महाराष्ट्र और झारखंड में विपक्ष को सता रहा जोड़-तोड़ का डर, कांग्रेस ने पर्यवेक्षक किए नियुक्त

सर्दियों में विपक्ष को सता रहा जोड़-तोड़ का डर, कांग्रेस ने पर्यवेक्षक किए नियुक्त; एक जगह भेजे जाएंगे सभी विधायक

कांग्रेस ने पर्यवेक्षक किए नियुक्त

सर्दियों में होने वाले विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद, महाराष्ट्र और झारखंड में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों के नेताओं को जोड़-तोड़ की संभावना सता रही है। खासतौर से कांग्रेस ने दोनों राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। यहां हम जानेंगे कि इन राज्यों में विपक्ष को जोड़-तोड़ के डर से कैसे निपटा जा रहा है और कांग्रेस की रणनीति क्या है।

महाराष्ट्र और झारखंड में विपक्षी जोड़-तोड़ का डर

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव परिणामों के आने से पहले विपक्षी नेताओं को जोड़-तोड़ का डर सताने लगा है। खासतौर से कांग्रेस पार्टी ने अपनी तरफ से पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है ताकि चुनाव परिणामों के बाद कोई भी राजनीतिक साजिश कामयाब न हो सके।

कांग्रेस द्वारा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति

कांग्रेस ने दोनों राज्यों में अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। महाराष्ट्र के लिए अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, और डॉ. जी. परमेश्वर को पर्यवेक्षक बनाया गया है। वहीं, झारखंड के लिए तारिक अनवर, मल्लू भट्टी विक्रमार्क और कृष्णा अल्लावुरु को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। कांग्रेस का उद्देश्य इन पर्यवेक्षकों के माध्यम से यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव परिणामों के बाद किसी भी प्रकार की जोड़-तोड़ से बचा जा सके।

महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन का डर और सावधानियां

महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी (MVA) के नेताओं को चुनाव परिणामों के बाद जोड़-तोड़ का डर सताने लगा है। एक्जिट पोल्स में महायुति के पक्ष में बढ़त दिखाए जाने के बावजूद महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने अपनी एकजुटता बनाए रखने का प्रयास किया है।

महाविकास आघाड़ी की चिंता

एक्जिट पोल्स में महायुति को बढ़त मिलने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने इन परिणामों पर विश्वास न करने की बात कही है। शिवसेना के संजय राउत ने दावा किया कि महाविकास आघाड़ी के घटक दलों के सभी विधायकों को मुंबई में एक स्थान पर भेजा जाएगा ताकि किसी भी प्रकार के जोड़-तोड़ से बचा जा सके।

शिवसेना का बड़ा दावा

राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए यह भी दावा किया कि महाविकास आघाड़ी के घटक दलों ने बृहस्पतिवार को बैठक की और सभी सीटों का आकलन किया। राउत के मुताबिक, इस बार महाविकास आघाड़ी के लिए 160 सीटें जीतने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी प्रकार की जोड़-तोड़ को सफल नहीं होने दिया जाएगा।

कांग्रेस नेताओं को मुंबई बुलाने की योजना

महाराष्ट्र

राउत ने यह भी कहा कि महाविकास आघाड़ी के सभी विधायकों को मुंबई में एक स्थान पर रखने का निर्णय लिया गया है। उनका मानना है कि महाराष्ट्र में अगर बहुमत मिलता है तो भी भाजपा सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है, और ऐसे में विपक्ष के विधायकों को एकजुट रहना जरूरी होगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को मुख्यमंत्री पद पर सहमति के लिए मुंबई बुलाया जाएगा, क्योंकि राकांपा के शरद पवार और शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुंबई में ही हैं।

राष्ट्रपति शासन का खतरा

राउत ने आशंका जताई कि विपक्ष के पास बहुमत होने के बावजूद भाजपा राज्यपाल के माध्यम से महाविकास आघाड़ी को सरकार बनाने में रुकावट डालने की कोशिश कर सकती है। इस स्थिति में, अगर 25 नवंबर तक नई सरकार नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।

महाराष्ट्र में विधायकों के लिए आवास व्यवस्था

राउत ने यह भी बताया कि महाविकास आघाड़ी के सभी विधायकों के लिए मुंबई में आवासीय व्यवस्था की जाएगी। इसके तहत सभी विधायकों को एक जगह पर रखा जाएगा, ताकि वे एकजुट रह सकें और किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव से बच सकें। यह कदम महाविकास आघाड़ी को जोड़-तोड़ से बचाने के लिए उठाया गया है।

मुख्यमंत्री पद पर कोई फॉर्मूला नहीं

राउत ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई फॉर्मूला तय नहीं किया गया है। सभी विधायक मिलकर सरकार का नेता चुनेंगे। यह निर्णय मुंबई में लिया जाएगा, और कोई भी बाहरी दबाव विपक्ष को अपने निर्णय बदलने पर मजबूर नहीं कर सकता।

झारखंड में भी बढ़ रही राजनीतिक हलचल

झारखंड में भी विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद जोड़-तोड़ का डर है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को डर है कि भाजपा झारखंड में भी वही खेल कर सकती है जो महाराष्ट्र में चल रहा है। हालांकि, कांग्रेस ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए झारखंड में भी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है, ताकि चुनाव परिणामों के बाद कोई राजनीतिक साजिश कामयाब न हो सके।

महाराष्ट्र और झारखंड में विपक्षी दलों के बीच जोड़-तोड़ का डर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। कांग्रेस ने अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए दोनों राज्यों में पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। इसके अलावा, महाविकास आघाड़ी ने भी अपनी एकजुटता बनाए रखने के लिए कदम उठाए हैं, ताकि चुनाव परिणामों के बाद कोई भी जोड़-तोड़ न हो सके। दोनों राज्यों में राजनीतिक हलचल और जोड़-तोड़ की संभावनाओं को देखते हुए, विपक्षी दलों ने अपने विधायकों को एक जगह पर रखने की योजना बनाई है ताकि कोई भी सियासी खेल न हो सके।

 

 

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