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Friday, July 4, 2025
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कुर्बानी का मतलब हत्या करना नहीं.. जब इरफ़ान खान ने लोगों की दी थी नसीहत, धर्म के नाम पर छिड़ गया था विवाद!

irrfhan khan

जब भी बॉलीवुड इंडस्ट्री में बेहतरीन कलाकारों के बारे में बात होती है तो इरफान खान का नाम जरूर सामने आता है। जी हां इरफान खान उन उम्दा एक्टर में से एक थे जिन्होंने अपनी मौजूदगी से हर किसी का दिल जीत लिया था। वहीं उनकी फिल्में भी कमाल की होती थी। उनका लाजवाब डायलॉग बोलने का अंदाज हर किसी का दिल जीत लेता था। इरफान खान का नाम उन दिनों काफी सुर्खियों में रहा जब उन्होंने बकरा ईद पर कुर्बानी को लेकर एक ऐसा बयान दे दिया था जिसके बाद हर तरफ जंग छिड़ गई थी और इसके बाद उन्हें सफाई भी देनी पड़ी थी। तो चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला?

ऐसा क्या बोल गए थे इरफ़ान खान?
आज यानी कि 7 जून को देश भर में ‘ईद उल अजहा’ यानी की बकरा ईद मनाई जा रही है। हर साल इस त्यौहार पर जानवरों की हत्या की जाती है, हालांकि इसके कारण कई जगह विवाद भी शुरू हो जाता है। वही ऐसा ही कुछ हुआ था मशहूर अभिनेता इरफान खान को लेकर भी। दरअसल उन्होंने साल 2016 में इस पारंपरिक सोच पर सवाल उठाए थे उन्होंने यह कहा था कि कुर्बानी का मतलब कभी भी जानवर काटना नहीं होता।

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उन्होंने अपने बयान में कहा था कि, “कुर्बानी का मतलब बाजार से बकरा खरीदना और काट देना नहीं है। कुर्बानी का मतलब है अपनी सबसे प्यारी चीज़ का त्याग करना। किसी और जानवर का कत्ल कर देने से हमें पुण्य कैसे मिलेगा ये सोचने वाली बात है। ये कॉमन सेंस है। हम त्यौहारों को एक रूटीन की तरह मनाने लगे हैं लेकिन इसका असली मकसद भूल गए हैं, जो है आत्म शुद्धि और अंदर की निगेटिविटी खत्म करना।”

सफाई में एक्टर ने कही थी ये बात
बस फिर क्या था? हर तरफ जुबानी जंग छिड़ गई और अभिनेता पर धर्म का अपमान करने का आरोप भी लगा दिया गया था। हालांकि इसके बाद इरफान खान ने अपने बयान में सफाई देते हुए कहा था कि, “मैंने कुछ नया नहीं कहा, बस वही बात याद दिलाई जो धर्म की आत्मा है। लोग त्यौहारों की आत्मा को भूल गए हैं, जैसे रमज़ान का रोज़ा सिर्फ भूखे रहने का त्यौहार नहीं है बल्कि खुद से जुड़ने और संयम साधने का माध्यम है। हर धर्म को आत्मनिरीक्षण की ज़रूरत है। सोचिए कि ये रीति-रिवाज़ क्यों बनाए गए थे और आज इनका क्या मतलब है?”

कैसे शुरू हुआ था इरफ़ान का करियर?
बात की जाए इरफान खान के करियर के बारे में तो उन्होंने छोटे पर्दे से अपने करियर की शुरुआत की। जी हां.. उन्होंने सबसे पहले टीवी सीरियल ‘चंद्रकांता’ में काम किया था जिसमें वह छोटे से किरदार में नजर आए। इसके बाद उन्हें पहली बार फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ मिली। इसमें भी उनका छोटा सा रोल था हालांकि उन्होंने अपने छोटे रोल से गहरी छाप छोड़ी। इसके बाद उन्होंने ‘पान सिंह तोमर’, ‘द लंच बॉक्स’, ‘तलवार’, ‘हिंदी मीडियम’ जैसी सुपरहिट फिल्मों से अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया।

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इसी बीच इरफान खान को कैंसर जैसी बीमारी हुई जिसने हर किसी को हैरान कर दिया। वही 29 अप्रैल 2020 को इरफान खान इस दुनिया को अलविदा कह गए। उन्होंने कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। भले ही आज इरफान खान हमारे बीच ना हो लेकिन उनकी सुपरहिट फिल्में आज भी हमें उनकी याद दिलाती है और वह अपने शानदार अभिनय के लिए हमेशा अमर रहेंगे।

पिता की तरह टेलेंटेड हैं बेटे बाबिल
इरफान खान के अलविदा कहने के बाद उनके बेटे बाबिल खान ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा। 15 मई 1998 के जन्मे बाबिल खान ने साल 2022 में फिल्म ‘कला’ से अपने करियर की शुरुआत की। इससे पहले वह बतौर कैमरा सहायक के रूप में काम करते थे। बता दे ‘कला’ में उनकी एक्टिंग की खूब तारीफ हुई। इसके बाद उन्हें ‘द रेलवे मैन भोपाल की अनकही कहानी’, ‘फ्राईडे नाइट’, ‘प्लान’ जैसी फिल्मों में काम करने का मौका मिला।

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अपने पिता की तरह ही बाबिल खान भी चुनिंदा अभिनेताओं में से एक है। पिछले दिनों उनका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था जिसमें वह रोते बिलखते हुए नजर आए थे। इस दौरान उन्होंने बॉलीवुड इंडस्ट्री की जमकर बुराई की थी, हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने यह वीडियो डिलीट भी कर दिया था।

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IPL 2026 में इन खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखा सकती है CSK, बेकार रहा प्रदर्शन, ना ट्रॉफी जीती ना फैंस का दिल!

