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World Rabies Day 2024: 5 छिपे हुए कारण जिनसे फैलता है रेबीज , जानें सुरक्षा के प्रभावी उपाय!

World Rabies Day 2024: 5 छिपे हुए कारण जिनसे फैलता है रेबीज , जानें सुरक्षा के प्रभावी उपाय!

हर साल 28 सितंबर को मनाया जाने वाला विश्व रेबीज दिवस (World Rabies Day )  एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो इस घातक बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। रेबीज, एक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से कुत्तों के काटने से फैलती है, लेकिन इसके अन्य स्रोत भी हैं। इस दिन का उद्देश्य न केवल रेबीज के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, बल्कि लोगों को इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपायों के बारे में भी जानकारी प्रदान करना है।

5 छिपे हुए कारण जिनसे फैलता है रेबीज ,जानें सुरक्षा के प्रभावी उपाय!
5 छिपे हुए कारण जिनसे फैलता है रेबीज ,जानें सुरक्षा के प्रभावी उपाय!

रेबीज का कारण

रेबीज एक वायरल संक्रमण है जो रेबिडोविरस के कारण होता है। यह वायरस संक्रमित जानवरों के थूक के माध्यम से फैलता है। कुत्ते, बिल्ली, और अन्य मांसाहारी जानवर इस वायरस के प्रमुख वाहक हैं। हालांकि, कुत्तों के काटने के अलावा, रेबीज फैलने के और भी कई तरीके हैं। जैसे:

  1. अन्य जानवरों के काटने: कुत्तों के अलावा, बैट्स (चमगादड़), तिलचट्टे, और अन्य जंगली जानवर भी रेबीज के वाहक हो सकते हैं। इन जानवरों के काटने से भी संक्रमण का खतरा होता है।
  2. थूक का संपर्क: यदि संक्रमित जानवर का थूक किसी खुले घाव या आंख, मुंह में लगता है, तो इससे भी रेबीज फैल सकता है। यह उन लोगों के लिए खतरा है जो जंगली जानवरों के संपर्क में आते हैं या जिनके पास पालतू जानवर हैं।
  3. संक्रमित जानवरों से निकटता: बहुत से लोग बिना सावधानी बरते जंगली जानवरों के पास जाते हैं। इन जानवरों के साथ निकटता या उन्हें छूने से भी संक्रमण हो सकता है, खासकर अगर जानवर संक्रमित है।

रेबीज के लक्षण

रेबीज के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के बाद 1 से 3 महीने में प्रकट होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह समय सीमा कम या ज्यादा भी हो सकती है। इसके प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, और मांसपेशियों में दर्द शामिल होते हैं। जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, अन्य लक्षण जैसे कि:

  • अत्यधिक चिंता या उत्तेजना: मरीज चिड़चिड़े और चिंतित महसूस करते हैं।
  • पानी का डर: एक प्रमुख लक्षण, जिसमें मरीज को पानी पीने में कठिनाई होती है, और उन्हें पानी से भय लगता है।
  • अत्यधिक संवेदनशीलता: ध्वनि और प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशीलता भी हो सकती है।
  • जुंबिश में कठिनाई: जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, मरीज को मांसपेशियों में जकड़न और लकवा भी हो सकता है।

रेबीज के बचाव के उपाय

रेबीज से बचाव के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण उपाय इस प्रकार हैं:

  1. पालतू जानवरों का टीकाकरण: यदि आपके पास पालतू कुत्ते या बिल्ली है, तो उनका रेबीज के खिलाफ नियमित टीकाकरण कराना अनिवार्य है। यह न केवल आपके जानवर को सुरक्षित रखता है, बल्कि आपके परिवार और समुदाय को भी।
  2. संक्रमित जानवरों से दूरी: जंगली जानवरों से संपर्क से बचें, खासकर उन क्षेत्रों में जहां रेबीज की महामारी हो सकती है। यदि कोई जानवर अजीब व्यवहार कर रहा है, तो उससे दूर रहें और उसे छूने की कोशिश न करें।
  3. बच्चों को शिक्षित करें: बच्चों को जानवरों के साथ खेलने या उन्हें छूने से पहले सावधानी बरतने के बारे में बताएं। उन्हें सिखाएं कि वे अज्ञात जानवरों के पास न जाएं।
  4. घाव को तुरंत धोएं: यदि आप किसी जानवर के काटने या खरोंचने के शिकार होते हैं, तो तुरंत उस स्थान को साबुन और पानी से धोएं और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  5. आपातकालीन चिकित्सा सहायता: यदि किसी संक्रमित जानवर द्वारा काटा गया हो, तो एंटीरेबिस वैक्सीन (Post-Exposure Prophylaxis) प्राप्त करना न भूलें। यह उपचार संक्रमण से बचाने में अत्यधिक प्रभावी है।

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जागरूकता और शिक्षा

विश्व रेबीज दिवस (World Rabies Day ) पर जागरूकता फैलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विभिन्न संगठन और समुदाय इस दिन को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मनाते हैं, जिसमें सेमिनार, कार्यशालाएं, और टीकाकरण अभियान शामिल हैं। लोगों को यह समझाना जरूरी है कि रेबीज केवल कुत्तों के काटने से नहीं फैलता, बल्कि अन्य जानवरों से भी हो सकता है।

World Rabies Day 2024: 5 छिपे हुए कारण जिनसे फैलता है रेबीज , जानें सुरक्षा के प्रभावी उपाय!
World Rabies Day 2024: 5 छिपे हुए कारण जिनसे फैलता है रेबीज , जानें सुरक्षा के प्रभावी उपाय!

