संभल में उपद्रव: पुलिस द्वारा चिह्नित किए जा रहे पूर्व दंगाई
संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर जो हिंसा हुई, उसने शहर को एक बार फिर से उपद्रव की चपेट में ला दिया। इस हिंसा के पीछे की साजिश को उजागर करने के लिए पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और खुफिया विभाग की मदद से उन लोगों की पहचान कर रही है जो पहले भी उपद्रव में शामिल रहे हैं। 24 नवंबर की हिंसा में फायरिंग और आगजनी की घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से अधिक अधिकारी घायल हो गए।
संभल में अब तक कितनी बार हुआ उपद्रव?
संभल का इतिहास उपद्रवों से भरा हुआ है। आजादी के बाद से संभल में 14 बार हिंसक घटनाएं हुई हैं। यह उपद्रव विभिन्न कारणों से हुए, जिनमें सांप्रदायिक तनाव और राजनीतिक विवाद शामिल थे। 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा को एक नई साजिश के रूप में देखा जा रहा है, जिसे खुफिया रिपोर्ट के आधार पर सुलझाया जा रहा है।
खुफिया विभाग की रिपोर्ट और पुलिस की कार्यवाही
पुलिस खुफिया विभाग की रिपोर्ट के आधार पर उन लोगों की तलाश कर रही है जो पहले भी दंगों में शामिल थे। इन लोगों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस की यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए है कि संभल में होने वाले किसी भी उपद्रव को रोका जा सके।
खुफिया विभाग ने यह भी रिपोर्ट किया है कि कुछ ऐसे लोग हैं जो पहले भी दंगों में सक्रिय रहे हैं और इस बार भी उनकी भूमिका संदिग्ध हो सकती है। इन लोगों की पहचान करके पुलिस उनका ट्रैक रिकॉर्ड जांचने में जुटी हुई है।
संभल में हुआ पहला उपद्रव
संभल में उपद्रव का सिलसिला विभाजन के समय से ही शुरू हुआ था। 1947 में जब देश का विभाजन हुआ, तब संभल में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। इसके बाद 1953 में शिया और सुन्नी समुदाय के बीच विवाद हुआ, जिसके कारण कई लोगों की मौत हो गई। इसके बाद 1956, 1959 और 1966 में भी उपद्रव की घटनाएं हुईं।
1976 और 1978 में हुए उपद्रव
संभल में 1976 में जामा मस्जिद में घुसकर इमाम मुहम्मद हुसैन की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद पूरे शहर में हिंसा फैल गई थी। इस हिंसा में जमकर लूटपाट और आगजनी की घटनाएं हुईं और कर्फ्यू लगाना पड़ा। इसी तरह 1978 में भी संभल में एक और सांप्रदायिक दंगा हुआ, जिसमें कई लोग मारे गए और प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा।
1990 और 1992 के उपद्रव
1990 में राम जन्मभूमि विवाद को लेकर संभल में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। पुलिस द्वारा स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास के बावजूद, उपद्रवियों ने पथराव किया और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस उपद्रव में कई लोग घायल हुए और प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा। 1992 में भी इस मुद्दे से जुड़ा एक बड़ा दंगा हुआ, जिसमें पुलिस और पीएसी पर पथराव किया गया, जिसके परिणामस्वरूप कुछ लोगों की जान चली गई।
हालिया हिंसा और पुलिस की कार्रवाई
24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस की नजर अब उन लोगों पर है जो पहले भी दंगों में शामिल रहे हैं। हालिया हिंसा के दौरान पुलिस को पाकिस्तानी और अमेरिकी कारतूस के खोखे मिले हैं, जिससे विदेशी फंडिंग की संभावना जताई जा रही है।
संभल में विदेशी फंडिंग की संभावना
पुलिस को यह आशंका भी है कि इस हिंसा के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ हो सकता है। पुलिस ने खुफिया रिपोर्ट के आधार पर विदेशी फंडिंग की संभावना की जांच शुरू कर दी है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या संभल में हो रही उपद्रवों के पीछे बाहरी शक्तियां भी शामिल हैं?
उपद्रवों का इतिहास और उनका प्रभाव
संभल का इतिहास उपद्रवों और सांप्रदायिक हिंसा से भरा हुआ है। 1947 के विभाजन के समय से लेकर अब तक संभल में कई बार सांप्रदायिक और राजनीतिक हिंसा हो चुकी है। इन उपद्रवों के कारण न केवल कई लोगों की जान गई, बल्कि संपत्ति का भी भारी नुकसान हुआ। इस प्रकार के उपद्रवों ने हमेशा शहर की शांति और सामूहिक एकता को नुकसान पहुंचाया है।
पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी
संभल में बढ़ते उपद्रवों को देखते हुए पुलिस और प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। खासकर उन लोगों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए जो पहले भी उपद्रव में शामिल रहे हैं। पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसे घटनाएं नहीं हों।
संभल के भविष्य के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?
संभल में बढ़ते उपद्रवों के मद्देनजर पुलिस और प्रशासन को इस दिशा में सख्त कदम उठाने होंगे। खुफिया रिपोर्ट के आधार पर उन लोगों को पकड़ने की जरूरत है जो पहले दंगों में शामिल रहे हैं और इस बार भी हिंसा में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, पुलिस को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विदेशी फंडिंग और बाहरी ताकतों का इस हिंसा से कोई संबंध नहीं है।
संभल के नागरिकों के लिए यह समय बहुत चुनौतीपूर्ण है। पुलिस की कार्रवाई और प्रशासन की सख्ती से ही यहां की स्थिति में सुधार संभव है। सरकार और प्रशासन को शांति बनाए रखने के लिए अपनी पूरी ताकत से काम करना होगा।
संभल में हुए उपद्रवों का इतिहास बहुत लंबा और जटिल रहा है। 24 नवंबर 2024 की हिंसा के बाद पुलिस उन लोगों को चिह्नित करने में जुटी है जो पहले भी दंगों में शामिल रहे हैं। इस बार की साजिश को उजागर करने के लिए पुलिस ने खुफिया विभाग की रिपोर्ट पर कार्रवाई शुरू की है। यदि उपद्रवों का यह सिलसिला जारी रहा, तो संभल की शांति और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता होगी।