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जब भी आईपीएल में बेहतरीन टीम की बात होती है तो इसमें चेन्नई सुपर किंग्स का नाम जरूर शामिल होता है। जी हां सीएसके एक ऐसी टीम रही है जो कई बार आईपीएल का खिताब अपने नाम कर चुकी है। वही इस टीम में महेंद्र सिंह धोनी की मौजूदगी क्या है? यह हर कोई जानता है, टीम की फैन फॉलोइंग भी काफी तगड़ी है। खासकर महेंद्र सिंह धोनी की वजह से इस टीम को हमेशा ही प्यार मिलता रहा है हालांकि इसके अन्य खिलाड़ी भी शानदार प्रदर्शन करते हैं, लेकिन आईपीएल 2025 सीएसके के लिए कोई खास सीजन नहीं रहा। इस सीजन में फैंस को उम्मीद थी कि सीएसके अंत तक खेलेगी लेकिन टीम की ट्रॉफी जीतने की उम्मीद तो छोड़िए वह एक मुकाबले भी जीतने वाली जैसी टीम नजर नहीं आई। लगातार हर मुकाबले में उन्हें निराशा ही हाथ लगी और इसके पीछे एक नहीं बल्कि कई सारे प्लेयर से जिम्मेदार रहे।

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बात की जाए धोनी की तो वह सीएसके के शानदार कप्तान रहे हैं और हमेशा ही उन्होंने अपनी कप्तानी से दर्शकों का दिल जीता और ट्रॉफी भी अपने नाम की। यही वजह है कि सीएसके धोनी के नाम से ही चलती है। खैर इसी बीच हम जानेंगे उन खिलाडियों के बारे में जिन्हे सीएसके आने वाले सीजन में अपनी टीम से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर आईपीएल 2026 में कौन से खिलाड़ी इस टीम से बाहर हो सकते हैं?

मुकेश चौधरी
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम है मुकेश चौधरी का जो चेन्नई सुपर किंग्स के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक है लेकिन आईपीएल 2026 में वह बाहर हो सकते हैं। दरअसल, इस सीजन में उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन उनका प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। आईपीएल 2025 में उन्हें दो मैच खेलने के मौके मिले लेकिन उन्होंने इसमें कोई खास प्रदर्शन नहीं किया और सिर्फ एक विकेट ही लिया। ऐसे में कहा जा रहा है कि, वह अगले सीजन 2026 में शायद ही चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा रहे।

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डेवोन कॉन्वे
दूसरे नंबर पर आते हैं डेवोन कॉन्वे। जी हां न्यूजीलैंड के इस शानदार बल्लेबाज को आईपीएल 2025 मेगा एक्शन में 6.25 करोड़ में रिटर्न किया गया था, लेकिन उनका प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। 6 मैचों में केवल वह 156 रन ही बना कर निकले, ऐसे में उम्मीद लगाई जा सकती है कि वह साल 2026 में सीएसके से बाहर हो सकते हैं।

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विजय शंकर
तीसरा नाम आता है विजय शंकर का। बता दे विजय शंकर को आईपीएल 2025 मेगा एक्शन में 1.2 करोड रुपए की राशि देकर खरीदा था लेकिन वह बिल्कुल भी अपनी कीमत अदा नहीं कर पाए। ऐसे में इंडियन प्रीमियर लीग 2026 से विजय शंकर को भी छुट्टी मिल सकती है। उन्होंने इस सीजन में 6 मुकाबले खेले लेकिन उन्होंने सिर्फ वह 118 रन ही अपने नाम कर पाए। ऐसे में उनका प्रदर्शन देखते हुए भी कहा जा रहा है कि चेन्नई सुपर किंग्स साल 2026 में उनकी छुट्टी कर सकती है।

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राहुल त्रिपाठी
चौथे नंबर पर आते हैं राहुल त्रिपाठी। जी हां.. यूं तो राहुल त्रिपाठी शानदार खिलाड़ियों में से एक है लेकिन चेन्नई सुपर किंग्स के लिए उन्होंने कोई खास कमाल नहीं किया। राहुल त्रिपाठी को ओपनर चेन्नई सुपर किंग्स ने सीजन में आजमाया लेकिन उनका बल्ला वह प्रदर्शन नहीं कर पाया जिससे फैंस को उम्मीदें थी। वह हर एक मैच में फ्लॉप रहे, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगले सीजन में शायद ही राहुल त्रिपाठी को चेन्नई सुपर किंग्स में जगह मिल पाए।

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रविचंद्रन अश्विन
अंत में नाम आता है जाने-मैन खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन का। बता दे अश्विन को 2025 मेगा ऑप्शन में करीब 9.75 करोड रुपए में खरीदा गया था। इतने पैसे खर्च करने के बावजूद रविचंद्रन अश्विन अपना प्रदर्शन नहीं दिखा पाए। जी हां आईपीएल के 19 वें सीजन में शायद ही चेन्नई सुपर किंग्स में रविचंद्रन अश्विन को मौका मिले। इतना ही नहीं बल्कि 2025 में उन्होंने गेंद से भरपूर रन लुटाए तो वहीं बल्ले से एक अच्छी पारी भी नहीं खेल सके। ऐसे में उन्होंने अपने फैंस को काफी निराश किया है।

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सेहत के लिए हर रोज कितना नमक सही? ज्यादा नमक से रहता है इन बीमारियों का खतरा!

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जब भी घरों में खाना बनता है तो नमक स्वाद के अनुसार डाला जाता है, लेकिन हम आपसे यह कहना चाहते हैं कि स्वाद नहीं बल्कि सेहत के अनुसार नमक का इस्तेमाल करना चाहिए। जी हां थोड़ी देर के स्वाद के लिए आप अपने शरीर के साथ ऐसा गंदा खेल खेलते हैं कि बाद में आपको बड़ी बीमारियां घेर लेती है। दरअसल आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग चटपटा और मसालेदार भोजन खाना पसंद करते हैं। एक वक्त था जब लोग सादा और पौष्टिक खाना पसंद करते थे लेकिन आजकल ज्यादातर लोग तीखे, मसालेदार और नमक से भरपूर फास्ट फूड लेना पसंद करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके लिए ज्यादा नमक वाला खाना कितना नुकसानदायक होता है।

जी हां आपने कभी अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि दिन भर यह सारी चीज आपके शरीर को धीरे-धीरे नष्ट कर रही है। वहीं कुछ लोगों को तो नमक खाने की इतनी ज्यादा आदत रहती है कि वह हर खाने में ऊपर से नमक लेना पसंद करते हैं। तो चलिए जानते हैं आखिरकार जरूरत से ज्यादा नमक आपके शरीर के लिए कितना हानिकारक होता है और आपको दिन में कितना नमक खाना खाना चाहिए?