रेबीज एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसके प्रभावी उपाय और जागरूकता से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। विश्व रेबीज दिवस हमें याद दिलाता है कि सभी को रेबीज के प्रति जागरूक होना चाहिए और इससे बचने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। हमें अपने पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण करवाना चाहिए और जंगली जानवरों के संपर्क से दूर रहना चाहिए। अंततः, रेबीज से बचाव संभव है, बस जरूरत है सही जानकारी और जागरूकता की।

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चिंता और तनाव के कारण

आज के तेज़ी से बदलते जीवन में मानसिक स्वास्थ्य ( Mental health )एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। चिंता और तनाव की समस्या आम होती जा रही है, और यह न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि हमारे परिवार और कामकाजी माहौल पर भी नकारात्मक असर डालती है। यदि आप लगातार चिड़चिड़े महसूस कर रहे हैं या मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप इसके कारणों को समझें और उचित उपाय अपनाएं।

चिंता और तनाव के कारण
  चिंता और तनाव के कारण

चिंता और तनाव के कारण

चिंता और तनाव के कई कारण हो सकते हैं, जैसे नौकरी की असुरक्षा, वित्तीय दबाव, व्यक्तिगत संबंधों में खटास, या स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं। जब ये समस्याएँ लगातार बनी रहती हैं, तो वे मानसिक स्वास्थ्य( Mental health ) पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमारी सोच और भावनाएँ हमारे व्यवहार को कैसे प्रभावित करती हैं।


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संकेत और लक्षण

यदि आप अक्सर चिड़चिड़े या चिंता में रहते हैं, तो इसके कुछ स्पष्ट संकेत होते हैं। जैसे नींद में परेशानी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, थकान, या मानसिक थकावट। इसके अलावा, शारीरिक लक्षण जैसे दिल की धड़कन तेज होना, पसीना आना, या मांसपेशियों में तनाव भी चिंता का संकेत हो सकते हैं। इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना ठीक नहीं है, क्योंकि ये आगे चलकर गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

Mental health : सही दिनचर्या अपनाना
                      Mental health : सही दिनचर्या अपनाना

सही दिनचर्या अपनाना

तनाव और चिंता को नियंत्रित करने के लिए एक संतुलित दिनचर्या बनाना आवश्यक है। सुबह की शुरुआत योग या ध्यान से करें। यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करेगा। नियमित व्यायाम जैसे दौड़ना, तैरना या साइकलिंग करना भी तनाव को कम करता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।

सही खानपान

हमारे खानपान का सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य से है। अत्यधिक कैफीन और शर्करा वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए, क्योंकि ये चिंता को बढ़ा सकते हैं। इसके बजाय, फल, सब्जियां, साबुत अनाज और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। नियमित अंतराल पर स्वस्थ स्नैक्स लेना भी फायदेमंद हो सकता है।

आराम के तकनीकें

आराम तकनीकों को अपनाना मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद कर सकता है। ध्यान, गहरी सांस लेना, या प्राणायाम जैसी तकनीकें आपके मस्तिष्क को शांति देने में मदद करती हैं। आप अपने दिन के अंत में कुछ समय निकालकर ये तकनीकें अपना सकते हैं। इससे न केवल चिंता कम होगी, बल्कि आपकी नींद की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

 

सकारात्मक सोच

पॉजिटिव थिंकिंग यानी सकारात्मक सोच मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। जब आप नकारात्मक विचारों में उलझ जाते हैं, तो उनसे निकलना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, सकारात्मक विचारों को विकसित करना और उन्हें अपने जीवन में शामिल करना महत्वपूर्ण है। आप अपने दिन के अंत में तीन अच्छी चीजें लिख सकते हैं, जो आपके साथ हुई हों। यह अभ्यास आपके दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाएगा।

सोशल सपोर्ट

अपने दोस्तों और परिवार से संपर्क बनाए रखना मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकता है। जब आप अपनी भावनाओं को साझा करते हैं, तो इससे आपको मानसिक राहत मिलती है। जरूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से सहायता लेना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि आप सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।


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तकनीकी उपकरणों का उपयोग

आज के डिजिटल युग में, मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कई मोबाइल ऐप और ऑनलाइन संसाधन उपलब्ध हैं। ये ऐप आपको ध्यान, योग और अन्य मानसिक स्वास्थ्य गतिविधियों में मदद कर सकते हैं। इनका उपयोग करके आप अपनी मानसिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं।

आखिरकार, मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। चिंता और तनाव को नियंत्रित करने के लिए उपरोक्त उपायों को अपनाना आपके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है। याद रखें, एक स्वस्थ मन और स्वस्थ जीवन के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है। अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और इसे सुधारने के लिए कदम उठाएं। आप अकेले नहीं हैं; समर्थन हमेशा उपलब्ध है।

World Heart Day : “हृदय स्वास्थ्य का संकल्प , जीवन में लाएं खुशहाली और सुरक्षा”

हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारे हृदय स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और हृदय रोगों की रोकथाम के लिए समर्पित है। हृदय रोग आज की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है, जो विश्वभर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को हृदय स्वास्थ्य के महत्व के बारे में शिक्षित करना और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

हृदय रोग का मुख्य कारण
हृदय रोग का मुख्य कारण

हृदय रोग का मुख्य कारण

हृदय रोग का मुख्य कारण जीवनशैली में बदलाव है। अस्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधियों की कमी, धूम्रपान, और तनाव जैसी आदतें हृदय को कमजोर कर सकती हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर साल लाखों लोग हृदय रोग के कारण अपनी जान गंवाते हैं। इसलिए, इस दिन यह आवश्यक है कि हम अपने जीवन में छोटे-छोटे परिवर्तन लाकर अपने हृदय को स्वस्थ रख सकें।

हृदय रोग का मुख्य कारण
हृदय रोग का मुख्य कारण

हृदय स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार और व्यायाम

स्वस्थ आहार का चयन हृदय स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे मछली, अखरोट और बीजों का सेवन हृदय की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा, हमें प्रोसेस्ड फूड और उच्च शर्करा वाले पदार्थों से बचना चाहिए। सही आहार के साथ-साथ नियमित व्यायाम भी आवश्यक है। 30 मिनट की दैनिक शारीरिक गतिविधि हृदय रोग के जोखिम को काफी कम कर सकती है।

