अब समाज सेवा में खपा रहे जीवन अनूठे व्यक्तित्व के धनी डॉ सत्यभूषण सिंह को शीघ्र सम्मानित करेगी शिक्षा स्थली फाउंडेशन
बहराइच। किसान पीजी कॉलेज में पिछले दो दशक से मध्य कालीन इतिहास में एक अंशकालिक शिक्षक के रूप में अपना योगदान देने वाले डॉ. सत्यभूषण सिंह का व्यक्तित्व भी अनूठा है। ढाई दशक पूर्व पीएचडी कोर्स पूरा करने के बावजूद भी यदि इनके पास स्थाई आय का स्रोत नहीं है तो इसका कारण माता पिता के करीब रहकर उनकी सेवा को प्राथमिकता देना रहा है। आज डॉ. सिंह के पिता तो दुनिया में नहीं हैं लेकिन मां की सेवा में वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसके साथ ही समाज सेवा भी उनकी प्राथमिकता में शामिल है। चाहे केडीसी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की समस्या हो या फिर मेधावियों का उत्साह वर्धन हो वह अपना बेहतर से बेहतर योगदान देने की कोशिश में लगे रहते हैं। इसी आधार पर शिक्षा स्थली फाउंडेशन नामक संस्था उन्हें सम्मानित कर उनके योगदान को सार्वजनिक करने की योजना बना रही है। शीघ्र ही इस संबंध में कार्यक्रम की तिथि घोषित कर दी जाएगी। संस्था के संचालक पंकज शुक्ला का कहना है कि डॉ.सत्य भूषण सिंह ने, अपने कार्यों से समाज को एक नई दिशा और दशा प्रदान करने की भी लगातार कोशिश करते रहते हैं, समाज में चाहे वह दबा हो कुचला हो,चाहे कोई भी कैसा भी वर्ग का व्यक्ति हो बिना किसी भेदभाव को उसकी सेवा के लिए उसे सम्मानित करना और उसे एक मंच प्रदान करना सत्य भूषण सिंह के जीवन का लक्ष्य है, अपने निजी जीवन में भी उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन वह कभी अपनी इन उपलब्धियां का जिक्र नहीं करते अगर समाज में कोई छोटा सा छोटा भी काम कर रहा है समाज के हित में काम कर रहा है तो उसे वह प्रोत्साहित करने का काम करते हैं, जिससे समाज में उसकी सहभागिता लगातार बनी रहे, हर वर्ग हर व्यक्ति को प्रोत्साहित करना उन्हें उनके कार्यों के लिए सम्मानित करना, अपने महान पिता एवं कवि सत्यव्रत सिंह को लगातार उनकी कृतियों का चाहे संपादन करना हो चाहे उनकी कृतियों का संपादन करना हो चाहे उनकी कृतियों को देश एवं समाज को समर्पित करना हो यह कार्य भी डॉ. सत्यभूषण सिंह लगातार करते रहे, एक पुत्र के रूप में भी वह अपने कर्तव्यों का पालन करते आ रहे हैं,लोगों से चाहे उनके वैचारिक मतभेद चाहे जितने भी रहे हो, लेकिन कभी भी उन्होंने इसको व्यक्तिगत तौर पर नहीं लिया है, उनके लिए समाज में कार्य करने वाला हर व्यक्ति चाहे वह कैसा भी है उसको भी सम्मान दिलाने में डॉ.सत्य भूषण सिंह कभी पीछे नहीं हटते हैं, किसान महाविद्यालय में लगातार साहित्यिक मंचों को सजाना हो चाहे समाज के विभिन्न वर्गों में काम कर रहे लोगों को पुरस्कृत करना हो, देश और विदेश के विद्वानों के बीच बैठकर मंच साझा करना हो अपनी बात बड़ी बेबाकी के साथ वह रखते है,और बिना किसी लाग लपेट के वह हमेशा समाज में ऐसे लोगों को आगे बढ़ाते रहे हैं, समाज में ऐसे लोगों की जरूरत थी और हमेशा रहेगी. शायद यह पंक्तियां उनके जीवन पर सटीक बैठती हैं, कुछ पदचिन्हो पर चलते हैं,कुछ पदचिन्ह बनाते है।