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते गांधी परिवार की ओर से वहां गया था और आस्था की डुबकी लगाई थी,” – अजय राय
‘महाकुंभ को राजनीति से जोड़ना गलत’
अजय राय ने यह भी कहा कि महाकुंभ एक धार्मिक और आध्यात्मिक पर्व है, इसे किसी भी तरह से राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुंभ में आकर स्नान करना हर व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था पर निर्भर करता है।
66 लाख श्रद्धालुओं ने किया स्नान
महाकुंभ 2025 के इस समापन स्नान में देशभर से आए 66 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पुण्य की डुबकी लगाई। इस दौरान आम जनता से लेकर कई बड़े नेता और साधु-संतों ने भी स्नान किया।
कांग्रेस नेताओं की गैर-मौजूदगी पर उठे सवाल
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की महाकुंभ स्नान से दूरी को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषक सवाल उठा रहे हैं। इसे लेकर बीजेपी नेताओं ने भी कटाक्ष किए हैं। हालांकि, अजय राय ने साफ कर दिया कि यह पूरी तरह व्यक्तिगत आस्था का मामला है और इसे राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।
महाकुंभ और आस्था का महत्व
महाकुंभ भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव माना जाता है, जहां करोड़ों लोग मोक्ष की प्राप्ति के लिए स्नान करते हैं। आचार्यों के अनुसार, कुंभ में स्नान करने से जीवन के पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि आम से लेकर खास लोग कुंभ में आकर आस्था की डुबकी लगाते हैं।
महाकुंभ में कांग्रेस नेताओं का स्नान न करने पर उठे सवालों का अजय राय ने स्पष्ट जवाब दे दिया है। उन्होंने इसे पूरी तरह से व्यक्तिगत श्रद्धा से जुड़ा विषय बताया और कहा कि इसे राजनीति से जोड़ना अनुचित है। महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन को आस्था और संस्कृति के नजरिए से ही देखा जाना चाहिए।
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