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Wednesday, March 26, 2025

ममता बनर्जी: इंडिया ब्‍लॉक के सहारे बंगाल से दिल्ली की राह, पर घर की बगावत बनी चुनौती

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जिनके नेतृत्व को कभी ‘इंडिया’ गठबंधन की कमान सौंपने की बात कही जा रही थी, अब खुद अपने घर में पार्टी के भीतर उथल-पुथल का सामना कर रही हैं। इंडिया ब्‍लॉक का भविष्य उनके नेतृत्व में क्या होगा, यह सवाल उठने लगा है। पार्टी के महासचिव और ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ उनके मतभेद अब सार्वजनिक हो गए हैं। इससे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के भविष्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

ममता बनर्जी
ममता बनर्जी

टीएमसी के अंदर बढ़ते मतभेद

टीएमसी के भीतर मतभेद तब और स्पष्ट हो गए जब अभिषेक बनर्जी ने पार्टी के नेताओं के बहिष्कार वाले बयान से असहमति जताई। यह मामला तब शुरू हुआ जब कोलकाता में न्यू ईयर ईव पर आयोजित एक कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। इस कार्यक्रम में गायक कलाकार लग्नजिता चक्रवर्ती के प्रदर्शन पर रोक लगाई गई थी।

पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि जो कलाकार पार्टी और सरकार पर अपमानजनक बयान देते हैं, उन्हें टीएमसी के मंच पर आने का अधिकार नहीं है। हालांकि, अभिषेक बनर्जी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हर किसी को अपनी स्वतंत्रता है और यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है कि वे कहां और कब प्रदर्शन करेंगे।

अभिषेक बनर्जी बनाम ममता बनर्जी

इस मुद्दे पर पार्टी दो हिस्सों में बंट गई है। ममता बनर्जी ने सार्वजनिक रूप से अभिषेक के करीबियों पर निशाना साधा। उन्होंने 2 जनवरी को एक बैठक में शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु और परिवहन मंत्री स्नेहाशिस चक्रवर्ती की आलोचना की। इसके साथ ही उन्होंने बीरभूम के जिला मजिस्ट्रेट को भी फटकार लगाई। यह संकेत देता है कि पार्टी के भीतर अभिषेक बनर्जी और ममता बनर्जी के बीच खींचतान अब गहराती जा रही है।

बीरभूम में अभिषेक के करीबी माने जाने वाले अनुव्रत मंडल का जिक्र करते हुए ममता ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट उन्हें अधिक तवज्जो दे रहे हैं। अनुव्रत मंडल, जो जेल से बाहर आने के बाद फिर से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, इस विवाद के केंद्र में हैं।

इंडिया ब्‍लॉक का नेतृत्व और ममता की चुनौती

हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इंडिया ब्‍लॉक की हार के बाद ममता बनर्जी को गठबंधन की कमान सौंपने की चर्चा जोरों पर थी। लेकिन अब यह सवाल उठता है कि जो ममता अपने घर के मतभेद नहीं सुलझा पा रही हैं, वह पूरे गठबंधन को कैसे संभालेंगी? कांग्रेस, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे नेता पहले ही नेतृत्व में बदलाव की मांग कर चुके हैं।

टीएमसी के भविष्य पर सवाल

टीएमसी में इस समय असमंजस की स्थिति है। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष और सांसद कल्याण बनर्जी जैसे नेता ममता बनर्जी के समर्थन में खड़े हैं। कल्याण बनर्जी ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं की सभी भावनाएं ममता बनर्जी के चारों ओर केंद्रित हैं। लेकिन अभिषेक बनर्जी की बढ़ती महत्वाकांक्षा और ममता बनर्जी के साथ उनके मतभेद पार्टी के भीतर तनाव को बढ़ा रहे हैं।

पार्टी के प्रदर्शन पर ममता का गुस्सा

ममता बनर्जी ने 2 जनवरी को एक बैठक में शिक्षा और परिवहन विभागों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने सवाल उठाया कि प्राइमरी स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम जैसी नीतियां उनके और मुख्य सचिव के बिना जानकारी के कैसे लागू की जा सकती हैं। परिवहन विभाग के खराब प्रबंधन पर भी ममता ने नाराजगी जताई।

कलाकारों का बहिष्कार विवाद

कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर टीएमसी के भीतर विवाद तेज हो गया है। गायिका देबलीना दत्ता ने दावा किया कि उनके भी कई कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब अभिषेक बनर्जी ने इन बहिष्कार के फैसलों का विरोध किया।

ममता बनर्जी का अंतिम निर्णय

पार्टी में चल रहे मतभेदों के बीच ममता बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि टीएमसी में अंतिम निर्णय उनका ही होगा। यह बात उन्होंने उस समय कही जब पार्टी में अभिषेक बनर्जी की बड़ी भूमिका को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं।

टीएमसी के भीतर ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के बीच मतभेद ने पार्टी को दो हिस्सों में बांट दिया है। ममता बनर्जी के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती अपने घर को संभालने की है। अगर यह मतभेद जारी रहा, तो न सिर्फ टीएमसी बल्कि इंडिया ब्‍लॉक का भविष्य भी अधर में लटक सकता है।

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पकड़ भले ही मजबूत हो, लेकिन पार्टी के भीतर बढ़ते तनाव से उनके नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में ममता के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह पहले अपना घर संभालें या देश?

 

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