सबसे पहले हम जान लेते हैं कि आखिर नमक खाने से क्या-क्या नुकसान होते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर का खतरा
इसमें सबसे पहले है हाई ब्लड प्रेशर। जी हां जो लोग रोजाना जरूर से ज्यादा नमक खाते हैं उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है। दरअसल हाई बीपी हार्ट अटैक और स्ट्रोक का आना नमक ज्यादा खाने का कारण बताया जाता है। जो लोग 40 से ऊपर हो गए हैं उन्हें नियमित रूप से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए, नहीं तो हाई बीपी की आशंका बढ़ जाती है।

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किडनी को रहता है खतरा
नमक ज्यादा खाने से आपकी किडनी पर भी बुरा असर देखने को मिलता है। दरअसल किडनी ब्लड को फिल्टर करने का काम करती है। ऐसे में आप ज्यादा नमक खाते हैं तो किडनी के फंक्शन कमजोर हो जाते हैं। वही ज्यादा नमक के कारण शरीर में कैल्शियम की भी कभी होने लगती है जो पेशाब के जरिए बाहर निकलता है और इससे किडनी स्टोन यानी की पथरी बनने की संभावना अधिक रहती है।

हड्डियों पर पड़ता है असर
ज्यादा नमक खाने से आपकी हड्डियां भी कमजोर होती है। जी हां नमक हड्डियों से कैल्शियम खींच लेता है। ऐसे में आपके पूरे शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है और धीरे-धीरे आपकी हड्डियां भी कमजोर होने लगती है। महिलाओं में यह समस्या ज्यादा रहती है। ऐसे में ध्यान रहे कि आप सेहत के अनुसार ही नमक खाना पसंद करें।

मोटापा बढ़ता है
इसके अलावा ज्यादा नमक खाने से मोटापा और थकावट भी बढ़ती है। ज्यादा नमक खाने से प्यास बहुत ज्यादा लगती है। ऐसे में कई लोग मीठे या शुगर ड्रिंक भी लेना शुरू कर देते हैं। इससे कैलोरी ज्यादा होती है और तेजी से वजन बढ़ने लगता है। ज्यादा नमक खाने से नींद की गुणवत्ता में कमी और थकावट का भी सामना करना पड़ सकता है।

शरीर में पानी जमने लगता है
जो लोग ज्यादा नमक खाते हैं उनके शरीर में सोडियम की मात्रा भी बढ़ जाती है जिससे शरीर में पानी जमा होने लगता है। जी हां कई लोगों के हाथ, पैर और चेहरे पर सूजन आने लगती है और इसे वाटर रिटेंशन कहते हैं। ऐसी स्थिति में किडनी और दिल की बीमारी भी हो सकती है।

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दिल की बिमारी की संभावना
जो व्यक्ति ज्यादा नमक लेते हैं उनके दिल की मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचता है। जी हां दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है और दरअसल ज्यादा नमक खाने से दिल पर दबाव पड़ता है। ऐसे में कार्डियक अरेस्टऔर कोरोनरी आर्टरी डिजीज का भी खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप ख्याल रखिए कि खाने में नमक का कम ही इस्तेमाल करें।

एक दिन में कितना नमक सही?
दरअसल, नमक खाने में स्वाद के लिए बहुत जरूरी होता है लेकिन जब आप इसका धीरे-धीरे ज्यादा मात्रा में उपयोग करने लगते हैं तो यह आपके लिए कई समस्या को खड़ा कर देता है। WHO के अनुसार एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन अधिकतम 5 ग्राम (लगभग एक छोटा चम्मच) नमक का सेवन करना चाहिए और यह नमक दाल, रोटी, सब्जियां में आसानी से मिल जाता है। वहीं बच्चे, बुजुर्ग और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को भी कम मात्रा में ही नमक लेना चाहिए।

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गुरुद्वारा बंगला साहिब में “पीईटी सीटी मशीन” का हुआ भव्य उद्घाटन, जरूरतमंदों को मिली एक और भव्य सौगात!

  1. गुरुद्वारा बंगला साहिब में “पीईटी सीटी मशीन” का हुआ भव्य उद्घाटन।
  2. गरीब जरूरमंद मरीजों को मिली एक और भव्य सौगात:-(डीएसजीएमसी)

चौहान अनिल, नई दिल्ली: दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब में पीईटी सीटी मशीन का भव्य उद्घाटन मनजिंदर सिंह सिरसा जो कि दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के रूप में सेवारत हैं साथ ही में प्रधान हरमीत सिंह कालका एवं जनरल सेक्रेटरी जगदीश सिंह कहलों के द्वारा किया गया। इस मशीन के स्थापित होने से कैंसर रोगियों के शुरुआती जांच और उपचार में काफी मदद मिलेगी,जानकारों की माने तो यह मशीन गरीब एवं जरूरतमंद कैंसर रोगियों लिए वरदान साबित होने के साथ-साथ एक बहुत बड़ी सुविधा होगी।

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इस भव्य उद्घाटन समारोह में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति(डीएसजीएमसी)के सदस्यों में एस हरजीत सिंह पापा, एस भूपेंद्र सिंह भुल्लर सदस्य एवं अध्यक्ष एमआरआई,पेट सीटी स्कैन डीएसजीएमसी,एस करतार सिंह सीनियर वाइस चेयरमैन गुरुद्वारा मोती बाग साहिब जी डीएसजीएमसी, वाइस चेयरमैन विजिलेंस डिपार्मेंट डीएसजीएमसी, एस सत्येंद्र पाल सिंह नागी डीएसजीएमसी सदस्य, अध्यक्ष गुरु हरकिशन प्राइवेट आईटीआई तिलक नगर आदि शामिल हुए। दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधन समिति के द्वारा संगत को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई और तरह के भी प्रमुख कदम उठाए गए हैं।

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UPSC: परीक्षार्थी की नजर सिविल सर्विस प्रीलिम्स के रिजल्ट पर, जानिए किसको मिलेगी कितनी सीट? कैसी होगी चयन प्रक्रिया!