हृदय स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार और व्यायाम

हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव

धूम्रपान एक और बड़ा कारक है जो हृदय रोग का कारण बनता है। यह रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है और रक्त के थक्के बनने की संभावना को बढ़ाता है। इसलिए, यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने का निर्णय लेना आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा। इसके अलावा, अल्कोहल का सीमित सेवन भी महत्वपूर्ण है। अत्यधिक शराब का सेवन हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है।

तनाव भी हृदय रोग के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। लंबे समय तक तनाव में रहने से रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है। योग, ध्यान, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य तकनीकें तनाव को प्रबंधित करने में मदद कर सकती हैं। नियमित विश्राम और पर्याप्त नींद भी हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की हृदय स्वास्थ्य की नई पहल

विश्व स्वास्थ्य संगठन की हृदय स्वास्थ्य की नई पहल

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस दिन की थीम हर साल बदलती है। इस वर्ष की थीम “हृदय स्वास्थ्य, सभी के लिए” है। इसका उद्देश्य सभी लोगों को हृदय स्वास्थ्य की जानकारी और संसाधनों तक पहुंच प्रदान करना है, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति या भौगोलिक स्थान कुछ भी हो। यह संदेश स्पष्ट है कि हृदय स्वास्थ्य का ध्यान रखना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।

हृदय स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों, कॉलेजों, और सामुदायिक केंद्रों पर कार्यशालाएँ, सेमिनार, और स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जाते हैं। इन गतिविधियों के माध्यम से लोगों को हृदय रोगों के लक्षण, कारण और रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी दी जाती है।

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हृदय स्वास्थ्य की अहमियत

अंत में, विश्व हृदय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हृदय स्वास्थ्य हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, नियमित स्वास्थ्य जांच कराने, और जागरूकता फैलाने से हम हृदय रोगों से बच सकते हैं। हमें अपने और अपने प्रियजनों के हृदय स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए संकल्प लेना चाहिए। याद रखें, एक स्वस्थ हृदय के साथ हम एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दिए अधिकारियों को निर्देश

केशव प्रसाद मौर्य
उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ग्राम्य विकास विभाग के उच्चाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2024 को ग्राम पंचायतों में “मनरेगा जागरूकता दिवस” का आयोजन किया जाय। इस सम्बन्ध में आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग जी एस प्रियदर्शी ने समस्त जिलाधिकारियों/जिला कार्यक्रम समन्वयकों को महात्मा गांधी मनरेगा अधिनियम 2005 की धारा 14 की उप धारा 6 एवं भारत सरकार द्वारा निर्गत मास्टर सर्कुलर 2024-25 के प्रस्तर-61 में उल्लिखित व्यवस्था के अनुसार श्रम बजट निर्धारण के निर्देश दिये है।

केशव प्रसाद मौर्य
उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य

जारी दिशा निर्देशों में वित्तीय वर्ष 2025-26 के श्रम बजट निर्माण की कार्यवाही किया जाने की अपेक्षा की गयी है। श्रम बजट निर्माण हेतु समय सारणी, दायित्व एव प्रकिया भी निर्धारित की गयी है। जिसके अनुसार 02 अक्टूबर 2024 को ग्राम सभा की बैठक आयोजित करते हुए ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यों का निर्धारण किया जाना है। उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के क्रम में आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग ने 02 अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के अवसर पर “मनरेगा जागरूकता दिवस” मनाते हुए गांवों में कार्य की मांग, गोष्ठी का आयोजन, योजना का प्रचार प्रसार एवं अन्य लाभप्रद योजनाओं की जानकारी ग्रामीण वासियों को प्रदान किये जाने के विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

केशव प्रसाद मौर्य
उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य

जिलाधिकारी/जिला कार्यक्रम समन्ययक द्वारा प्रत्यके वर्ष के लिये जनपद में अकुशल श्रम की मांग आवश्यकता के अनुरुप कार्यों का चिन्हांकन एवं मनरेगा श्रमिकों को कार्य प्रदान किये जाने हेतु श्रम-बजट निर्धारण कराये जाने का दायित्व दिया गया है। श्रम बजट निर्माण की प्रक्रिया कार्य की मांग के आधार पर श्रम बजट का निर्माण कराया जाएगा। उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कार्य योजना निर्माण गांव की आवश्यकता का ध्यान रखते हुए 6 चरणों में किये जाने का प्राविधान है।


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प्रथम चरण में आवश्यकताओं की पहचान द्वितीय चरण मे ग्राम पंचायत में संसाधन की उपलब्धता, तृतीय चरण मे कार्ययोजना को तकनीकी रूप से बनाने की तैयारी, चौथे चरण में ग्राम सभा की अनुमति, पांचवें चरण में कार्ययोजना को अंतिम रूप देना और छठवें चरण में संकलित श्रम बजट का राज्य स्तर पर प्रस्तुतिकरण किया जायेगा।

श्रम बजट निर्माण में जिन बिन्दुओं को संज्ञान में लेकर कार्यवाही की जानी है उनका विस्तृत रूप से उल्लेख जारी दिशा निर्देशों में किया गया है। जिलाधिकारी / जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि जनपद की प्रत्येक ग्राम पंचायत में शेल्फ ऑफ प्रोजेक्ट के निर्धारण के लिये बॉटम अप अप्रोच का अनुपालन किया गया है। निर्देशों में कहा गया है कि श्रम बजट के अन्तर्गत लिये जाने वाले कार्यों में मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन, कृषि एवं उससे सम्बन्धित गतिविधियों, व्यक्तिगत लाभार्थियों के लिये आजीविका सर्वद्धन से सम्बन्धित कार्यों पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।

