फखरपुर, बहराइच: राष्ट्रीय अविष्कार अभियान के तहत आयोजित क्विज प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले फखरपुर के 100 छात्रों ने सोमवार को खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) राकेश कुमार के नेतृत्व में कैसरगंज स्थित पारले चीनी मिल परसेंडी का एक दिवसीय एक्सपोजर विजिट किया। इस भ्रमण का मुख्य उद्देश्य बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना और उन्हें व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना था।

पारले चीनी मिल में गन्ने से चीनी बनने की प्रक्रिया का अध्ययन
भ्रमण के दौरान बच्चों ने गन्ने से चीनी बनने की संपूर्ण प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से देखा और समझा। इस प्रक्रिया में शामिल विभिन्न चरणों को देखकर बच्चों ने यह जाना कि कैसे गन्ने को काटने के बाद इसे पेराई की मशीनों में डाला जाता है और फिर उससे रस निकालकर चीनी बनाई जाती है।
- गन्ने की पेराई: बच्चों ने गन्ने को पेराई के लिए तैयार करने और रस निकालने की प्रक्रिया देखी।
- शोधन प्रक्रिया: गन्ने के रस को शुद्ध करके उससे चीनी के दाने बनाए जाते हैं।
- बचे हुए पदार्थ का उपयोग: चीनी उत्पादन के दौरान बचे हुए खराब पदार्थ का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। पारले चीनी मिल 23 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती है।
बच्चों को मिली नई सीख और उपहार
बीईओ राकेश कुमार ने भ्रमण के अंत में बच्चों को बिस्कुट, कुरकुरे, चॉकलेट और पानी की बोतलें उपहार के रूप में दीं। बच्चों को यह उपहार देकर उनके उत्साह को बढ़ाया गया। इसके साथ ही पारले चीनी मिल की ओर से भी सभी बच्चों को लंच पैकेट वितरित किए गए।
राकेश कुमार ने कहा, “इस तरह के शैक्षिक भ्रमण से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है और प्रत्यक्ष रूप से सीखा गया ज्ञान अधिक स्थायी होता है।”
वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की पहल
इस एक्सपोजर विजिट का मुख्य उद्देश्य बच्चों को व्यावहारिक अनुभव देना और उनके भीतर विज्ञान के प्रति रुचि को बढ़ावा देना था।
- प्रत्यक्ष अनुभव: बच्चों ने चीनी उत्पादन की जटिल प्रक्रिया को नजदीक से देखा।
- स्थायी ज्ञान: बीईओ ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त किया गया ज्ञान बच्चों के लिए लंबे समय तक उपयोगी होता है।
शैक्षणिक भ्रमण में शामिल शिक्षक और अधिकारी
इस शैक्षणिक भ्रमण में बीईओ राकेश कुमार के साथ कई शिक्षक और अधिकारी भी शामिल थे। इनमें एआरपी अरुण पांडेय, अशोक कुमार, अरुण कुमार अवस्थी, निर्मल कुमार मिश्र, कृपांशु कुमार, संतोष सिंह, मनीष मिश्रा, बिलाल अंसारी, मनोज उपाध्याय, सौरभ, रेहनुर्रहमान बेग, सचिन शर्मा, हरिओम, नीतीश मिश्रा और अखिलेश सक्सेना जैसे शिक्षक शामिल थे।
भ्रमण का बच्चों पर प्रभाव

पारले चीनी मिल के इस दौरे ने बच्चों पर गहरा प्रभाव डाला। कई बच्चों ने कहा कि यह उनके जीवन का एक नया और अद्भुत अनुभव था।
- प्रेरणा: बच्चों ने उद्योग की वास्तविक प्रक्रिया को देखकर प्रेरित महसूस किया।
- नए कौशल: उन्होंने चीनी उत्पादन की प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों और तकनीकों के बारे में सीखा।
राष्ट्रीय अविष्कार अभियान का उद्देश्य
राष्ट्रीय अविष्कार अभियान के अंतर्गत इस प्रकार के शैक्षिक भ्रमण का आयोजन बच्चों में वैज्ञानिक रुचि और रचनात्मकता को बढ़ावा देना है। यह अभियान बच्चों को नवीनतम तकनीकों और उद्योगों से परिचित कराने का कार्य करता है।
- शिक्षा में नवाचार: इस अभियान के माध्यम से शिक्षा को अधिक व्यावहारिक और उपयोगी बनाने की कोशिश की जाती है।
- भविष्य के लिए तैयारी: बच्चों को ऐसे अनुभव दिए जाते हैं जो उन्हें भविष्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान देने के लिए प्रेरित करें।
पारले चीनी मिल की विशेषताएं
पारले चीनी मिल परसेंडी न केवल चीनी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाओं का भी उपयोग करती है।
- बिजली उत्पादन: चीनी उत्पादन के दौरान बचे हुए पदार्थ का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है।
- पर्यावरण संरक्षण: मिल पर्यावरण संरक्षण के उपायों को प्राथमिकता देती है।
छात्रों के लिए इस प्रकार के भ्रमण क्यों आवश्यक हैं?
शैक्षणिक भ्रमण छात्रों के समग्र विकास के लिए आवश्यक हैं। ये उन्हें पाठ्यक्रम से बाहर जाकर वास्तविक दुनिया की जानकारी प्रदान करते हैं।
- व्यावहारिक ज्ञान: छात्रों को अपने स्कूल में पढ़ाई गई चीजों को वास्तविक जीवन में देखने और समझने का अवसर मिलता है।
- प्रेरणा और आत्मविश्वास: इस तरह के भ्रमण से बच्चे प्रेरित होते हैं और उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
पारले चीनी मिल का यह शैक्षणिक भ्रमण फखरपुर के छात्रों के लिए एक यादगार अनुभव था। राष्ट्रीय अविष्कार अभियान के तहत ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन बच्चों के शैक्षणिक और व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बीईओ राकेश कुमार और अन्य शिक्षकों के नेतृत्व में आयोजित इस भ्रमण ने बच्चों को न केवल नई चीजें सीखने का मौका दिया, बल्कि उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया। भविष्य में इस तरह के और भी शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए ताकि अधिक से अधिक बच्चे इसका लाभ उठा सकें।
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