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परीक्षार्थी यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2025 का रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार कर रही है। जी हां.. लाखों उम्मीदवारों की निगाहें अब यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट पर टिकी हुई है। बता दे देश भर में 25 मई को यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा आयोजित की गई थी जिसमें हजारों बच्चों ने भाग लिया था। जैसा कि यूपीएससी की परीक्षा प्रश्न प्रशासनिक सेवाओं जैसे आईएफएस, आईएएस, आईपीएस सहित कई बड़े पदों पर नियुक्ति के लिए आयोजित की जाती है। रिपोर्ट की माने तो इस साल करीब 979 पदों पर भर्ती होने वाली है जिसमें कुछ सीट दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए भी रिजर्व है। तो चलिए जानते हैं आखिर चयन प्रक्रिया क्या होगी?

किसी होती है प्रिलिम्स परीक्षा?
सबसे पहले बात की जाए यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा के बारे में तो इसमें दो ऑब्जेक्टिव पेपर होते हैं और इन पेपर की अवधि 2 घंटे के करीब होती है। हर पेपर के लिए विद्यार्थियों को 200 मार्क्स मिलते हैं। इसमें नेगेटिव मार्किंग भी होती है जिसमें हर गलत जवाब पर उसे सवाल के निर्धारित अंक का 0.33 हिस्सा काट लिया जाता है। हालांकि यह परीक्षा केवल एक स्क्रीनिंग टेस्ट होती है इसमें प्राप्त अंकों का उपयोग मेरिट लिस्ट बनाने में बिल्कुल भी नहीं किया जाता है। मेरिट परीक्षा के लिए आपको मुख्य परीक्षा यानी कि यूपीएससी मैंस में शामिल होना होगा। इसके बाद यूपीएससी की तरफ से एक इंटरव्यू निर्धारित किया जाता है जिसे आपको क्रैक करना पड़ता है तब कहीं जाकर आप एक प्रतिष्ठित पद पा सकते हैं।

कितने पद दिव्यांगों के लिए?
वही बात की जाए इस साल के यूपीएससी पद के बारे में तो इस साल करीब 979 पदों पर भर्ती निकली है जिसमें कुछ पद आरक्षित है। इसमें 12 पद दृष्टि बाधित या कम दृष्टि वाले उम्मीदवारों के लिए हैं जबकि 7 पद श्रवण बाधित उम्मीदवारों के लिए हैं। इसके अलावा 9 पद मल्टीपल डिसेबिलिटी वालों के लिए है तो वही 10 पद चलने फिरने में अक्षम उम्मीदवारों के लिए हैं।

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कैसे चेक करें अपना रिजल्ट?
बात करें यूपीएससी प्रीलिम्स रिजल्ट के बारे में तो आप इसे बड़ी ही आसानी से चेक कर सकते हैं। हालांकि अभी तक यूपीएससी प्रीलिम्स रिजल्ट 2025 जारी नहीं हुआ है लेकिन यदि जारी होता है तो आप इन आसान स्टेप्स के माध्यम से अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं।

  1. इसके लिए आपको सबसे पहले यूपीएससी की ऑफिशल वेबसाइट upsc.gov.in पर जाना होगा।
  2. इसके बाद आपको होम पेज पर यूपीएससी सीएसई प्रीलिम्स रिजल्ट 2025 की लिंक दिखाई देगी जिस पर आपको क्लिक करना होगा।
  3. इसके बाद आपके सामने एक फॉर्म खुलकर आएगा जिसमें आप अपने एप्लीकेशन नंबर और डिटेल्स सबमिट करें।
  4. इसके बाद आपके सामने रिजल्ट खुलकर आएगा, अब आप उसे आसानी से चेक कर सकते हैं।
  5. भविष्य के लिए आप इसका प्रिंट आउट या पीडीएफ भी अपने पास रख सकते हैं।

प्रिलिम्स के बाद क्या होती है प्रक्रिया?
आप सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि आखिर यूपीएससी प्रीलिम्स रिजल्ट में पास होने के बाद आपको क्या करना होगा? दरअसल, जो व्यक्ति इस प्रीलिम्स में सफल हो जाएगा उन्हें सीएससी मेंस एग्जाम 2025 में बैठने का मौका मिलेगा। जी यही वह प्रक्रिया है जहां से आपके जीवन का अगला मोड़ आएगा और आप एक नए पद के लिए आगे बढ़ेंगे। इसके लिए अलग से एडमिट कार्ड और परीक्षा शेड्यूल जारी किया जाएगा। अगर आप यूपीएससी में कैरियर बनाना चाहते हैं तो आने वाले समय में सतर्क और अपडेट रहे ताकि आपको आगे की प्रक्रिया में अच्छे से मालूम हो।

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बदल गई है वेबसाइट, लागू नहीं होगा पुराना OTR
बता दें संघ लोक सेवा आयोग यानी कि यूपीएससी ने पिछले दिनों अपना एक नया एप्लीकेशन आवेदन पोर्ट http://upsconline.nic.in लॉन्च किया है। यूपीएससी की तरफ से कहा गया है कि नया आवेदन पोर्टल 28.5.2025 से शुरू किया जा रहा है। यह भी बताया गया है कि सभी आवेदकों को नए पोर्टल पर आवेदन भरना और अपने दस्तावेज अपलोड करना जरूरी है।

आप इसके लिए वेबसाइट का उपयोग करें, पुराना वन टाइम रजिस्ट्रेशन मॉडल अब लागू नहीं होगा। नए ऑनलाइन आवेदन पोर्टल http://upsconline.nic.in पर चार हिस्से आए हैं जो होम पेज पर कर अलग-अलग कोर्ड्स में देखने को मिलेंगे। इनमें से तीन हिस्से यूनिवर्सल रजिस्ट्रेशन, कॉमन एप्लीकेशन फॉर्म और अकाउंट क्रिएशन है जो सभी परीक्षाओं के लिए सामान्य जानकारी रखते हैं। खास बात यह है कि उम्मीदवार इन्हें कभी भी भर सकते हैं।

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21 जून को ग्राम पंचायतों में योगाभ्यास कार्यक्रम, केशव प्रसाद मौर्य ने की अधिक से अधिक लोगों के आने की अपील!

