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Sunday, July 6, 2025
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उद्धव ठाकरे ने दिया ‘जय शिवाजी-जय भवानी’ नारा, BJP के ‘जय श्री राम’ के जवाब में उठी नई राजनीति

उद्धव ठाकरे जय शिवाजी जय भवानी नारा
उद्धव ठाकरे जय शिवाजी जय भवानी नारा

उद्धव ठाकरे ने ‘जय शिवाजी-जय भवानी’ नारा देकर BJP पर साधा निशाना

उद्धव ठाकरे जय शिवाजी जय भवानी नारा
उद्धव ठाकरे जय शिवाजी जय भवानी नारा

महाराष्ट्र की राजनीति में नारों की जंग तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के ‘जय श्री राम’ नारे के जवाब में अब उद्धव ठाकरे ने अपने समर्थकों से ‘जय शिवाजी-जय भवानी’ का नारा बुलंद करने की अपील की है। शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने BJP पर समाज में जहर घोलने का आरोप लगाया और अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे ‘जय शिवाजी’ और ‘जय भवानी’ का नारा लगाकर भगवा राजनीति को नई दिशा दें।

BJP के ‘जय श्री राम’ के जवाब में ‘जय शिवाजी-जय भवानी’

शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा,
“अगर कोई ‘जय श्री राम’ कहता है, तो उसे ‘जय शिवाजी’ और ‘जय भवानी’ कहे बिना जाने न दें। BJP ने हमारे समाज में जहर घोल दिया है और अब हमें इसके खिलाफ लड़ना होगा।”

यह बयान महाराष्ट्र में BJP और शिवसेना (UBT) के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान को और बढ़ा सकता है।

भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर भी BJP पर हमला

उद्धव ठाकरे ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच का मुद्दा उठाते हुए BJP पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो नेता पहले पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच का विरोध करते थे, वे अब भारत और पाकिस्तान के बीच मैच होने पर चुप हैं। उन्होंने इसे BJP की दोहरी राजनीति बताया।

देवेंद्र फडणवीस पर भी साधा निशाना

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में उद्धव ठाकरे का नाम लेते हुए कहा था,
“मैं उद्धव ठाकरे नहीं हूं, जो परियोजनाओं को रोके रखूं।”
इसके जवाब में उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर फडणवीस को खुद को उनसे बेहतर साबित करना है, तो उन्हें किसानों के लिए कर्ज माफी और जनता के हित में योजनाओं की घोषणा करनी चाहिए।

‘जय शिवाजी-जय भवानी’ नारे से क्या बदलेगा महाराष्ट्र की राजनीति?

BJP के ‘जय श्री राम’ नारे के जवाब में उद्धव ठाकरे द्वारा ‘जय शिवाजी-जय भवानी’ नारा देने से महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है। यह नारा छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत से जुड़ा हुआ है और महाराष्ट्र की जनता में इसका गहरा प्रभाव है।

विशेषज्ञों का मानना है कि उद्धव ठाकरे इस नारे के जरिए मराठा समुदाय के वोटों को साधने की कोशिश कर रहे हैं, जो महाराष्ट्र की राजनीति में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा में पेश होगा बजट

इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा में आज बजट पेश होने वाला है। उद्धव ठाकरे ने मांग की है कि बजट में शिव भोजन योजना और लड़कियों के लिए विशेष योजनाओं पर अधिक फंड दिया जाना चाहिए।

उद्धव ठाकरे के ‘जय शिवाजी-जय भवानी’ नारे से महाराष्ट्र की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है। BJP और शिवसेना (UBT) के बीच यह नारेबाजी सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि जनता के वोटों पर भी असर डाल सकती है। देखना होगा कि आने वाले समय में यह नारा महाराष्ट्र में कितना प्रभाव डालता है।

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महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग तेज, बीजेपी-शिवसेना समेत कई दल एक सुर में

औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग
औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग

औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग पर सियासत तेज, बीजेपी-शिवसेना समेत कई दल एकमत

औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग

संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग हुई तेज

महाराष्ट्र के संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग तेजी से उठ रही है। इस मुद्दे पर बीजेपी, शिवसेना, कांग्रेस और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) समेत कई दल एकमत दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रही है।

