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Wednesday, March 19, 2025

नेपाल और भारत का सम्बन्ध जीवन और मरण का अटूट रिश्ता है: पूर्व मन्त्री अब्दुल खान

जीवन और मरण के रिश्ते में नेपाल-भारत की कैसी बेहतर भूमिका

नेपाल और भारत
नेपाल और भारत

रुपईडीहा बहराइच -अन्तर्राष्ट्रिय समरसता मंच द्वारा 25 दिसंबर को ” वैश्विक शान्ति समरसता सम्मेलन आयोजित किया गया, एवं 192 राष्ट्रों का नागरिक अभिनन्दन समारोह भारत रत्न एवं स्व. पूर्व भारतीय प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जन्म सताब्दी समारोह पर अटल समरसता रत्न अलंकरण जयन्ती समारोह” कार्यक्रम में नेपाल के प्रथम उप राष्ट्रपति सम्माननीय परमानन्द झा के प्रमुख अतिथ्य में और पूर्व केन्द्रीय माननीय मन्त्री अब्दुल खांन जी के विशेष अतिथि में काठमान्डौं नेपाल में कार्यक्रम सम्पन्न हुवा। इस कार्यक्रम में नेपाल सरकार के पूर्व मन्त्री एवं जनमत पार्टी के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष माननीय अब्दुल खान जी ने स्वागत् सम्वोधन करते हुवे कहा की नेपाल और भारत का रिस्ता सिर्फ रोटी और बेटी का नही अपितु जीवन और मरण का है। उनहोने सम्बोधन करते हुए आगे कहा कि, जैसे मा जानकी का जन्म नेपाल में हुआ और सीता माता भारत ने बनाया, सिद्धार्थ का जन्म नेपाल में हुआ, परन्तु भगवान गौतम बुद्ध भारत में स्थापित हुये। इस प्रकार देव काल, आदिम काल से लेकर आज तक यह सम्बन्ध कायम है। इसे तोड पाना मुमकिन नहीं बल्कि नामुमकिन है, आगे उन्होने कहा पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ, जनकपुर धाम, लुम्बिनी का धार्मिक सर्किट बनाया जाए ताकि दुनिया भर से आने वाले तीर्थ यत्रियों कोे नेपाल भारत कि धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विषयों का ज्ञान हाे सके। भारत सहित दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालुओं का नेपाल मे मान सम्मान हो सके यह व्यवस्था नेपाल सरकार को लागू करनी चाहिए। इसमें भारत सरकार का भी अहम भूमिका होनी चाहिए।

नेपाल और भारत के रिश्ते ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से सदियों पुराने हैं। यह संबंध केवल ‘रोटी और बेटी’ तक सीमित नहीं है बल्कि जीवन और मरण का ऐसा अटूट बंधन है जिसे तोड़ना असंभव है। इस बात को नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री और जनमत पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, माननीय अब्दुल खान ने ‘वैश्विक शांति समरसता सम्मेलन’ में अपने संबोधन में दोहराया। यह सम्मेलन 25 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय समरसता मंच द्वारा आयोजित किया गया था।

अटल समरसता रत्न अलंकरण जयंती समारोह

काठमांडू, नेपाल में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेपाल के प्रथम उपाज्य परमानंद झा थे। कार्यक्रम के विशेष अतिथि माननीय अब्दुल खान ने ने नेपाल-भारत के अमिट्य दौर को सामाने की व्याक्रता की।

जनकी और गौतम बुद्ध की जन्मभूमिक कहानी

अपने संबोधन में खान जी ने नेपाल और भारत के घनिष्ठ जोड़े पे जोड़े प्रकाशको अपने व्यक्तव्यों के साथ जोड़ा के अक्षय जोड़े को बनाने की व्याक्रता की।

गौतम बुद्ध के जन्म और भारत में उनके विकास की चर्चा की आवश्यकता के साथ नेपाल की संस्कृति को जोड़ना चाहिए।

धार्मिक क्षेत्र की निर्माण के प्रस्तावों की संचालना

खान जी ने नेपाल की धार्मिक मैपानों की चर्चा की जरूरत प्रस्ताव दीये।

पूर्व मंत्री अब्दुल खान के जीवन और मरण के प्रतिक्र

जीवन और मरण के रिश्ते में नेपाल-भारत की कैसी बेहतर भूमिका

नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री और जनमत पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष माननीय अब्दुल खान ने कहा कि “नेपाल और भारत का संबंध सिर्फ रोटी और बेटी का नहीं बल्कि जीवन और मरण का है।”

उन्होंने कहा कि जैसे मा जानकी का जन्म नेपाल में हुआ और सीता माता भारत में जानी गई, सिद्धार्थ का जन्म नेपाल में हुआ परंतु भगवान गौतम बुद्ध भारत में स्थापित हुए। यह संबंध देवकाल और आदिम काल से लेकर आज तक कायम है।

नेपाल और भारत की ज्यूति की देवीय कान

पूर्व मंत्री ने आगे कहा कि “पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ, जनकपुर धाम, लुम्बिनी का धार्मिक सर्किट बनाया जाए ताकि दुनिया भर से आने वाले तीर्थ यात्रियों को नेपाल भारत के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विषयों का ज्ञान हो सके।”

नेपाल और भारत के मैत्री संबंध को एक नए आर्थिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्षित करने की जरूरत जैसे जाना चाहिए।

भारत और नेपाल की धार्मिक यात्रा के लिए सर्किट की आवश्यकता

पूर्व मंत्री अब्दुल खान के अनुसारों को ध्यान में रखते हुए भारत और नेपाल के धार्मिक क्षेत्रों को जोड़े पर सथ काम करने की शाक्ता की गयी। केवल कायसों को धार्मिक यात्राओं के लिए नेपाल और भारत के संबंध को और मजबूत

 

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