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Saturday, March 15, 2025

मुरादाबाद में 44 साल से बंद गौरी शंकर मंदिर: गर्भगृह की खुदाई में मिला शिवलिंग

नगर निगम की टीम को 44 साल बाद मिला गौरी शंकर मंदिर

मुरादाबाद में 44 साल से बंद गौरी शंकर मंदिर मिला
मुरादाबाद में 44 साल से बंद गौरी शंकर मंदिर मिला

मुरादाबाद में एक ऐतिहासिक खोज हुई जब 44 साल से बंद गौरी शंकर मंदिर को नगर निगम की टीम ने ढूंढ निकाला। नगर निगम की टीम द्वारा की गई खुदाई में मंदिर के गर्भगृह से शिवलिंग सहित नंदी, गणेश, कार्तिकेय और भगवान हनुमान की मूर्तियां मिलीं। इनमें से कई मूर्तियां खंडित अवस्था में पाई गईं। मंदिर को 1980 के दंगों के बाद बंद कर दिया गया था और इसके दोनों दरवाजों को मलबे से चिनवा दिया गया था।

मंदिर की खोज: शिवलिंग और खंडित मूर्तियों की प्राप्ति

नगर निगम की टीम ने झब्बू का नाला मोहल्ले में स्थित इस मंदिर का निरीक्षण किया। खुदाई के दौरान गर्भगृह से शिवलिंग और खंडित मूर्तियां मिलीं, जिनमें नंदी, गणेश, कार्तिकेय और हनुमानजी की मूर्तियां शामिल हैं। अधिकारियों ने इन मूर्तियों को बाहर निकालकर साफ-सफाई कराई। इसके बाद मंदिर को पूजा-अर्चना के लिए तैयार करने का कार्य शुरू किया गया।

1980 के दंगों का दुष्प्रभाव

गौरी शंकर मंदिर 1980 के दंगों के दौरान पुजारी की हत्या के बाद बंद कर दिया गया था। मलबे और ईंटों से इसके द्वारों को बंद कर दिया गया था। पुजारी के पोते ने हाल ही में जिला प्रशासन को आवेदन देकर इस मंदिर को फिर से खोलने की अपील की थी। इसके बाद प्रशासन ने इस स्थल की खुदाई और सफाई का कार्य शुरू किया।

खुदाई के दौरान मिली मूर्तियां

खुदाई में शिवलिंग के साथ-साथ नंदी, गणेश, कार्तिकेय और हनुमानजी की मूर्तियां मिलीं। हालांकि, इनमें से अधिकांश मूर्तियां खंडित अवस्था में हैं। प्रशासन ने मंदिर की साफ-सफाई और रंग-रोगन के बाद मूर्तियों की पुनर्स्थापना का निर्णय लिया है।

मंदिर के गर्भगृह की सफाई के दौरान सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल की निगरानी में नगर निगम ने खुदाई का कार्य संपन्न किया। प्रशासन ने बताया कि मूर्तियों को सहेजने और मंदिर को पूजा-अर्चना के लिए तैयार करने में कुछ और समय लग सकता है।

एसडीएम ने दी जानकारी

एसडीएम राम मोहन मीणा ने बताया कि यह मंदिर 1980 के दंगों के बाद से बंद था। नगर निगम की टीम और पुलिस बल ने मिलकर मंदिर का निरीक्षण किया और इसके गर्भगृह को खाली कराया। मंदिर में मिली मूर्तियों को व्यवस्थित करने और पूजा-अर्चना शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने बताया कि मंदिर के दोनों द्वार ईंट और मलबे से पूरी तरह बंद थे, जिन्हें खोलकर अंदर से मलबा हटाया गया।

अन्य मंदिरों की खोज

मुरादाबाद

गौरी शंकर मंदिर की खोज के साथ यह पहली बार नहीं है जब ऐसे मंदिर मिले हैं। इससे पहले संभल के मुस्लिम बहुल इलाके में 46 साल से बंद शिव मंदिर की खोज हुई थी। यह मंदिर बिजली चोरी की जांच के दौरान पाया गया था। खुदाई के बाद इस मंदिर में फिर से पूजा-अर्चना शुरू की गई। इसी तरह वाराणसी और बुलंदशहर के खुर्जा में भी बंद मंदिर मिले हैं। ये मंदिर भी मुस्लिम बहुल इलाकों में स्थित थे।

मंदिर की ऐतिहासिक महत्ता

गौरी शंकर मंदिर मुरादाबाद की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है। 44 साल से बंद इस मंदिर को फिर से खोलने से धार्मिक आस्था को बल मिलेगा। यह मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि शहर की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मंदिर के गर्भगृह में मिले शिवलिंग और अन्य मूर्तियां इस बात का प्रमाण हैं कि यह स्थान कभी धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था। प्रशासन और स्थानीय समुदाय ने इसे पुनः स्थापित करने के लिए बड़े प्रयास शुरू किए हैं।

नगर निगम की भूमिका

नगर निगम ने इस मंदिर की खोज और खुदाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मंदिर के गर्भगृह से निकली मूर्तियों को सुरक्षित निकालकर उनकी सफाई कराई गई। इसके अलावा, मंदिर की दीवारों की मरम्मत और पुनर्निर्माण का कार्य भी शुरू किया गया है। मंदिर के खंडित भागों को ठीक करने के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।

स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया

स्थानीय समुदाय ने मंदिर की पुनर्स्थापना के प्रयासों का स्वागत किया है। लोगों का कहना है कि मंदिर के खुलने से इलाके में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, इस मंदिर के खुलने से क्षेत्र के विकास में भी योगदान होगा। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने की अपील की है।

मुरादाबाद का गौरी शंकर मंदिर: सांस्कृतिक धरोहर की पुनर्स्थापना

मुरादाबाद में स्थित यह मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इसे पुनः खोलने से धार्मिक आस्था को बढ़ावा मिलेगा। प्रशासन और नगर निगम के प्रयास से यह मंदिर जल्द ही पूजा-अर्चना के लिए तैयार हो जाएगा।

मंदिर के अंदर मिले शिवलिंग और मूर्तियों की स्थापना के बाद यह स्थल फिर से धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा। यह मंदिर न केवल मुरादाबाद बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल साबित होगा।

 

 

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