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  1. 21 जून को ग्राम पंचायतों में वृहद स्तर पर भव्य स्वरूप में आयोजित किये जांय, योगाभ्यास कार्यक्रम।
  2. 11 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित योग कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोगों की सहभागिता सुनिश्चित की जाय- केशव प्रसाद मौर्य

सचिन मलिक, लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा और उनके मार्गदर्शन में भारत की परम्परागत विरासत योग को जन-जन के आरोग्य का माध्यम बनाये जाने के उद्देश्य से 21 जून को आयोजित होने वाले 11वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस को वृहद एवं भव्य स्वरूप में मनाया जाय, जिससे योग के माध्यम से प्रत्येक परिवार को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो सके।

निर्देश दिए गए हैं कि ग्यारहवें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम से संबंधित समस्त व्यवस्थायें समय से पूर्ण कर ली जाये तथा योगाभ्यास कार्यक्रम का आयोजन वृहद एवं भव्य तरीके से किया जाय। योग दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में जनसामान्य को भी शामिल होने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाय, ताकि जन सामान्य द्वारा अधिकाधिक संख्या में योग कार्यक्रम में प्रतिभाग किया जाय। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस- 2025 पर योग कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराने हेतु व्यापक दिशा निर्देश दिये गये हैं।

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निर्देश दिये गये हैं कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2025 को वृहद एवं भव्य स्वरूप में मनाया जाना सुनिश्चित किया जाए। 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम से संबंधित समस्त व्यवस्थाएं शीघ्र पूर्ण कर ली जाएं तथा योगाभ्यास कार्यक्रम का आयोजन वृहद एवं भव्य तरीके से मनाया जाए। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजनांतर्गत निर्मित परिसंपत्तियों पर साफ-सफाई का विशेष अभियान चलाया जाना सुनिश्चित किया जाए। प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजनांतर्गत निर्मित अमृत सरोवर, खेल मैदान, मनरेगा पार्क/ओपन जिम/स्टेडियम, आंगनबाड़ी केन्द्र, पंचायत भवन इत्यादि पर योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित किया जाना सुनिश्चित किया जाए।

योग दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाए तथा समारोह में समस्त ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम प्रधान, तकनीकी सहायक, ग्राम रोजगार सेवक, महिला मेट, मनरेगा योजनान्तर्गत जॉबकार्ड धारक एवं कार्यरत श्रमिकों को शामिल किया जाना सुनिश्चित किया जाये साथ ही जनपद के समस्त विकास खण्डों के खण्ड विकास अधिकारी व अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी द्वारा भी किसी निश्चित कार्यस्थल पर अनिवार्य रूप से प्रतिभाग किया जायेगा।

योग दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में जनसामान्य को भी शामिल होने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाय, ताकि जनसामान्य द्वारा अधिकाधिक संख्या में योग कार्यक्रम में प्रतिभाग किया जा सके। स्थानीय स्तर पर संचालित योग संस्थानों, स्वयं सहायता समूहों के प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों का सहयोग योगाभ्यास कराने में लिया जाय।

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आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग जी एस प्रियदर्शी द्वारा समस्त मुख्य विकास अधिकारियो को 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2025 पर योग कार्यक्रम को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने हेतु दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। निर्देश दिये गये हैं कि योगाभ्यास कार्यक्रम की उच्च क्वालिटी की फोटोग्राफ/ वीडियों संरक्षित करके विभागीय सोशल मीडिया एकाउण्ट पर साझा की जाय तथा उसे मनरेगा प्रकोष्ठ, उ०प्र० को भी उपलब्ध कराये। समस्त जिलाधिकारी/ जिला कार्यक्रम समन्वयक, समस्त उपायुक्त (श्रम रोजगार), ग्राम्य विकास को भी इस सम्बन्ध मे आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।

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देशभर में बकरीद का उत्साह, पीएम मोदी से राष्ट्रपति तक ने देशवासियों को दी बधाई, जाने क्यों दी जाती है इस दिन कुर्बानी?

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आज पूरे देश में बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा है। बता दे यह एक ऐसा त्यौहार है जिसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। बकरा ईद को ईद उल अजहा, ईद उल जुहा अथवा ईद अल बकरा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार त्याग और इंसानियत का प्रतीक है। इस्लाम धर्म में इसे ‘Festival of Sacrifice’ यानी कुर्बानी का त्योहार कहा जाता है और मुस्लिम परिवार इसे बड़ी ही उत्सुकता के साथ मनाते हैं। बता दे इस खास मौके पर देश भर में खुशी की लहर है तो वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति मुर्मू तक ने देशवासियों को बकरा ईद की बधाई दी है।

पीएम मोदी ने दी देशभर को बधाई
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, “ईद-उल-अजहा की ढेरों शुभकामनाएं। यह पावन अवसर हमारे समाज में सद्भाव और शांति को और मजबूत बनाए – ऐसी मेरी कामना है। सभी को अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की शुभकामनाएं।” वहीं राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू ने भी देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि, “ईद-उज-जुहा के पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों, विशेष रूप से मुस्लिम भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। यह त्योहार बलिदान, आस्था तथा अनेक उदात्त आदर्शों के महत्व को समझाता है।” वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी बकरीद की बधाई दी। उन्होंने लिखा कि, “ईद-उल-अज़हा निस्वार्थ त्याग, विश्वास और क्षमा के महान मूल्यों का जश्न मनाता है।”