बीजेपी और शिवसेना ने किया समर्थन

बीजेपी नेता सुधीर मुंगंटीवार ने कहा कि जब उन्होंने अफजल की कब्र से अतिक्रमण हटाया था, तो अब उनका रुख औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग पर अलग कैसे हो सकता है? शिवसेना नेता शंभूराजे देसाई ने भी इसे हटाने के पक्ष में अपनी सहमति जताई है।

शिवाजी वंशजों ने भी किया समर्थन

छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज शिवेंद्रराजे भोसले ने भी स्पष्ट रूप से कहा कि औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र में नहीं रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह महाराष्ट्र की अस्मिता का विषय है और इसे लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस का रुख और अबू आजमी का विवादित बयान

हालांकि, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, फिर भी वे इस मुद्दे के लिए कांग्रेस को दोषी ठहरा रहे हैं।

इस बीच, समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग का विरोध करते हुए कहा कि मुगल बादशाह को क्रूर और असहिष्णु कहना गलत है। उनके इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति गर्मा गई और उनके खिलाफ ठाणे में केस दर्ज कर लिया गया।

केंद्र सरकार से चर्चा करेगी महाराष्ट्र सरकार

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि यह कब्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है, जिसे कांग्रेस सरकार के दौरान संरक्षित किया गया था। इसलिए इसे हटाने से पहले केंद्र सरकार से बातचीत की जाएगी।

MNS का सख्त रुख – कब्र हटाने की जरूरत

MNS नेता बाला नांदगांवकर ने कहा कि औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग सही है, क्योंकि यह वही आक्रमणकारी था जिसने छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या की थी।

क्या हटाई जाएगी औरंगजेब की कब्र?

सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन जिस तरह से औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग जोर पकड़ रही है, उससे साफ है कि इस पर जल्द ही कोई ठोस कदम उठाया जा सकता है।

महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग राजनीतिक और ऐतिहासिक मुद्दा बन चुकी है। बीजेपी, शिवसेना, कांग्रेस और MNS समेत सभी दल इस पर अलग-अलग रुख अपना रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या फैसला लेती है।

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उत्तर प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग तेज, सीतापुर के पत्रकार की हत्या पर पत्रकारों का आक्रोश

पत्रकार सुरक्षा कानून उत्तर प्रदेश
पत्रकार सुरक्षा कानून उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग तेज, सीतापुर के पत्रकार की हत्या पर पत्रकारों का आक्रोश

पत्रकार सुरक्षा कानून उत्तर प्रदेश
पत्रकार सुरक्षा कानून उत्तर प्रदेश

सीतापुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की हत्या ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर बहस छेड़ दी है। पत्रकार संगठनों ने सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून उत्तर प्रदेश में जल्द लागू करने की मांग की है।

पत्रकार की दिनदहाड़े हत्या, कानून व्यवस्था पर उठे सवाल

सीतापुर के महोली तहसील में कार्यरत दैनिक जागरण के पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की 8 मार्च 2025 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस जघन्य अपराध से पत्रकार जगत में रोष है और सरकार की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

पत्रकार संगठनों ने की कड़ी निंदा, सरकार से मांगें रखी गईं

उत्तर प्रदेश जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिएशन ने इस हत्या की कड़ी निंदा करते हुए पत्रकार सुरक्षा कानून उत्तर प्रदेश में शीघ्र लागू करने की मांग की है। पत्रकारों ने डीएम बहराइच को ज्ञापन सौंपकर निम्नलिखित मांगें रखीं—

1. पत्रकार सुरक्षा कानून उत्तर प्रदेश में तुरंत लागू किया जाए

पत्रकारों का कहना है कि राज्य में पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों को रोकने के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बेहद जरूरी है। यह कानून लागू होने से पत्रकारों को कानूनी सुरक्षा मिल सकेगी और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई हो सकेगी।

2. हत्यारों को तुरंत गिरफ्तार कर फांसी की सजा दी जाए

पत्रकार संगठनों ने मांग की है कि राघवेंद्र बाजपेई के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाया जाए और दोषियों को फांसी की सजा दी जाए।

