आज पूरे देश में बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा है। बता दे यह एक ऐसा त्यौहार है जिसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। बकरा ईद को ईद उल अजहा, ईद उल जुहा अथवा ईद अल बकरा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार त्याग और इंसानियत का प्रतीक है। इस्लाम धर्म में इसे ‘Festival of Sacrifice’ यानी कुर्बानी का त्योहार कहा जाता है और मुस्लिम परिवार इसे बड़ी ही उत्सुकता के साथ मनाते हैं। बता दे इस खास मौके पर देश भर में खुशी की लहर है तो वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति मुर्मू तक ने देशवासियों को बकरा ईद की बधाई दी है।
पीएम मोदी ने दी देशभर को बधाई
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, “ईद-उल-अजहा की ढेरों शुभकामनाएं। यह पावन अवसर हमारे समाज में सद्भाव और शांति को और मजबूत बनाए – ऐसी मेरी कामना है। सभी को अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की शुभकामनाएं।” वहीं राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू ने भी देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि, “ईद-उज-जुहा के पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों, विशेष रूप से मुस्लिम भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। यह त्योहार बलिदान, आस्था तथा अनेक उदात्त आदर्शों के महत्व को समझाता है।” वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी बकरीद की बधाई दी। उन्होंने लिखा कि, “ईद-उल-अज़हा निस्वार्थ त्याग, विश्वास और क्षमा के महान मूल्यों का जश्न मनाता है।”
इन नेताओं ने भी दी बधाई
इसके अलावा बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी बकरीद की बधाई देते हुए कहा कि, “हमारा देश सभी धर्मावलंबियों का देश है, जहां सभी धर्मों के पर्व और त्योहार होते हैं जिन्हें हम मिल-जुलकर मनाते हैं। ईद-उल-अज़हा का त्योहार तीन दिनों तक हमारे देश और दुनिया में मनाया जाता है। निश्चित तौर पर सरकार की गाइडलाइन का सभी को सम्मान करना चाहिए। सौहार्द और भाईचारे की डोर कहीं से भी कमजोर ना पड़े इसका भी हम सभी को ध्यान रखना चाहिए। ईद अल-अज़हा की सभी को मुबारकबाद।”
वहीं बीजेपी नेता यासिर जिलानी ने कहा कि, “ईद अल-अज़हा पर तमाम भारत के लोगों को मैं मुबारकबाद देता हूं। आज मैं दिल्ली के लोगों से एक अपील भी करना चाहूंगा कि दिल्ली सरकार ने जो एडवाइजरी जारी की है उसका पालन करें। सफाई का ध्यान रखें। मैं देश की तरक्की, उन्नति और प्रगति की दुआ करता हूं। इस खुशी के पल में पूरा देश शामिल है।”
क्यों दी जाती है कुर्बानी?
अब हम जानते हैं कि आखिर बकरा ईद को कुर्बानी क्यों दी जाती है? दरअसल, ईद उल अजहा की कहानी हजरत इब्राहिम से जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि वह अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। हालांकि इस दौरान खुदा ने उन्हें एक जानवर दे दिया जिसकी बलि दी गई, इसके बाद इस त्यौहार पर एक बकरी, भेड़ या अन्य जानवर की कुर्बानी दी जाती है जो इस दिन सबसे अहम रस्म मानी जाती है। बकरा ईद के दिन कुर्बानी के जरिए यह संदेश दिया जाता है कि अल्लाह की राह पर कुछ भी कुर्बान किया जा सकता है।
इंसानियत का भी प्रतिक
यह भी कहा जाता है कि कुर्बानी का गोश्त अकेले अपने परिवार के लिए नहीं रख सकते, इसका कुछ हिस्सा दोस्तों रिश्तेदारों में भी बांटा जाता है। इसके अलावा गरीब लोगों को भी इसका हिस्सा दिया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि इस्लाम के मुताबिक ऐसे ही जानवर की कुर्बानी दी जाती है जो सेहतमंद हो अगर किसी भी तरह का जानवर कोई बीमार हो तो ऐसा कुर्बानी अल्लाह को राजी नहीं होती है। बता दे बकरा ईद केवल कुर्बानी के लिए ही नहीं बल्कि खुशियों, मेलजोल और इंसानियत का प्रतीक भी है। इस दिन परिवार एक दूसरे से ईद मुबारक कहते हुए गले मिलते हैं, तोहफे और मिठाई भी बांटते हैं।
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