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इन नेताओं ने भी दी बधाई
इसके अलावा बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी बकरीद की बधाई देते हुए कहा कि, “हमारा देश सभी धर्मावलंबियों का देश है, जहां सभी धर्मों के पर्व और त्योहार होते हैं जिन्हें हम मिल-जुलकर मनाते हैं। ईद-उल-अज़हा का त्योहार तीन दिनों तक हमारे देश और दुनिया में मनाया जाता है। निश्चित तौर पर सरकार की गाइडलाइन का सभी को सम्मान करना चाहिए। सौहार्द और भाईचारे की डोर कहीं से भी कमजोर ना पड़े इसका भी हम सभी को ध्यान रखना चाहिए। ईद अल-अज़हा की सभी को मुबारकबाद।”

वहीं बीजेपी नेता यासिर जिलानी ने कहा कि, “ईद अल-अज़हा पर तमाम भारत के लोगों को मैं मुबारकबाद देता हूं। आज मैं दिल्ली के लोगों से एक अपील भी करना चाहूंगा कि दिल्ली सरकार ने जो एडवाइजरी जारी की है उसका पालन करें। सफाई का ध्यान रखें। मैं देश की तरक्की, उन्नति और प्रगति की दुआ करता हूं। इस खुशी के पल में पूरा देश शामिल है।”

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क्यों दी जाती है कुर्बानी?
अब हम जानते हैं कि आखिर बकरा ईद को कुर्बानी क्यों दी जाती है? दरअसल, ईद उल अजहा की कहानी हजरत इब्राहिम से जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि वह अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। हालांकि इस दौरान खुदा ने उन्हें एक जानवर दे दिया जिसकी बलि दी गई, इसके बाद इस त्यौहार पर एक बकरी, भेड़ या अन्य जानवर की कुर्बानी दी जाती है जो इस दिन सबसे अहम रस्म मानी जाती है। बकरा ईद के दिन कुर्बानी के जरिए यह संदेश दिया जाता है कि अल्लाह की राह पर कुछ भी कुर्बान किया जा सकता है।

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इंसानियत का भी प्रतिक
यह भी कहा जाता है कि कुर्बानी का गोश्त अकेले अपने परिवार के लिए नहीं रख सकते, इसका कुछ हिस्सा दोस्तों रिश्तेदारों में भी बांटा जाता है। इसके अलावा गरीब लोगों को भी इसका हिस्सा दिया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि इस्लाम के मुताबिक ऐसे ही जानवर की कुर्बानी दी जाती है जो सेहतमंद हो अगर किसी भी तरह का जानवर कोई बीमार हो तो ऐसा कुर्बानी अल्लाह को राजी नहीं होती है। बता दे बकरा ईद केवल कुर्बानी के लिए ही नहीं बल्कि खुशियों, मेलजोल और इंसानियत का प्रतीक भी है। इस दिन परिवार एक दूसरे से ईद मुबारक कहते हुए गले मिलते हैं, तोहफे और मिठाई भी बांटते हैं।

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उत्तर प्रदेश में कृषि क्रांति की ओर एक कदम, जलवायु अनुकूल धान खेती को बढ़ावा देने के लिए बहु-हितधारक मंच का गठन!

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  1. उत्तर प्रदेश में कृषि क्रांति की ओर एक कदम: समृद्ध धान नेटवर्क (एसडीएन) का शुभारंभ।
  2. जलवायु अनुकूल धान खेती को बढ़ावा देने के लिए बहु-हितधारक मंच का गठन।
  3. पानी की बचत, लागत में कमी और पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य।

सचिन मलिक, लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने आज औपचारिक रूप से ‘समृद्ध धान नेटवर्क (एसडीएन)’ का शुभारंभ किया। यह नेटवर्क राज्य में डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) तकनीक को बड़े स्तर पर बढ़ावा देने और टिकाऊ, जलवायु-स्मार्ट धान उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए गठित एक अग्रणी बहु-हितधारक मंच है। कृषि निदेशालय के सभागार में आयोजित पहले एसडीएन सम्मेलन के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों को टिकाऊ तकनीकों से जोड़ने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, जो पानी बचाती हैं, लागत घटाती हैं और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार हैं।

उन्होंने डीएसआर को एक ऐसी तकनीक बताया जो बिना पैदावार घटाए लाभ पहुंचा सकती है जिससे फसल चक्र में भी सुधार होगा और किसान पहले कटाई कर सकेंगे। उन्होंने एसडीएन के सभी साझेदारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि डीएसआर एक आधुनिक कृषि तकनीक है जो पारंपरिक रोपाई की जगह सीधे बीज बोने पर आधारित है। यह तकनीक 30 प्रतिशत तक पानी की बचत, 30 प्रतिशत तक मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी और श्रम लागत में भारी कटौती का वादा करती है। बदलते मौसम, घटते भूजल स्तर और बढ़ती लागत के वर्तमान परिदृश्य में, डीएसआर उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्य के लिए एक व्यवहारिक और लाभकारी विकल्प के रूप में उभर रहा है।

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कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने डीएसआर तकनीक की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए इसे जल संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और श्रमिकों की कमी जैसी समस्याओं का समाधान बताया। उन्होंने कृषि विभाग से डीएसआर को हर किसान तक पहुंचाने के लिए जरूरी मशीनों पर सब्सिडी की प्राथमिकता तय करने का आग्रह किया। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रमुख सचिव कृषि रविंद्र ने बताया कि एसडीएन एक ऐसा मंच बनेगा जो आंकड़ों की निगरानी, सहयोग और तालमेल को बढ़ावा देगा।