3. मृतक पत्रकार के परिवार को सरकारी सहायता दी जाए

पत्रकार संगठनों ने मांग की है कि—

  • मृतक पत्रकार की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए।
  • परिवार को 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

4. उत्तर प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा आयोग का गठन हो

पत्रकारों ने मांग की है कि राज्य में पत्रकार सुरक्षा आयोग का गठन किया जाए, जो पत्रकारों पर हो रहे हमलों की निगरानी करे और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करे।

पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की आजादी बनी मुद्दा

पत्रकारों का कहना है कि अगर उत्तर प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून नहीं लागू किया गया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है और इसके लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

पत्रकारों का विरोध प्रदर्शन और सरकार से अपील

इस घटना के विरोध में बहराइच में पत्रकारों ने डीएम को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान कई वरिष्ठ पत्रकार मौजूद रहे, जिनमें शादाब हुसैन (मंडल अध्यक्ष), सैयद अकरम सईद (मंडल उपाध्यक्ष), आनंद प्रकाश गुप्ता (जिला अध्यक्ष, बहराइच), महेंद्र कुमार मिश्रा (जिला उपाध्यक्ष), आफताब वारसी (जिला उपाध्यक्ष) सहित कई अन्य पत्रकार शामिल थे।

सीतापुर में हुई इस घटना ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग अब और जोर पकड़ रही है। सरकार को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और वे बिना किसी डर के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।

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भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं: अयोध्या धाम के प्रेम मूर्ति युवा संत सर्वेश महाराज ने सुनाई मंत्रमुग्ध करने वाली कथा

भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं
भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं

भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं: प्रेम मूर्ति युवा संत सर्वेश महाराज ने सुनाई अद्भुत कथा

भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं
भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं

बहराइच बौंडी थाना क्षेत्र के पाठक पट्टी गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और गोवर्धन पूजा की कथा का आयोजन हुआ। अयोध्या धाम से पधारे प्रेम मूर्ति युवा संत सर्वेश महाराज ने कथा सुनाकर भक्तों को भावविभोर कर दिया।

भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं और नटखट बालकृष्ण

संत सर्वेश महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं सुनाते हुए बताया कि बालकृष्ण अपने बचपन में अनेक चमत्कारी लीलाएं किया करते थे। उनके नटखट स्वभाव के कारण माता यशोदा के पास रोज़ उनकी शरारतों की शिकायतें आती थीं। जब माता यशोदा उन्हें माखन चोरी के लिए डांटती थीं, तो बालकृष्ण तुरंत अपना मुंह खोलकर दिखा देते थे कि उन्होंने माखन नहीं खाया है।

राधा और भगवान श्रीकृष्ण की बंसी की धुन

कथावाचक ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं के अंतर्गत बताया कि श्रीकृष्ण की बंसी की धुन से राधा रानी मंत्रमुग्ध हो जाती थीं। उनकी बांसुरी की मधुर तान सुनकर समस्त ब्रजवासी आनंदित हो जाते थे। श्रीकृष्ण का संगीत प्रेम और भक्ति का प्रतीक था, जिससे पूरा ब्रजमंडल मोहित हो जाता था।

गोवर्धन पर्वत उठाने की लीला

संत सर्वेश महाराज ने कथा के दौरान गोवर्धन पूजा की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि जब देवताओं के राजा इंद्र ने ब्रजवासियों से नाराज़ होकर मूसलधार बारिश शुरू कर दी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया। इस अद्भुत लीला के माध्यम से उन्होंने भक्तों को यह संदेश दिया कि हमें केवल भगवान की शरण में रहना चाहिए, न कि अन्य देवी-देवताओं के क्रोध से डरना चाहिए।

भक्तों ने भक्ति में डूबकर कथा का आनंद लिया

श्रीमद्भागवत कथा के इस पावन आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं सुनकर सभी भाव-विभोर हो गए। इस अवसर पर संगीतमयी भजनों का आयोजन भी हुआ, जिसमें तबला वादक सुरेश, बैंजो वादक दिनेश, पैड वादक शत्रुघ्न प्रसाद मिश्रा उर्फ पप्पू और आर्गन वादक सरबजीत ने अपनी प्रस्तुति दी।