जिलाधिकारी/जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा यह सुनिश्वित किया जाये कि प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन संबंधी कार्य प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, इन्टीग्रेटेड वॉटर शेट मैनेजमेन्ट प्रोग्राम, कमान्ड एरिथा एवं वॉटर मैनेजमेन्ट स्कीम के अभिसरण से लिये जाये। इसके साथ ही प्राकृतिक ससाधन प्रबन्धन (NRM) कार्यों के श्रम बजट को District irrigation Plan में अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जाये। यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि मिशन वॉटर कन्वर्जेन्स के अंतर्गत चिन्हित 175 विकास खण्डों में मनरेगा योजनान्तर्गत कम से कम 65% व्यय, प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन (NRM) कार्यों पर किया जाये।

जिलाधिकारी/जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि मनरेगा योजनान्तर्गत कराये जाने वाले कुल कार्यों में से कम से कम 60% कार्य (लागत की दृष्टि से) कृषि एवं उससे सम्बन्धित गतिविधियों पर किये जाये। ग्रामीण अवस्थापना के लिए कराये जाने वाले कार्यों में चौदहवां वित्त एवं राज्य वित्त के वित्तीय संसाधनों का मनरेगा योजना से अभिसरण करने से गुणवत्तापरक परिसम्पत्तियों का निर्माण हो सकेगा। मनरेगा से अन्य विभागों का अभिसरण के लिए समेकित कार्ययोजना तैयार किये जाने के निर्देश दिए गये हैं।

मंत्री नंद गोपाल गुप्ता बोले- हमारी सरकार ने एक्सपोर्टर्स का भरोसा और विश्वास जीता है!

विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता

लखनऊ/गौतमबुध नगर। इंडिया एक्सपो मार्ट ग्रेटर नोएडा में चल रहे इंटरनेशनल ट्रेड शो के तीसरे दिन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन्स (फियो) द्वारा आयोजित वैश्विक बाजार में भारतीय निर्यातकों के लिए संभावित चुनौतियां और रणनीतियां विषय पर आयोजित ज्ञान सत्र में उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। ज्ञान सत्र में देश के साथ ही उत्तर प्रदेश के एक्सपोर्ट को बढ़ाते हुए लक्ष्य हासिल करने में आ रही विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों के साथ ही रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई।

एक्सपोर्ट
ग्रेटर नोएडा में चल रहे इंटरनेशनल ट्रेड शो में सम्मिलित हुए मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता

मंत्री नन्दी ने कहा कि यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो जहाँ एक ओर उत्तर प्रदेश के उत्पादों को ग्लोबल पहचान और पहुँच उपलब्ध करा रहा है। वहीं प्रतिभागियों और स्टेक होल्डर्स के बीच विचार विनिमय व विमर्श का एक सशक्त मंच बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा एवं प्रदेश के कर्मयोगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश वन ट्रिलियन डालर इकोनामी बनने के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में निर्यात क्षेत्र का विशेष योगदान है।


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मंत्री नन्दी ने कहा कि किसी भी देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था की मजबूती में निर्यात की बेहद महत्वपूर्ण व अग्रणी भूमिका होती है। उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है। यहाँ प्राकृतिक और भौगोलिक समृद्धि भी है। यही कारण है कि उद्योगों के लिए पर्याप्त मात्रा में रॉ मैटेरियल, मानव संसाधन, खपत के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध है।

एक्सपोर्ट
औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता

उत्तर प्रदेश में एयरपोर्ट, रेलवेज, हाइवेज, वाटरवेज और एक्सप्रेसवेज के अभूतपूर्व विकास से एक्सपोर्ट की सम्भावनाओं में व्यापक वृद्धि हुई है। ट्रांसपोर्टेशन सस्ता, सुलभ एवं व्यापक हुआ है। यही कारण है कि पिछले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश के निर्यात में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है। यह उपलब्धि अत्यन्त उत्साहजनक एवं ऐतिहासिक है। हमारी सरकार ने वर्ष 2030 तक 3 लाख करोड़ का निर्यात लक्ष्य रखा है। इस अपेक्षित लक्ष्य को प्राप्त करने और प्रदेश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

एक्सपोर्ट
औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता

मंत्री नन्दी ने कहा कि हमारी सरकार ने एक प्रभावशाली एवं समग्र विकास को सुनिश्चित करने वाली सर्वश्रेष्ठ एक्सपोर्ट नीति बनाई है। साथ ही अलग-अलग सेक्टोरल नीति भी लागू की है। स्टेकहोल्डर्स से निरन्तर संवाद, समन्वय और उनसे किए गए वादों को पूरा करना हमारी विशेष प्राथमिकता है। यही कारण है कि हमने एक्सपोर्टर्स का भरोसा और विश्वास जीता है।

यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो का आयोजन इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम है। छोटे उद्यमियों को उनके उत्पादों की पहुंच ग्लोबल मार्केट तक कराए जाने में यह ट्रेड शो बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। यह बायर्स-सेलर्स मेगा शो है।

पिछले ट्रेड शो में 2000 से अधिक एग्जीबीटर्स शामिल हुए और 1000 करोड़ से अधिक की बिजनेस डील निष्पादित हुई। इस बार इस ट्रेड शो में 2500 एग्जीबिटर्स को शामिल किया गया है। विभिन्न देशों से आए ओवरसीज बायर्स और प्रदेश के सेलर्स के बीच बी2बी मीटिंग आयोजित कराई जा रही हैं।

उत्तर प्रदेश एक्सपोर्ट हब बनकर उभरा है और देश का पाँचवा प्रमुख निर्यातक राज्य है।

प्रधानमंत्री के रिफार्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के सिद्धांत पर चलते हुए नए भारत का नया उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास की नई ऊँचाइयों को छू रहा है। हम प्रदेश के तीन लाख करोड़ के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर तेजी से अग्रसर है।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव एमएसएमई आलोक कुमार, संयुक्त सचिव एमएसएमई अतीश सिंह, सचिव एमएसएमई प्रांजल यादव, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव, अमित कुमार प्रमुख उत्तरी क्षेत्र ईसीजीसी लिमिटेड, महानिदेशक एवं सीईओ फियो डॉ. अजय सहाय, केपीएमजी के पार्टनर और लीड विवेक अग्रवाल, ज्वाइंट कमिश्नर एक्सपोर्ट प्रमोशन पवन अग्रवाल आदि गणमान्य जन उपस्थित रहे।