उन्होंने डीएसआर की उपयुक्तता का नक्शा तैयार करने, कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से पारंपरिक किस्मों का परीक्षण करने और पूर्वी यूपी के 75 डीएसआर क्लस्टर्स को मान्यता देने के निर्देश दिए। एसडीएन के सदस्य सचिव और कृषि निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि इस मंच का लक्ष्य आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में डीएसआर तकनीक को अपनाना है, ताकि इसकी पूरी क्षमता का लाभ उठाया जा सके। इस पहली बैठक में कृषि विभाग के अंतर्गत एसडीएन सचिवालय की स्थापना, एसडीएन कोर समूह की घोषणा और जिम्मेदारियों का निर्धारण, 2025 खरीफ सीजन के लिए डीएसआर को बढ़ाने की रणनीति तैयार करना, राज्य की प्राथमिकताओं के साथ एसडीएन के उद्देश्यों का समन्वय जैसे प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए गए।

इस बैठक में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और कोका-कोला फाउंडेशन जैसे विकास भागीदारों की विशेष उपस्थिति रही। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने एसडीएन और उत्तर प्रदेश एक्सीलरेटर कार्यक्रम के साथ मिलकर काम करने पर उत्साह व्यक्त किया और वैज्ञानिक शोध तथा प्रशिक्षण के माध्यम से टिकाऊ धान प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया।

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एसडीएन के लॉन्च से पहले अप्रैल से मई 2025 के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिसमें सैकड़ों किसान, कृषक उत्पादक संगठन, कृषि विज्ञान केंद्र और जिला कृषि अधिकारी शामिल हुए। 30 से अधिक चैंपियन किसानों दो दिवसीय प्रशिक्षण देकर डीएसआर तकनीक सिखाई गई। एसडीएन अब इन प्रयासों को क्लस्टर विकास, तकनीकी पहुंच और फील्ड वैलिडेशन के साथ आगे बढ़ाएगा।

एसडीएन ने यह तय किया है कि आने वाले महीनों में प्रमाण आधारित और परिणाम केंद्रित एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। अगली बैठक नवंबर 2025 में खरीफ सीजन के बाद आयोजित होगी, जिसमें डीएसआर के प्राप्त परिणामों की समीक्षा और 2026 की रणनीति पर चर्चा होगी। इस बैठक में सरकारी विभागों, शोध संस्थानों, निजी कंपनियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि विज्ञान केंद्रों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों सहित 110 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने चंदौली के बाढ़ संभावित क्षेत्रों का किया स्थलीय निरीक्षण, कार्य में सुधार के लिए दिए सख्त निर्देश!

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  1. मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने चंदौली के बाढ़ संभावित क्षेत्रों का किया स्थलीय निरीक्षण।
  2. सुरक्षात्मक कार्यों की गुणवत्ता, समयसीमा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के दिए सख्त निर्देश।
  3. कार्य में सुधार नहीं करने पर कार्यवाही के लिए तैयार रहें संबंधित अधिकारी: स्वतंत्र देव सिंह

सचिन मलिक, चंदौली: उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई एवं जल संसाधन, बाढ़ नियंत्रण, परती भूमि विकास, लघु सिंचाई, नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने आज जनपद के गंगा नदी के तटीय क्षेत्रों में संभावित बाढ़ प्रभाव से निपटने हेतु चल रही तैयारियों एवं सुरक्षात्मक कार्यों का गहन स्थलीय निरीक्षण किया।निरीक्षण के दौरान मंत्री ने अधिकारियों से परियोजनाओं की वास्तविक प्रगति, कार्यस्थल की तकनीकी गुणवत्ता और सामुदायिक प्रभाव से जुड़े विषयों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की।

कुंडाकला में निरीक्षण एवं कड़ी चेतावनी
कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने ग्राम कुंडाकला (नियमताबाद) में चल रहे सुरक्षात्मक कार्यों की धीमी गति पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कार्यस्थल पर निरीक्षण के दौरान पाया कि पत्थरों के बीच में गैप रह गए हैं उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या ढिलाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि आगे उनके कार्य में प्रगति और गुणवत्ता में सुधार नहीं दिखा, तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्य केवल निर्माण नहीं बल्कि लोगों की जान-माल की सुरक्षा से जुड़ा है। अतः इसकी गंभीरता को समझा जाए।

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नरौली में स्पष्ट निर्देश एवं स्वच्छता पर बल
ग्राम नरौली (धानापुर) में निरीक्षण के दौरान कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने सुरक्षात्मक उपायों की स्थिति का जायजा लेते हुए सभी कार्यों को समय से पूर्ण करने के निर्देश दिए।उन्होंने कहा कि बरसात पूर्व सभी सुरक्षा संबंधी संरचनाएं तैयार रहनी चाहिए ताकि बाढ़ के दौरान किसी भी स्थिति में लोगों को पलायन या जनहानि से बचाया जा सके। कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने गंगा नदी की स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए निर्देशित किया कि बस्तियों से निकलने वाला गंदा पानी किसी भी कीमत पर सीधे गंगा में प्रवाहित न हो। इसके लिए नालों का पुनर्निर्माण, जैविक उपचार और मलजल प्रबंधन प्रणाली को मजबूत किया जाए।

तालाबों से अवैध कब्जा हटाने का आदेश
कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने निरीक्षण के दौरान तालाबों के बारे में स्पष्ट निर्देश दिए कि जनपद के जिन तालाबों पर अवैध कब्जा या अतिक्रमण किया गया है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर चिन्हित कर कब्जामुक्त कराया जाए। उन्होंने कहा कि ये तालाब न केवल सिंचाई और भूजल रिचार्ज का साधन हैं, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि कब्जामुक्त किए गए तालाबों को पुनः गहरीकरण कराकर उन्हें वर्षाजल संचयन के लिए उपयोगी बनाया जाए।

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बाढ़ पूर्व तैयारियों को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने का निर्देश
कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि संभावित बाढ़ से निपटने के लिए सभी संबंधित विभागों को समन्वय के साथ कार्य करना होगा। उन्होंने निर्देश दिए कि राहत सामग्री, नाव, सर्च लाइट, मेडिकल किट और सुरक्षित आश्रय स्थलों की पूर्व व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। बाढ़ से पहले गांवों में जनसंवाद व पूर्वाभ्यास (मॉक ड्रिल) कराए जाएं ताकि जनता को समय रहते सतर्क किया जा सके। इस दौरान विधायक रमेश जायसवाल, विधायक सुशील सिंह, जिलाध्यक्ष काशीनाथ सिंह, सूर्यमुनि तिवारी एवं अन्य जनप्रतिनिधिगण सहित सिंचाई तथा ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

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‘बागबान’ के लिए अमिताभ नहीं थे पहली पसंद, हेमा ने भी कर दिया इंकार, जानिए फिर कैसे राजी हुई ड्रीम गर्ल?