कथा के समापन पर हुआ महाप्रसाद वितरण

श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन की कथा समाप्ति के बाद आरती का आयोजन हुआ, जिसके पश्चात भक्तों को महाप्रसाद का वितरण किया गया। कथा में प्रमुख रूप से आचार्य अरुण, अजय शुक्ल, अनुपम शास्त्री, यजमान सुरेंद्र तिवारी, मोहित तिवारी, अंबरीष मिश्रा और नौशहरा प्रधान प्रतिनिधि सुरेश त्रिवेदी सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं भक्तों को ईश्वर के प्रेम और भक्ति का महत्व सिखाती हैं। प्रेम मूर्ति युवा संत सर्वेश महाराज द्वारा सुनाई गई यह कथा श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति का अद्भुत संगम बनी।

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मायावती के बदलते तेवरों से सपा को झटका, 2027 चुनाव में बदल सकता है समीकरण

मायावती के बदलते तेवर
मायावती के बदलते तेवर

मायावती के बदलते तेवरों से सपा के लिए नई चुनौती!

मायावती के बदलते तेवर

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ आता दिख रहा है। मायावती के बदलते तेवर समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती के हालिया बयानों और रणनीति से संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले चुनावों में समाजवादी पार्टी के ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण पर असर पड़ सकता है।

हिंदुत्व और मुस्लिम वोट बैंक पर पड़ेगा असर

मायावती के तीखे बयान और सपा की रणनीति

हाल ही में मायावती के बदलते तेवर देखने को मिले हैं, जब उन्होंने भाजपा सरकार की नीतियों, बजट और मदरसों पर कार्रवाई के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी। इससे साफ जाहिर होता है कि बसपा अपने पुराने वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

सपा की रणनीति मुस्लिम और दलित वोटरों को अपने पक्ष में लाने की रही है। लेकिन अगर मायावती का नया रुख आगे भी जारी रहता है, तो सपा और अखिलेश यादव को दलित-मुस्लिम गठजोड़ को बनाए रखने में मुश्किल आ सकती है

क्या बसपा 2027 में सपा के लिए खतरा बनेगी?

‘पीडीए’ समीकरण पर मायावती का असर

लोकसभा चुनाव 2024 में सपा को मुस्लिम समुदाय का पूरा समर्थन मिला था, क्योंकि कांग्रेस के साथ गठबंधन के चलते अल्पसंख्यकों के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। लेकिन मायावती के बदलते तेवर सपा के इस वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं।

अगर 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा अपने पुराने तेवर के साथ सक्रिय होती है, तो सपा को कड़ी चुनौती मिलेगी। इसके चलते अखिलेश यादव को नई रणनीति बनानी होगी, जिससे दलित और मुस्लिम वोटरों को सपा के पक्ष में रखा जा सके।

क्या बसपा-सपा-कांग्रेस साथ आ सकते हैं?

गठबंधन की संभावनाएं और चुनौतियां

अब सवाल यह है कि क्या सपा, कांग्रेस और बसपा एक साथ आ सकते हैं? कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर मायावती, अखिलेश और कांग्रेस एक मंच पर आते हैं, तो भाजपा को कड़ी टक्कर दी जा सकती है

लेकिन इसकी संभावना कम है क्योंकि मायावती और अखिलेश यादव दोनों ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं।

भाजपा के लिए राहत या नई चुनौती?

अगर बसपा और सपा अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। भाजपा के रणनीतिकार भी इस समीकरण पर नजर बनाए हुए हैं और अगर मायावती के बदलते तेवर सपा के वोट बैंक में सेंध लगाते हैं, तो भाजपा के लिए रास्ता आसान हो सकता है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती के बदलते तेवर 2027 विधानसभा चुनाव में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। यदि बसपा अपने पुराने वोट बैंक को वापस लाने में सफल रहती है, तो सपा के लिए चुनौती बढ़ जाएगी। दूसरी ओर, अगर सपा और बसपा किसी रणनीतिक गठबंधन पर सहमत नहीं होते हैं, तो भाजपा को फायदा मिल सकता है। अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में मायावती और अखिलेश यादव की रणनीतियां क्या होती हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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सूटकेस में महिला का शव
सूटकेस में महिला का शव