CM धामी ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों को किया संबोधित

CM धामी

देहरादून। CM धामी ने शुक्रवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों को संबोधित किया। इस अवसर पर CM धामी ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखण्ड में नगर निकाय क्षेत्र से बाहर ढाई सौ वर्ग मीटर भूमि कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति खरीद सकता है। परंतु ऐसा संज्ञान में आया है कि एक ही परिवार में अलग-अलग नामों से भूमि क्रय करके उक्त प्राविधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। CM धामी ने कहा कि हम इसकी जांच करायेंगे और जिन भी व्यक्तियों ने ऐसा किया है उनकी भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी।

CM धामी
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जिन भी व्यक्तियों ने पर्यटन, उद्योग आदि व्यवसायिक गतिविधियों के लिए अनुमति लेकर भूमि क्रय की है। परंतु उस भूमि का उपयोग इस प्रयोजन हेतु नहीं किया, ऐसी जमीनों का विवरण तैयार करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के विरुद्ध भी सख्त कार्यवाही की जायेगी और उनकी जमीनें राज्य सरकार में निहित की जाएगी।

CM धामी ने कहा कि यह भी संज्ञान में आया है कि भूमि क्रय संबंधी नियमों में वर्ष 2017 में जो बदलाव किए गए थे उनका परिणाम सकारात्मक नहीं रहा है। (जैसे 12.5 एकड़ की अधिकतम सीमा को खत्म कर देना जो अनुमति शासन स्तर पर मिलती थी उसके लिए जिले के अधिकारियों को अधिकृत कर देना आदि)। उन्होंने कहा कि ऐसे प्राविधानों की समीक्षा की जायेगी और आवश्यक हुआ तो इन प्राविधानों को समाप्त कर दिया जाएगा।


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CM धामी ने कहा कि उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बचाने के उद्देश्य से उठाए जा रहे इन कदमों से किसी भी ऐसे व्यक्ति या संस्थाओं को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। जिनके निवेश से उत्तराखंड में पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, व्यापार आदि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन होता है तथा अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है।


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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार भू कानून एवं मूल निवास के मुद्दे को लेकर संवदेनशील है और हम अगले बजट सत्र में उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप एक वृहद भू कानून लाने हेतु प्रयासरत हैं। CM धामी कहा कि जिस प्रकार मार्च 2021 से अब तक लंबे समय से चले आ रहे विभिन्न मामलों का निस्तारण हमारी सरकार ने ही किया है उसी प्रकार मैं उत्तराखंड की जनता को यह विश्वास दिलाता हूं कि भू कानून के मुद्दे का समाधान भी हमारी सरकार ही करेगी।

उत्तर प्रदेश : मंत्री धर्मपाल सिंह ने विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक

मंत्री धर्मपाल सिंह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुधन विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने विधानभवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में विगत 06 माह में विभिन्न योजनाओं की अद्तन प्रगति, आवंटित बजट व व्यय विवरण की गहन समीक्षा की। पशुधन विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने विभाग द्वारा 52 प्रतिशत बजट का उपयोग करने की स्थिति से अवगत होते हुए अधिकारियों को माह फरवरी 2025 तक शत-प्रतिशत बजट के सदुपयोग करने के सख्त निर्देश दिये। पशुधन विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि सभी योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु आवंटित धनराशि को समय से व्यय किया जाए और गोशालाओं हेतु आवंटित धनराशि प्रतिमाह दी जाए और गोसंरक्षण कार्यों में धनराशि के अभाव में किसी प्रकार का विलम्ब न होने पाए।

पशुधन विकास मंत्री धर्मपाल सिंह
पशुधन विकास मंत्री धर्मपाल सिंह

धर्मपाल सिंह ने निर्देश दिये कि पशुओं हेतु उपलब्ध करायी जाने वाली दवाओं और वैक्सीन की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए और इसमें किसी प्रकार का समझौता न किया जाए। पशुओं के उत्तम स्वास्थ्य और पौष्टिक चारे के आधार पर ही कृत्रिम गर्भाधान के लक्ष्यों को पूर्ण और सफल बनाया जा सकता है। मण्डल एवं जनपद स्तर पर आयोजित होने वाले पशु मेलों को और अधिक उपयोगी व सार्थक बनाया जाए। किसानों और अच्छे पशुपालकों को प्रोत्साहित भी किया जाए। गोआश्रय स्थल में साफ-सफाई की उत्तम व्यवस्था की जाए। वर्तमान में प्रदेश में 7558 गोआश्रय स्थलों पर 12,01,238 गोवंश का संरक्षण किया गया है।


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पशुधन विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने विभिन्न जनपदों से निराश्रित गोवंश के संबंध में प्राप्त शिकायतों के संबंध में निर्देशित किया कि छुट्टा गोवंशों को गोआश्रय स्थलों पर भेजा जाए और प्रतिदिन इसकी रिपोर्ट मुख्यालय मंगाई जाए। नवीन और निर्माणाधीन गोआश्रय स्थलों के निर्माण कार्य में तेजी लाकर उन्हें शीघ्र क्रियाशील किया जाये। हर गौशाला में चारे भूसे की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। सभी मुख्य पशुचिकित्साधिकारी स्थानीय प्रशासन के सहयोग से चारागाह की भूमि को कब्जा मुक्त करायें और कब्जामुक्त भूमि पर बरसीन, जैई आदि गोवंश हेतु उपयोगी चारा बोआई का कार्य करायें।

