समाजिक विकास में सम्पूर्ण टीकाकरण का अहम योगदान-बृजेश पाठक
Sachin Chaudhary Lucknow। लखनऊ बात अगर किसी समाज के विकास की आती है तो इसमें टीकाकरण का भी काफी योगदान होता है। यह टीका ही है जो हमें पूरे जीवन विभिन्न बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है और हम शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से विकसित हो पाते हैं। सिर्फ टीका न लगवा पाने से हमारे देश या प्रदेश की विकास दर काफी कम हो सकती है। इसलिए पूर्ण टीकाकरण अवश्य करवाएं। यह जिम्मेदारी हर मां-बाप की है। यह उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के एक दिन पूर्व उन्होंने दिवस की महत्ता के बारे में बताया।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी बीमारी के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए टीकाकरण बेहतर और आवश्यक उपाय है। संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण सबसे उपयुक्त, प्रभावी और सस्ता उपाय माना जाता है। इसमें लापरवाही का खामियाजा बच्चे को बाद में असाध्य रोगी के रूप में भोगना पड़ता है। बच्चों को सुपोषित बनाने में भी टीका की बड़ी भूमिका है। इस वर्ष इस दिवस की थीम है टीके सभी के लिए काम करें।
टीकाकरण के बाद बुखार आना शुभ संकेत
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबंधक डॉ.मनोज शुक्ल ने बताया कि 16 मार्च वर्ष 1955 में देश में पोलियो का पहला टीका लगा था। तभी से इस दिन को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टीका से हमने चेचक और पोलियो जैसी बीमारी पर विजय प्राप्त कर ली है। कई ऐसे टीके हैं जिनके लगने के बाद बुखार आदि महसूस होता है लेकिन इससे घबराएं नहीं बल्कि इसे बीमारी पर जीत का एक शुभ संकेत मानें। उन्होंने बताया कि खसरा और रूबेला को नियंत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में 12 जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए मां और उनके बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं। इसी को ध्यान में रखकर पांच साल, सात बार और 12 बीमारी खत्म का फार्मूला अपनाया जा रहा है। यानि पांच वर्ष तक सिर्फ सात बार नजदीकी स्वास्थ्य उपकेन्द्र या चिकित्सा केंद्र पर संपर्क कर सम्पूर्ण टीका करवाया जा सकता है।
डॉ. मनोज ने बताया कि पूर्ण नियमित टीकाकरण में हम लगातार प्रगति की ओर अग्रसर हैं। एचआईएमएस के अनुसार वर्ष 2020-21 में 83.60 प्रतिशत का पूर्ण टीकाकरण हुआ। इसी तरह वर्ष 2021-22 में 85.86 प्रतिशत और वर्ष 2022-23 में 98.39 प्रतिशत का लोगों ने सभी टीके अपनाए हैं। इस वर्ष 2023-24 में 97.61 प्रतिशत को पूर्ण टीकों से प्रतिरक्षित किया जा चुका है।
सम्पर्क सूत्र-अखिलेश मणि त्रिपाठी