बुलंदशहर में सूटकेस में महिला का शव मिलने से सनसनी, पुलिस जांच में जुटी

सूटकेस में महिला का शव

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के भाऊखेड़ा गांव में एक खेत से सूटकेस में महिला का शव मिलने से इलाके में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने पुलिस को इसकी सूचना दी, जिसके बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

सूटकेस में महिला का शव मिलने से मचा हड़कंप

बुलंदशहर के भाऊखेड़ा गांव में रविवार को एक रहस्यमयी सूटकेस मिलने की खबर से सनसनी फैल गई। जब ग्रामीणों ने खेत में पड़े इस सूटकेस को खोला, तो उसमें एक अज्ञात महिला का शव बरामद हुआ। तुरंत ही पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की।

सर्किल ऑफिसर पूर्णिमा सिंह ने बताया कि महिला की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और आगे की जांच जारी है।

10 दिन पहले जौनपुर में भी मिला था सूटकेस में महिला का शव

यह पहला मामला नहीं है जब सूटकेस में महिला का शव मिला हो। इससे पहले, 10 दिन पहले जौनपुर जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी।

नगर कोतवाली क्षेत्र के जेसीजे चौराहे के पास एक नाले में पड़े लाल रंग के सूटकेस से तेज दुर्गंध आने पर स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी थी। जब पुलिस ने सूटकेस को खोला, तो उसमें करीब 35 वर्षीय महिला का शव मिला। शव की स्थिति को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा था कि महिला की मौत कई दिन पहले हुई होगी।

हत्या की आशंका, पुलिस कर रही जांच

पुलिस को शक है कि बुलंदशहर और जौनपुर दोनों ही मामलों में हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए सूटकेस का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक मौत के सही कारणों का खुलासा नहीं हो सकता।

पुलिस आसपास के इलाकों में दर्ज गुमशुदगी की रिपोर्ट को खंगाल रही है ताकि शव की शिनाख्त हो सके। इसके अलावा, घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली जा रही है, जिससे मामले की तह तक पहुंचा जा सके।

सूटकेस में महिला का शव मिलने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं

हाल के महीनों में उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में सूटकेस में महिला का शव मिलने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे पहले भी दिल्ली, नोएडा और कानपुर में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां अपराधियों ने हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए सूटकेस का सहारा लिया।

पुलिस की अपील: संदिग्ध गतिविधियों की दें सूचना

पुलिस ने स्थानीय निवासियों से अपील की है कि यदि उन्हें कहीं कोई लावारिस सूटकेस या संदिग्ध वस्तु दिखाई दे, तो तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दें। साथ ही, किसी भी लापता व्यक्ति की जानकारी हो तो उसे पुलिस के साथ साझा करें, ताकि शव की पहचान कर मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके।

बुलंदशहर और जौनपुर में मिले सूटकेस में महिला के शव की घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और जल्द ही खुलासा होने की उम्मीद है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सतर्कता बरतना और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना पुलिस को देना बेहद जरूरी है।

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चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 फाइनल
चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 फाइनल

भारत ने 9 मार्च 2025 को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 के फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड को चार विकेट से हराकर तीसरी बार खिताब अपने नाम किया। इस जीत में कप्तान रोहित शर्मा और टीम के स्पिन गेंदबाजों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 फाइनल
चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 फाइनल

न्यूजीलैंड की पारी: स्पिन के जाल में फंसी कीवी टीम

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी न्यूजीलैंड की टीम ने निर्धारित 50 ओवरों में 7 विकेट के नुकसान पर 251 रन बनाए। ओपनर रचिन रवींद्र (37) और डेरिल मिचेल (63) ने महत्वपूर्ण पारियां खेलीं। हालांकि, भारतीय स्पिनरों कुलदीप यादव और वरुण चक्रवर्ती ने कीवी बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया, जिससे न्यूजीलैंड बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रही।

भारतीय स्पिनरों का जलवा

  • कुलदीप यादव: 2 विकेट

  • वरुण चक्रवर्ती: 2 विकेट

  • अक्षर पटेल: किफायती गेंदबाजी

  • रवींद्र जडेजा: 1 विकेट

इन स्पिनरों ने मिलकर न्यूजीलैंड की रनगति पर अंकुश लगाया और नियमित अंतराल पर विकेट चटकाए।