बैठक में प्रमुख सचिव के रवीन्द्र नायक ने मंत्री को विभाग की योजनाओं एवं बजट की अद्यतन स्थिति से अवगत कराया और आश्वस्त किया कि उनसे प्राप्त दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा। प्रमुख सचिव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि गोआश्रय स्थलों पर सभी आवश्यक सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि वृहद गो संरक्षण केन्द्रों के निर्माण में कार्यों को शीघ्र पूरा किया जाये।

बैठक में पशुधन विभाग के विशेष सचिव देवेन्द्र पाण्डेय, पशुपालन विभाग के निदेशक डा. पीएन सिंह, अपर निदेशक डा. अरविन्द कुमार सिंह, अपर निदेशक डा. जयकेश पाण्डेय, एलडीडीबी के डा. नीरज गुप्ता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

विश्व पर्यटन दिवस : उत्तराखंड के चार गांव को मिला सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार

विश्व पर्यटन दिवस

नई दिल्ली। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विश्व पर्यटन दिवस समारोह के आयोजन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। पुरस्कार वितरण समारोह में उत्तराखण्ड के चयनित ग्रामों के प्रधानों द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार प्राप्त किया गया।

उत्तराखण्ड पर्यटन
विश्व पर्यटन दिवस पर उत्तराखण्ड के जखोल, सूपी, हर्षिल और गुंजी गांव को मिला सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार

विश्व पर्यटन दिवस पर इस वर्ष सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम प्रतियोगिता में उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले के जखोल गांव को साहसिक पर्यटन के लिए चुना गया। जो अपनी ऊंचाई, खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों और चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग रूट्स के लिए जाना जाता है। साहसिक गतिविधियों के शौकीनों के बीच यह गांव तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। उत्तरकाशी जिले के ही हर्षिल गांव और पिथौरागढ़ जिले के गुंजी गांव को वाइब्रेंट विलेज के रूप में सम्मानित किया गया।

हर्षिल अपनी प्राकृतिक सुन्दरता, बर्फ से ढके पहाड़ों और सेब के बागानों के लिए प्रसिद्ध है जबकि गुंजी गांव जो चीन और नेपाल सीमा के निकट स्थित है अपनी सामरिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण विशेष स्थान रखता है। इन गांवों में स्थानीय संस्कृति और आधुनिकता का संगम देखने को मिलता है। बागेश्वर जिले के सूपी गांव को कृषि पर्यटन के लिए पुरस्कृत किया गया। सूपी गांव अपनी पारम्परिक कृषि पद्धतियों और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने के तहत यहां पर्यटकों को ग्रामीण जीवन और खेती से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त किया जा सके।

विश्व पर्यटन दिवस
विश्व पर्यटन दिवस पर उत्तराखण्ड के जखोल, सूपी, हर्षिल और गुंजी गांव को मिला सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार

ज्ञातव्य हो कि पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। संस्कृति एवं प्राकृतिक संपदा के संरक्षण, समुदाय आधारित मूल्य व जीवन शैली को बढ़ावा देने तथा आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को इसमें रखा जाता है। इन्हीं विषयों पर प्रविष्टियां राज्यों से आमंत्रित की जाती हैं। इस वर्ष प्रविष्टियों के आधार पर उत्तराखण्ड के चार ग्रामों को चयनित किया गया है।


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इस अवसर पर उत्तराखण्ड के पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे, अपर निदेशक पर्यटन व नोडल अधिकारी पूनम चंद एवं चयनित चार ग्रामों के प्रधान एवं प्रतिनिधि यथा हर्षिल के ग्राम प्रधान दिनेश सिंह, सूपी की ग्राम प्रधान प्रेमा देवी, जखोल के ग्राम प्रधान विनोद कुमार एवं गूंजी के ग्राम प्रतिनिधि कृष गुंज्याल आदि उपस्थित रहे।

कैसे होता है गांवों का चयन

केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा विश्व पर्यटन दिवस पर हर साल राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस प्रतियोगिता में संस्कृति और प्राकृतिक संपदा के संरक्षण, समुदाय आधारित मूल्यों और जीवन शैली को बढ़ावा देने के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को प्राथमिकता दी जाती है। इन विषयों पर आधारित प्रविष्टियों को राज्यों से आमंत्रित किया जाता है। विश्व पर्यटन दिवस पर इस वर्ष, प्रविष्टियों के आधार पर उत्तराखंड के चार ग्रामों का चयन किया गया है।

शक्तिशाली देशों की सूची में टॉप-3 में भारत

शक्तिशाली देशों की सूची में भारत पहुंचा तीसरे स्थान पर
  • भारत ने जापान को पीछे छोड़ा

  • शक्तिशाली देशों में अमेरिका एवं चीन ही भारत से आगे

  • 6 वर्षों के आकड़ों का विश्लेषण कर बनाया गया यह इंडेक्स 


नई दिल्ली: आस्ट्रेलिया के एक संस्थान, लोवी इन्स्टिटयूट थिंक टैंक, ने हाल ही में एशिया में शक्तिशाली देशों की एक सूची जारी की है। “एशिया पावर इंडेक्स 2024” नामक इस सूची में भारत को एशिया में तीसरा सबसे बड़ा शक्तिशाली देश बताया गया है। वर्ष 2024 के इस इंडेक्स में भारत ने जापान को पीछे छोड़ा है। इस इंडेक्स में अब केवल अमेरिका एवं चीन ही भारत से आगे है।

शक्तिशाली देशों की सूची में भारत पहुंचा तीसरे स्थान पर
शक्तिशाली देशों की सूची में तीसरे स्थान पर भारत

