राहुल गांधी की नागरिकता: हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा अब तक क्या कार्रवाई की?
राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर एक नया मोड़ सामने आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि राहुल गांधी की नागरिकता मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 19 दिसंबर को होगी। इस लेख में हम जानेंगे कि इस केस में क्या हुआ है और आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
राहुल गांधी की नागरिकता पर याचिका का विवरण
राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर कर्नाटक के सामाजिक कार्यकर्ता एस विगनेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया कि राहुल गांधी भारतीय नागरिक नहीं बल्कि ब्रिटिश नागरिक हैं, और इस वजह से वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84(ए) के तहत चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं। याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस मुद्दे पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा क्या किया गया है?
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस मामले में सोमवार को केंद्र सरकार से पूछा कि इस याचिका के संदर्भ में अब तक क्या कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता को तीन सप्ताह के भीतर इस मामले में कार्रवाई की जानकारी देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई को 19 दिसंबर को तय किया है।
क्या है राहुल गांधी की नागरिकता का मुद्दा?
राहुल गांधी की नागरिकता के मामले में कई सवाल उठाए गए हैं। याचिका दायर करने वाले विगनेश शिशिर का दावा है कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और इसलिए वह भारतीय संसद के सदस्य बनने के योग्य नहीं हैं। इस मामले में 2019 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर जानकारी मांगी थी। हालांकि, अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
सीबीआई जांच की मांग और अगली सुनवाई
याचिकाकर्ता ने इस मामले में सीबीआई जांच की भी मांग की है। उनका कहना है कि राहुल गांधी की नागरिकता का मामला गंभीर है और इसमें केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच की आवश्यकता है। कोर्ट ने इस मामले को उच्च स्तर पर उठाने का निर्देश दिया है और कहा है कि केंद्र सरकार को जानकारी देकर अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ी दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई
इसी बीच दिल्ली हाईकोर्ट में भी राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर एक अलग याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग की गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा कि एक ही मामले में दो अदालतों में सुनवाई नहीं हो सकती है और याचिकाकर्ता से मामले में अधिक जानकारी पेश करने को कहा।
केंद्र सरकार की ओर से जवाब: क्या होगा राहुल गांधी की नागरिकता का भविष्य?
केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि वह इस पर विचार कर रही है कि क्या राहुल गांधी की नागरिकता को रद्द किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय से कहा कि वह 19 दिसंबर तक इस फैसले पर कोई स्पष्ट जानकारी देगी। इस मुद्दे पर अब तक की सुनवाई के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी की नागरिकता का मामला कानूनी विवादों में फंसा रहेगा या इस पर जल्द ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
राहुल गांधी की नागरिकता विवाद का प्रभाव
अगर राहुल गांधी की नागरिकता रद्द होती है, तो यह भारतीय राजनीति पर बड़ा असर डाल सकता है। उनकी संसद सदस्यता रद्द हो सकती है और उन्हें चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है। इस मामले के राजनीतिक प्रभाव भी हो सकते हैं, क्योंकि राहुल गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता हैं और उनकी नागरिकता से जुड़ा विवाद पार्टी के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन सकता है।
क्या है भारतीय नागरिकता कानून?
भारतीय नागरिकता कानून के तहत किसी भी व्यक्ति की नागरिकता की वैधता को लेकर गहरे कानूनी प्रावधान हैं। नागरिकता कानून 1955 के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं। अगर किसी व्यक्ति के पास दोहरी नागरिकता होती है, तो वह भारतीय संसद में चुनाव नहीं लड़ सकता। राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर उठे सवाल इस कानून के तहत विशेष महत्व रखते हैं।
क्या किया जा सकता है आगे?
अब यह देखना होगा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं। केंद्र सरकार को 19 दिसंबर तक इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय लेना है। यदि राहुल गांधी की नागरिकता पर कोई कदम उठाया जाता है, तो यह भारतीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकता है।
राहुल गांधी की नागरिकता पर अगली सुनवाई
राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर चल रहा विवाद भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। हाईकोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी, जब केंद्र सरकार इस मामले में अपने फैसले के बारे में जानकारी देगी। इस केस से जुड़े सभी पक्षों के लिए यह एक निर्णायक समय होगा।
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