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अपने दौर की सबसे सुपरहिट फिल्मों में से एक ‘बागबान’ फिल्म भला किसने नहीं देखी है। यह एक ऐसी फिल्म थी जिसने हर किसी को इमोशनल कर दिया था। फिल्म की कहानी काफी दिलचस्प है और आज भी लोग इसे पसंद करते हैं। फिल्म में मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, सलमान खान, महिमा चौधरी समेत कई कलाकारों ने काम किया था और फिल्म बड़े पर्दे पर खूब पसंद की गई थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले इस फिल्म को हेमा मालिनी ने करने से इनकार कर दिया था। जी हां.. वह 4-4 बड़े बच्चों की मां का किरदार नहीं निभाना चाहती थी। यह हम नहीं बल्कि खुद हेमा मालिनी ने इसका खुलासा किया है। तो चलिए जानते हैं हेमा मालिनी के रोल के पीछे की कहानी?

अपने दौर की सबसे सफल रही फिल्म
बता दे फिल्म ‘बागबान’ साल 2003 में रिलीज हुई थी जो एक पारिवारिक फिल्म है। इस फिल्म में बुढ़ापे में मां-बाप के साथ होने वाले बर्ताव के बारे में दिखाया गया था। फिल्म की कहानी बहुत ही जबरदस्त थी। फिल्म में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी वो पीड़ित पेरेंट्स दिखाए गए थे जिनके चार बेटे होते हैं लेकिन कोई एक बेटा भी उनकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं रहता है। दर्शकों को न केवल यह फिल्म पसंद आई बल्कि इसके गाने आज भी लोगों की जुबां पर रहते हैं। कहा जाता है कि पहले हेमा मालिनी ने इसे करने से इनकार कर दिया था उन्होंने इस रोल को सिर्फ इसलिए ठुकरा दिया था कि वह चार बड़े-बड़े लड़कों की मां नहीं बनना चाहती थी।

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एक्ट्रेस ने साझा किया किस्सा
दरअसल पिछले दिनों हुए एक इंटरव्यू के दौरान खुद हेमा मालिनी ने इसका जिक्र किया था। उन्होंने अपने बयान बताया था कि, “मुझे याद है कि जब मैं रवि चोपड़ा से कहानी सुन रही थी, मेरी मां बैठी हुई थीं। उनके जाने के बाद, मैंने उनसे कहा, ‘चार इतने बड़े-बड़े लड़कों की मां का रोल करने को बोल रहे हैं… मैं ये सब कैसे कर सकती हूं?’ फिर उन्होंने कहा, ‘नहीं, नहीं तुम्हें ये फिल्म करनी ही होगी।’ और मैंने उनसे पूछा कि क्यों।

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उन्होंने कहा, ‘कहानी बहुत अच्छी है, तुम्हें ये करनी ही होगी।’ और वो सच में मेरे पीछे पड़ गई थीं। तो मैंने सोचा, ठीक है, मैं ये करूंगी। क्योंकि पहले मुझे लगा कि इससे पहले, मैं बहुत ज्यादा फिल्में नहीं कर रही थी, इसलिए लंबे ब्रेक के बाद मैं काम कर रही थी। तो मुझे लगा, मुझे ये क्यों करनी है? लेकिन उन्होंने कहा, ‘तुम्हें ये करना ही होगा, ये रोल बहुत अच्छा रहेगा।’”

अमिताभ नहीं थे पहली पसंद
आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि पहले हेमा मालिनी वाला रोल मशहूर अभिनेत्री तब्बू को भी ऑफर हुआ था। जी हां लेकिन उन्होंने इसे करने से इनकार कर दिया। 36 साल की उम्र में तब्बू ने इस दौरान आर. बाल्की. की फिल्म ‘चीनी कम’ में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया था और यह रोल भी उनका काफी सुपरहिट साबित हुआ था। ऐसा कहते हैं कि इस फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन भी पहली नहीं पसंद थे। रिपोर्ट की माने तो अमिताभ बच्चन की जगह पहले इसे दिलीप कुमार को ऑफर किया गया था लेकिन उन्होंने किसी कारण में से इस फिल्म को ठुकरा दिया जिसके बाद यह अमिताभ बच्चन की झोली में आ गिरी। फिर फिल्म ने सिनेमाघर में इतिहास रच दिया। आज भी जब यह फिल्म टीवी पर आती है तो लोग बड़े ही चाव से देखते हैं।

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बता दें, इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, महिमा चौधरी, सलमान खान के अलावा परेश रावल, रिमी सेन, अमन वर्मा, सुमन रागनाथन, साहिल चड्ढा, दिव्या दत्ता, नासिर खान, मोहन जोशी, यश पाठक, समीर सोनी, शरद सक्सेना जैसे कलाकारों ने काम किया था।

राज कपूर की इस फिल्म से हुआ था हेमा का डेब्यू
वही बात की जाए हेमा मालिनी के करियर के बारे में तो वह हिंदी सिनेमा की दिग्गज अदाकारा हैं। उन्हें बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल भी कहा जाता है। बता दे हेमा मालिनी ने राज कपूर के साथ फिल्म ‘सपनों का सौदागर’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वह कई सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा रही। हेमा मालिनी ने मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र से शादी रचाई है और उनकी दो बेटियां हैं जिनका नाम ईशा देओल और आहना देओल है। ईशा देओल कई फिल्मों में काम कर चुकी है बल्कि अहाना देओल एक्टिंग की दुनिया से दूर है।

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