रूस तो पहिले से ही इस इंडेक्स में भारत से पीछे हो चुका है। इस प्रकार अब भारत की शक्ति का आभास वैश्विक स्तर पर भी महसूस किया जाने लगा है। एशिया पावर इंडेक्स 2024 के प्रतिवेदन में बताया गया है कि वर्ष 2023 के इंडेक्स में भारत को 36.3 अंक प्राप्त हुए थे जो वर्ष 2024 के इंडेक्स में 2.8 अंक से बढ़कर 39.1 अंकों पर पहुंच गए हैं एवं भारत इस इंडेक्स में चौथे स्थान से तीसरे स्थान पर आ गया है।


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एशिया पावर इंडेक्स 2024 को विकसित करने के लिए कुल 27 देशों और क्षेत्रों से प्राप्त आंकड़ों का आंकलन एवं सूक्षम विश्लेषण किया गया है। एशिया में जो नए शक्ति समीकरण बन रहे हैं उनका ध्यान भी शक्तिशाली देशों की इस इंडेक्स में रखा गया है तथा विभिन्न मापदंडों पर आधारित पिछले 6 वर्षों के आकड़ों का विश्लेषण कर यह इंडेक्स बनाया गया है।

आर्थिक क्षमता, सैन्य (मिलिटरी) क्षमता, अर्थव्यवस्था में लचीलापन, भविष्य में संसाधनों की उपलब्धता, कूटनीतिक, राजनयिक एवं आर्थिक सम्बंध एवं सांस्कृतिक प्रभाव जैसे मापदंडो पर उक्त 27 देशों एवं क्षेत्रों का आंकलन कर विभिन्न देशों को इस इंडेक्स में स्थान प्रदान किया गया है।

उक्त इंडेक्स में अमेरिका, 81.7 अंकों के साथ प्रथम स्थान पर है। चीन 72.7 अंकों के साथ द्वितीय स्थान पर है। भारत ने इस इंडेक्स( शक्तिशाली देशों) में 39.1 अंक प्राप्त कर तृतीय स्थान प्राप्त किया है। जापान को 38.9 अंक, आस्ट्रेलिया को 31.9 अंक एवं रूस को 31.1 अंक प्राप्त हुए हैं एवं इन देशों का क्रमशः चतुर्थ, पांचवा एवं छठवां स्थान रहा है।

शक्तिशाली देशों की सूची में भारत पहुंचा तीसरे स्थान पर

शक्तिशाली देशों की इस इंडेक्स में प्रथम 5 स्थानों में से 4 स्थानों पर “क्वाड” के सदस्य देश हैं – अमेरिका, भारत, जापान एवं आस्ट्रेलिया। एशिया में अमेरिका की लगातार बढ़ती मजबूत ताकत के चलते उसे शक्तिशाली देशों की इंडेक्स में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। जबकि, चीन की मजबूत मिलिटरी ताकत के चलते उसे इस इंडेक्स में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है।

जापान के इस इंडेक्स में तीसरे से चौथे स्थान पर आने के कारणों में मुख्य कारण उसकी आर्थिक स्थिति में लगातार आ रही गिरावट है। भारत ने चौथे स्थान से तीसरे स्थान पर छलांग लगाई है। आर्थिक क्षमता एवं भविष्य में संसाधनो की उपलब्धता के क्षेत्र में भारत को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। साथ ही, सैन्य क्षमता, कूटनीतिक, राजनयिक एवं आर्थिक सम्बंध के क्षेत्र एवं सांस्कृतिक प्रभाव के क्षेत्र में भारत को चौथा स्थान प्राप्त हुआ है।

शक्तिशाली देशों की सूची में अब केवल अमेरिका और चीन ही भारत से आगे हैं एवं जापान, आस्ट्रेलिया एवं रूस भारत से पीछे हो गए हैं। जबकि, कुछ वर्ष पूर्व तक विश्व की महान शक्तियों में भारत का कहीं भी स्थान नजर नहीं आता था। केवल अमेरिका, रूस, चीन, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रान्स आदि देशों को ही विश्व में महाशक्ति के रूप में गिना जाता था। अब शक्तिशाली देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।


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शक्तिशाली देशों की इस इंडेक्स तैयार करते समय आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि अन्य शक्तिशाली देशों का भी आंकलन किया गया है। साथ ही, विश्व में तेजी से बदल रहे शक्ति के नए समीकरणों का भी व्यापक आंकलन किया गया है। इस आंकलन के अनुसार अमेरिका अभी भी एशिया में सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बना हुआ है। चीन तेजी से आगे बढ़कर दूसरे स्थान पर आया है।

तेजी से बढ़ती सेना एवं आर्थिक तरक्की चीन की मुख्य ताकत है। उक्त प्रतिवेदन में यह तथ्य भी बताया गया है कि उभरते हुए भारत से अपेक्षाओं एवं वास्तविकताओं में अंतर दिखाई दे रहा है। इस प्रतिवेदन के अनुसार, भारत के पास अपने पूर्वी देशों को प्रभावित करने की सीमित क्षमता है। परंतु, वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है। भारत अपने पड़ौसी देशों नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बंगलादेश, म्यांमार एवं अफगानिस्तान, आदि की विपरीत परिस्थितियों के बीच भारी मदद करता रहा है।

आसियान के सदस्य देशों की भी भारत समय-समय पर मदद करता रहा है, एवं इन देशों का भारत पर अपार विश्वास रहा है। कोरोना के खंडकाल में एवं श्रीलंका, म्यांमार तथा अफगानिस्तान में आए सामाजिक संघर्ष के बीच भारत ने इन देशों की मानवीय आधार पर भरपूर आर्थिक सहायता की थी एवं इन्हें अमेरिकी डॉलर में लाइन आफ क्रेडिट की सुविधा भी प्रदान की थी ताकि इनके विदेशी व्यापार को विपरीत रूप से प्रभावित होने से बचाया जा सके।

