संभल में ASI द्वारा कार्तिकेय मंदिर की कार्बन डेटिंग और गुपचुप निरीक्षण

संभल, एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है, जहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाल ही में कार्तिकेय मंदिर की कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया पूरी की। इस निरीक्षण के दौरान, ASI ने मंदिर के साथ-साथ 5 प्राचीन तीर्थ स्थलों और 19 प्राचीन कूपों का भी गहन अध्ययन किया। इस प्रक्रिया को मीडिया कवरेज से दूर रखने की विशेष सलाह दी गई थी, जिससे यह मामला और भी रहस्यमय बन गया है।
ASI द्वारा निरीक्षण की गईं 5 तीर्थस्थल और 19 प्राचीन कूप
ASI के अधिकारियों ने इस कार्य के दौरान संभल क्षेत्र के विभिन्न 5 तीर्थस्थल और 19 कूपों का निरीक्षण किया। इन कूपों और तीर्थ स्थलों की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता पर गहन अध्ययन किया गया। सूत्रों के मुताबिक, ASI की टीम ने इन स्थलों का निरीक्षण करने के लिए एक विशेष चार सदस्यीय टीम का गठन किया था, ताकि पूरी प्रक्रिया कुशलता से संपन्न हो सके।
ASI का गुप्त निरीक्षण: क्यों रखा गया मीडिया से दूर?
ASI द्वारा इस निरीक्षण को गुपचुप तरीके से करने का प्रमुख कारण सुरक्षा और गोपनीयता था। ASI की टीम ने प्रशासन से अनुरोध किया कि इस निरीक्षण को मीडिया से दूर रखा जाए ताकि कोई असुविधा न हो। हालांकि, इस प्रक्रिया के बाद, अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि संभल का कार्तिकेय मंदिर और अन्य प्राचीन स्थलों के बारे में नई जानकारी सामने आ सकती है, जो इतिहास के नए पहलुओं को उजागर करेगी।
संभल के जिलाधिकारी ने क्या कहा?

संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने इस निरीक्षण को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है और अब तक मंदिर के सर्वेक्षण को लेकर कोई बड़ी समस्या सामने नहीं आई है। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि सुरक्षा कारणों से यह कार्य गोपनीय रखा गया था और इसके बारे में जानकारी मीडिया को नहीं दी गई थी।
मंदिर की पुनः खोज और 46 साल बाद खोला गया
संभल में पाया गया मंदिर 46 सालों से बंद था, जो कि 1978 में बंद हो गया था। 14 दिसंबर को एक सर्च ऑपरेशन के दौरान, पुलिस को अचानक एक मंदिर मिला, जो अब तक अनजाना था। यह मंदिर सपा सांसद के घर से महज 200 मीटर की दूरी पर स्थित था। इसके बाद 15 दिसंबर को मंदिर को खोला गया और फिर पूजा-पाठ की प्रक्रिया शुरू की गई। इस दौरान कूपों की खुदाई के बाद नए मंदिरों के मिलने की जानकारी भी सामने आई।
ASI की टीम का महत्वपूर्ण कार्य
ASI की चार सदस्यीय टीम ने इस कार्बन डेटिंग प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कई विशेषज्ञों और पुरातात्विक उपकरणों का इस्तेमाल किया। इसके बाद मंदिर और अन्य प्राचीन स्थलों का निरीक्षण भी किया गया। यह टीम संभल क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास कर रही थी। इस प्रक्रिया के बाद इतिहासकारों और शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इन स्थलों से बहुत सी नई जानकारी प्राप्त हो सकती है।
ASI की निष्कर्ष: इतिहास में एक और कदम
ASI का मानना है कि इस कार्बन डेटिंग के परिणाम से संभवतः कई ऐतिहासिक घटनाओं और स्थलों की स्थिति स्पष्ट हो सकती है। इसके अलावा, इस प्रक्रिया से संभल क्षेत्र के प्राचीन इतिहास और संस्कृति को और अधिक रोशनी मिल सकती है। इस घटनाक्रम से जुड़ी नई जानकारी को लेकर इतिहासकारों में उत्सुकता बनी हुई है, क्योंकि यह क्षेत्र अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
संभल के भविष्य में क्या होगा?

अब जब ASI की टीम ने संभल के कार्तिकेय मंदिर की कार्बन डेटिंग और निरीक्षण पूरी कर ली है, तो भविष्य में इस क्षेत्र के प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों के बारे में और अधिक जानकारी सामने आ सकती है। ASI द्वारा किए गए इस कार्य से स्थानीय लोगों और इतिहासकारों को बहुत लाभ हो सकता है। इसके अलावा, संभल क्षेत्र में और भी पुरातात्विक खुदाई और अध्ययन की संभावना को भी बल मिलेगा, जो इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को उजागर कर सकेगी।
संभल में ASI का निरीक्षण और कार्बन डेटिंग एक महत्वपूर्ण कदम है जो इस क्षेत्र के प्राचीन इतिहास और संस्कृति को फिर से सामने लाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है। इस प्रक्रिया के बाद अब यह देखना होगा कि ASI द्वारा किए गए निरीक्षण और डेटिंग के परिणाम से इतिहास के किस पहलू की नई जानकारी सामने आती है। संभल क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को और भी बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।
जानें अगली खबर के लिए जुड़े रहें और हमारे Website Sampurn Hindustan को फॉलो करें।