भारत की पारी: रोहित का तूफान और राहुल की संयमित पारी

252 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत शानदार रही। कप्तान रोहित शर्मा और शुभमन गिल ने पहले विकेट के लिए 105 रनों की साझेदारी की। रोहित ने 83 गेंदों में 76 रनों की पारी खेली, जिसमें सात चौके और तीन छक्के शामिल थे। हालांकि, रोहित के आउट होने के बाद भारतीय मध्यक्रम लड़खड़ा गया, लेकिन केएल राहुल ने नाबाद 34 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई।

रोहित शर्मा की कप्तानी में तीसरा खिताब

इस जीत के साथ ही भारत ने रोहित शर्मा की कप्तानी में तीसरी बार चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जीता। इससे पहले भारत ने 2002 में श्रीलंका के साथ संयुक्त रूप से और 2013 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में यह खिताब जीता था।

न्यूजीलैंड की चुनौतियां और संघर्ष

न्यूजीलैंड के कप्तान मिचेल सेंटनर ने स्वीकार किया कि उनकी टीम 20 रन कम बना पाई, जिससे मैच पर असर पड़ा। इसके अलावा, प्रमुख तेज गेंदबाज मैट हेनरी की गैरमौजूदगी ने भी टीम को नुकसान पहुंचाया।

मैच के प्रमुख क्षण

  • रोहित शर्मा और शुभमन गिल की शतकीय साझेदारी

  • भारतीय स्पिनरों का दबदबा

  • श्रेयस अय्यर और अक्षर पटेल की महत्वपूर्ण साझेदारी

  • केएल राहुल की संयमित पारी

इन सभी कारकों ने मिलकर भारत को चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 का विजेता बनाया।

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विधिक सहायता शिविर में लोगों को मिला मुफ्त कानूनी परामर्श, जागरूकता अभियान का आयोजन

विधिक सहायता शिविर
विधिक सहायता शिविर विधिक सहायता शिविर में लोगों

विधिक सहायता शिविर में मिला निःशुल्क कानूनी परामर्श

विधिक सहायता शिविर

बहराइच। विधिक सहायता शिविर का आयोजन ब्राह्मण परिवार लखनऊ/भारत (रजि) के तत्वाधान में “युवा अधिवक्ता परिवार संघ भारत” के संयोजन में किया गया। इस शिविर में अधिवक्ताओं ने लोगों की कानूनी समस्याओं को सुना और उनका तत्काल समाधान करने का प्रयास किया। इसके साथ ही विधिक जागरूकता अभियान के तहत नागरिकों को उनके अधिकारों और क़ानून की जानकारी दी गई।

विधिक सहायता शिविर का उद्देश्य

इस विधिक सहायता शिविर का मुख्य उद्देश्य समाज के उन लोगों तक पहुंचना था, जिन्हें कानूनी सहायता की आवश्यकता होती है, लेकिन सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। शिविर में आए लोगों को मुफ्त में कानूनी परामर्श दिया गया और उनके प्रश्नों के उत्तर विशेषज्ञ अधिवक्ताओं ने दिए।

शिविर का आयोजन और प्रमुख अतिथि

शिविर का आयोजन करनैलगंज स्थित कटरा घाट पुल, सरयू नदी के तट पर हुआ। इसकी अध्यक्षता कृष्ण कुमार तिवारी (अधिवक्ता, माननीय उच्च न्यायालय) ने की। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में निम्नलिखित अधिवक्ताओं की उपस्थिति रही—

  • भानु पांडेय (राष्ट्रीय अध्यक्ष)
  • श्याम नारायण मिश्रा (प्रदेश अध्यक्ष)
  • अभिषेक अग्निहोत्री (अधिवक्ता)
  • विशाल पांडेय (अधिवक्ता)
  • शिवम पांडेय, शिवम दीक्षित, राकेश पांडेय, आशीष मिश्रा, देव मिश्रा

इन अधिवक्ताओं ने विधिक सहायता शिविर में लोगों की समस्याओं को सुना और उनका निवारण किया।