उक्त प्रतिवेदन के अनुसार भारत के पास भारी मात्रा में संसाधन मौजूद हैं एवं जिसके बलबूते पर आगे आने वाले समय में भारत के आर्थिक विकास को और अधिक गति मिलने की अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। साथ ही, भारत अपने पड़ौसी देशों की आर्थिक स्थिति सुधारने की भी क्षमता रखता है। भारत ने हाल ही के वर्षों में उल्लेखनीय आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किए हैं। जिसके चलते लगातार तेज हो रहे आर्थिक विकास के बीच सकल घरेलू उत्पाद की स्थिति और बेहतर हो रही है तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की मान्यता बढ़ रही है। साथ ही, बहुपक्षीय मंचों पर भी भारत की सक्रिय भागीदारी बढ़ती जा रही है।

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में एशिया के कई देशों के साथ अपने सम्बंधों को मजबूत किया है। अब तो अफ्रीकी देशों का भी भारत पर विश्वास बढ़ता जा रहा है एवं भारत में ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने की अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। भारत में हाल ही में अपनी कूटनीतिक एवं राजनयिक क्षमता में भी भरपूर सुधार किया है एवं इसके बल पर वैश्विक स्तर पर न केवल विकसित देशों बल्कि विकासशील देशों को भी प्रभावित करने में सफल रहा है।

यूक्रेन एवं रूस युद्ध के समय केवल भारत ही दोनों देशों के साथ चर्चा कर पाता है एवं युद्ध को समाप्त करने का आग्रह दोनों देशों को कर पाता है। इसी प्रकार, इजराईल एवं हमास युद्ध के समय भी भारत दोनों देशों के साथ युद्ध समाप्त करने की चर्चा करने में अपने आप को सहज एवं सक्षम पाता है। आपस में युद्ध करने वाले दोनों देश भारत की सलाह को गम्भीरता से सुनते नजर आते हैं।

भारत ने कभी भी विभिन्न देशों के आंतरिक स्थितियों पर अपनी विपरीत राय व्यक्त नहीं की है और न ही कभी उनके आंतरिक मामलों में कभी हस्तक्षेप किया है। इस दृष्टि से वैश्विक पटल पर भारत की यह विशिष्ट पहचान एवं स्थिति है।

दक्षिण एशिया के देशों में चीन अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है इसलिए भारत का पूरा ध्यान इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम कर अपने प्रभाव को बढ़ाना है। इसी मुख्य कारण से शायद भारत दक्षिण एशिया के देशों पर अधिक ध्यान देता दिखाई दे रहा है। जिसका आशय उक्त प्रतिवेदन में यह लिया गया है कि विश्व के अन्य देशों को सहायता करने की भारत की क्षमता तो अधिक है परंतु अभी उसका उपयोग भारत नहीं कर पा रहा है।

हिंद महासागर पर भारत का ध्यान अधिक है और क्वाड के सदस्य देश मिलकर भारत की इस दृष्टि से सहायता भी कर रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों के अलावा विश्व के अन्य देशों की मदद करने के संदर्भ में भारत ने हालांकि अभी हाल ही के समय में बढ़त तो बनाई है परंतु अभी और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत में आगे बढ़ने की अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं।

शक्तिशाली देशों के इस  इंडेक्स में भारत को एशिया को तीसरा सबसे बड़ा ताकतवर देश बताया गया है परंतु वस्तुतः भारत अब एशिया का ही नहीं बल्कि विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ताकतवर देश बन गया है क्योंकि शक्तिशाली देशों की  सूची में एशिया के बाहर से अमेरिका को भी एशिया में पहिले स्थान पर बताया गया है। एक अन्य अमेरिकी थिंक टैंक का आंकलन है कि भारत यदि इसी रफ्तार से आगे बढ़ता रहा तो इस शताब्दी के अंत तक भारत, चीन एवं अमेरिका को भी पीछे छोड़कर विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली देश बन जाएगा।


लेखक- प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक

CBSE Board Exam 2025 Date: कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होने की संभावना

CBSE

CBSE Board Exam 2025

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 2025 में फरवरी के मध्य में शुरू होने की उम्मीद है। CBSE ने पिछले वर्षों की परंपरा के अनुसार, 2025 के लिए परीक्षा कार्यक्रम दिसंबर 2024 में जारी करने की योजना बनाई है।

CBSC Board परीक्षा तिथियों का अनुमान:

विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, परीक्षा 15 फरवरी, 2025 से शुरू होने की संभावना है। यह तारीख पिछले कुछ वर्षों के अनुभवों पर आधारित है, जब CBSE ने 2019 से फरवरी के मध्य में परीक्षाओं का आयोजन शुरू किया था। यह प्रक्रिया तब शुरू हुई जब बोर्ड ने कुछ विषयों के लिए परीक्षा की अवधि को कम करने का निर्णय लिया।

पिछले वर्षों का पैटर्न:

हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण 2021 और 2022 में परीक्षाएं देरी से शुरू हुईं और मई में आयोजित की गईं। पिछले साल (2023) में, कक्षा 12 की परीक्षाएं 15 फरवरी को शुरू हुईं, जबकि कक्षा 10 की परीक्षाएं 13 मार्च तक समाप्त हुईं। इस साल (2024) में भी यही पैटर्न जारी रहने की उम्मीद है, जिसमें दोनों कक्षाओं के लिए परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होंगी।

डेट शीट डाउनलोड करने की प्रक्रिया:

उम्मीदवार अपनी डेट शीट को निम्नलिखित चरणों का पालन करके डाउनलोड कर सकेंगे:

  1. सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जाएं।
  2. “CBSE 10वीं डेट शीट 2025” या “CBSE 12वीं डेट शीट 2025” के लिंक पर क्लिक करें।
  3. स्क्रीन पर टाइमटेबल वाली एक पीडीएफ दिखाई देगी।
  4. दस्तावेज़ को देखें और डाउनलोड करें।

छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे अपने परीक्षा की तैयारियों के लिए समय पर सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त करें। बोर्ड परीक्षा का यह चरण विद्यार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, और सही योजना और तैयारी से सफलता की संभावना बढ़ाई जा सकती है।

 

                                      रोजगार देने में उत्तराखंड अव्वल