दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने ‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भाजपा का कहना है कि संजय सिंह का नाम दिल्ली की एक से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों की वोटर लिस्ट में है, साथ ही उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में भी उनका नाम दर्ज है। इस मामले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, और भाजपा ने संजय सिंह पर चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। इस लेख में हम इस विवाद को विस्तार से समझेंगे, साथ ही भाजपा और संजय सिंह के बयानों पर भी प्रकाश डालेंगे।

संजय सिंह पर भाजपा का आरोप: वोटर लिस्ट में नामों का मामला
बीजेपी दिल्ली के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि संजय सिंह का नाम दिल्ली के दो विधानसभा क्षेत्रों में वोटर लिस्ट में है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि संजय सिंह का नाम उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर की नगर पालिका परिषद की वोटर लिस्ट में भी दर्ज है। बीजेपी का आरोप है कि संजय सिंह ने एफिडेविट में बताया था कि वह दिल्ली के हरिनगर विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं, लेकिन उनका नाम सुल्तानपुर में भी दर्ज है, जो कि एक चुनावी गड़बड़ी का संकेत है।
संजय सिंह की पत्नी पर भी आरोप: दो जगह वोटर लिस्ट में नाम
वीरेंद्र सचदेवा ने संजय सिंह की पत्नी पर भी आरोप लगाया कि उनका नाम भी वोटर लिस्ट में दो जगहों पर दर्ज है। उन्होंने यह दावा किया कि संजय सिंह और उनकी पत्नी के नाम वोटर लिस्ट में दर्ज होने से चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी हो सकती है। इस तरह के आरोपों के बाद संजय सिंह और भाजपा के बीच राजनीतिक युद्ध और भी तेज हो गया है।
बीजेपी का आरोप: चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी
बीजेपी ने संजय सिंह पर चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी और आरोप लगाया कि संजय सिंह और उनकी पत्नी का नाम एक से ज्यादा जगहों पर वोटर लिस्ट में होने के कारण यह एक कानूनी अपराध है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे की जांच होनी चाहिए और यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित कार्रवाई की जानी चाहिए।
संजय सिंह का बयान: नाम हटाने का दावा
इस मामले पर संजय सिंह ने अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा कि सुल्तानपुर की नगर पालिका परिषद की वोटर लिस्ट में उनका नाम दर्ज होना एक गलती थी, और उन्होंने उस लिस्ट से अपना नाम हटाने के लिए आवेदन किया था। उनका कहना है कि कर्मचारी की लापरवाही के कारण उनका नाम अभी तक हटाया नहीं गया है। संजय सिंह ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे का फायदा उठाकर उनकी छवि को खराब करने की कोशिश कर रही है।
संजय सिंह और बीजेपी के बीच विवाद: क्या है इसका राजनीतिक महत्व?
संजय सिंह और बीजेपी के बीच यह विवाद सिर्फ एक चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि इसका राजनीतिक महत्व भी है। संजय सिंह ने आरोप लगाया कि बीजेपी दिल्ली में रहने वाले पुर्वांचली वोटरों के वोट काटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा पुर्वांचलियों को रोहिंग्या और घुसपैठिया कहकर उनका उत्पीड़न कर रही है। संजय सिंह का कहना है कि वह इस अन्याय के खिलाफ सड़क से संसद तक आवाज उठाएंगे।
चुनावी प्रक्रिया में नाम जुड़ने का मुद्दा: क्या है कानूनी पहलू?
वोटर लिस्ट में किसी व्यक्ति का नाम एक से ज्यादा जगहों पर होने को लेकर चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप गंभीर हो सकता है। भारतीय चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति का नाम एक से ज्यादा जगहों पर है, तो यह चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और इसे कानूनी अपराध माना जा सकता है। ऐसे मामलों में चुनाव आयोग जांच करता है और यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
बीजेपी और आम आदमी पार्टी का संघर्ष: क्या होगा आगे?
संजय सिंह पर लगे आरोपों के बाद यह सवाल उठता है कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच चल रहा संघर्ष किस दिशा में जाएगा। दिल्ली विधानसभा चुनावों में संजय सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, और इस विवाद से उनकी छवि पर असर पड़ सकता है। वहीं, बीजेपी का आरोप है कि संजय सिंह और उनकी पार्टी चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी कर रही हैं, जबकि संजय सिंह का कहना है कि यह आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।
इस विवाद से क्या सिख सकते हैं?

संजय सिंह और बीजेपी के बीच का यह विवाद चुनावी प्रक्रिया के महत्व को उजागर करता है। जब वोटर लिस्ट में नाम जुड़ने का मामला सामने आता है, तो यह एक गंभीर मुद्दा बन सकता है, जो चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को प्रभावित करता है। इस विवाद से यह भी समझा जा सकता है कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसमें सच्चाई का पता लगाना और चुनावी प्रक्रिया को सही ढंग से संचालित करना बेहद महत्वपूर्ण है।
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