कानूनी जागरूकता और समाधान

विधिक सहायता शिविर के दौरान अधिवक्ताओं ने लोगों को विभिन्न कानूनों के बारे में जागरूक किया। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की गई—

  • भूमि विवाद और संपत्ति विवाद
  • परिवारिक मामले एवं वैवाहिक विवाद
  • श्रमिक अधिकार और सरकारी योजनाएं
  • महिला सुरक्षा और घरेलू हिंसा से संबंधित कानून

अधिवक्ताओं ने बताया कि न्याय तक हर व्यक्ति की पहुंच होनी चाहिए, और यह शिविर इसी उद्देश्य से आयोजित किया गया था।

शिविर में उमड़ी भारी भीड़

इस विधिक सहायता शिविर में क्षेत्र के कई गणमान्य लोग और नागरिक उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से शामिल लोगों में द्वारिका प्रसाद अवस्थी, भगवान दीन, गिरधर गोपाल अवस्थी, राजकुमार मिश्रा, दिग्विजय गुप्ता, निर्मल शुक्ला और कई अन्य समाजसेवी शामिल थे। इसके अलावा, शिविर में युवा और बुजुर्गों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपने कानूनी मुद्दों पर चर्चा की।

विधिक सहायता शिविर का आयोजन उन लोगों के लिए एक बेहतरीन पहल साबित हुआ, जिन्हें कानूनी जानकारी और परामर्श की आवश्यकता थी। इस तरह के शिविर नागरिकों को सशक्त बनाते हैं और उन्हें न्याय की ओर कदम बढ़ाने में सहायता प्रदान करते हैं। आयोजकों ने भविष्य में भी ऐसे शिविरों के आयोजन का संकल्प लिया, जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें।

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श्याम भजन संध्या में गूंजे भक्ति के सुर, भक्तों ने कहा – “दिल जो लगाया तुमसे कन्हैया”

श्याम भजन संध्या
श्याम भजन संध्या

श्याम भजन संध्या में भक्ति के रंग, खाटू वाले श्याम का भव्य दरबार सजा

रुपईडीहा, बहराइच: स्थानीय धर्मशाला में शनिवार रात श्याम भजन संध्या का भव्य आयोजन किया गया। इस भजन संध्या में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। खाटू वाले श्री श्याम का मनमोहक दरबार सजा और भक्तगण भजनों में खो गए।

श्याम भजन संध्या
भजन संध्या

श्याम भजन संध्या में गूंजे भक्तिमय सुर

इस श्याम भजन संध्या में कोलकाता से आए भजन गायक प्रकाश मिश्र ने अपने भजनों से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने गाया –
“मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है।”
इसके साथ ही उन्होंने लोकप्रिय भजन “दिल जो लगाया तुमसे कन्हैया, दीवाना मैं तेरा हो गया” भी प्रस्तुत किया, जिससे भक्तगण भाव-विभोर हो उठे।

श्याम भजन संध्या में हुआ भव्य सम्मान समारोह

भजन गायक प्रकाश मिश्र को रामचंद्र अग्रवाल द्वारा विशेष रूप से दुशाला ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे और भजनों का आनंद लेते रहे।

होली के रंग में रंगी धमाल प्रस्तुतियों ने मोहा मन

परंपरागत रूप से श्याम भजन संध्या में होली की धमाल प्रस्तुत की गई, जिससे श्रद्धालुओं की भक्ति में और अधिक रंग भर गया। भक्तों ने झूम-झूमकर भजनों पर ताल से ताल मिलाई।

शाम 9 बजे से आधी रात तक गूंजे भजन

यह भजन संध्या रात 9 बजे शुरू हुई और आधी रात 12 बजे तक चली। इस दौरान रुपईडीहा के चेयरमैन डॉ. उमाशंकर वैश्यउद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री संजय वर्मासंतोष अग्रवालवरुण बंसलरोहननरेश बंसलनरेश मित्तलअनिल कसौंधन और सभासद राजकुमार कसौंधन सहित बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।

श्याम भजन संध्या का आयोजन समिति और संयोजक

इस श्याम भजन संध्या का आयोजन श्री श्याम निशानोत्सव पदयात्रा समिति के तत्वावधान में किया गया। प्रमुख आयोजकों में सुशील बंसल, अनिल अग्रवाल, बलराम मिश्र और कृष्ण मोहन सिंह का विशेष योगदान रहा।

श्रद्धालुओं में दिखा जबरदस्त उत्साह

भक्तगण पूरे समय भक्ति में डूबे रहे और हर भजन के साथ तालियां बजाकर अपनी श्रद्धा प्रकट की। श्रद्धालुओं ने कहा कि ऐसी श्याम भजन संध्या में शामिल होना आत्मा को शांति और श्री श्याम का आशीर्वाद दिलाने जैसा है।

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विद्यालय में शिक्षण सामग्री वितरण: स्वर्गीय चौधरी की पुण्यतिथि पर छात्रों को मिला उपहार

विद्यालय में शिक्षण सामग्री वितरण
विद्यालय में शिक्षण सामग्री वितरण

विद्यालय में शिक्षण सामग्री वितरण: स्वर्गीय चौधरी की पुण्यतिथि पर बच्चों को मिली शिक्षा की सौगात

विद्यालय में शिक्षण सामग्री वितरण

बहराइच। स्वर्गीय चौधरी त्रिभुवन दत्त वर्मा की पुण्यतिथि पर विशेष आयोजन

स्वर्गीय चौधरी त्रिभुवन दत्त वर्मा की पुण्यतिथि पर उनके पौत्रों ने एक अनूठी पहल करते हुए क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण सामग्री वितरण किया। इस अवसर पर छात्रों को पेन, कॉपी, पेंसिल, रबर, कटर, टॉफी और बिस्किट जैसे आवश्यक शैक्षिक संसाधन दिए गए। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करना और उनके पढ़ाई के संसाधनों में सहायता प्रदान करना था।

विद्यालय में शिक्षण सामग्री वितरण से छात्रों में उत्साह

इस कार्यक्रम का आयोजन प्राथमिक विद्यालय माधव राम पूरवा, दुर्गापुरवा, चितरहिया प्रथम द्वितीय और आंगनबाड़ी केंद्रों में किया गया। जब बच्चों को शिक्षण सामग्री वितरण किया गया तो उनके चेहरे खुशी से खिल उठे। उन्हें पेन, कॉपी और अन्य शैक्षिक सामग्रियां पाकर पढ़ाई के प्रति नई प्रेरणा मिली।

हमें शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए – डॉ. सचिन वर्मा

इस अवसर पर स्वर्गीय चौधरी के पौत्र डॉ. सचिन वर्मा ने कहा,
“शिक्षा ही समाज की प्रगति का आधार है। हम चाहते हैं कि क्षेत्र के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले, और इसीलिए हमने यह पहल की है।”

शिक्षण सामग्री वितरण के साथ शिक्षकों और सहयोगियों को किया सम्मानित

विद्यालयों के छात्रों के साथ-साथ अध्यापकों को डायरी और पेन भी भेंट किए गए। इस पहल का मकसद शिक्षकों को उनके योगदान के लिए प्रोत्साहित करना था। इसके अलावा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सहायिका और रसोईया को भी वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

शिक्षा के महत्व को समझते हुए आगे भी जारी रहेगा प्रयास

स्वर्गीय चौधरी के अन्य पौत्रों – डॉ. सत्यम वर्मा, अधिवक्ता रोहित कुमार वर्मा और हेमंत कुमार वर्मा – ने भी इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि यह पहल आगे भी जारी रहेगी और हर वर्ष अधिक से अधिक जरूरतमंद छात्रों तक सहायता पहुंचाई जाएगी।

विद्यालय में शिक्षण सामग्री वितरण का सकारात्मक प्रभाव

इस पहल से छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों में भी उत्साह देखने को मिला। अध्यापकों ने इसे एक प्रेरणादायक कदम बताया और उम्मीद जताई कि अन्य लोग भी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आगे आएंगे।

स्वर्गीय चौधरी त्रिभुवन दत्त वर्मा की पुण्यतिथि पर विद्यालय में शिक्षण सामग्री वितरण कर उनके पौत्रों ने एक सराहनीय कार्य किया। इससे बच्चों को न केवल पढ़ाई में मदद मिलेगी, बल्कि उनके भीतर शिक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। ऐसे प्रयास समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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