शेख हसीना पर लगातार शिकंजा कस रही यूनुस सरकार
बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर लगातार शिकंजा कसने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। अब बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने आदेश दिया है कि शेख हसीना के भाषणों को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से हटा दिया जाए और उनके प्रसारण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाए। यह कदम उनके हाल ही में दिए गए भाषण के बाद उठाया गया, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला किया था।
शेख हसीना के भाषणों पर प्रतिबंध क्यों?
बांग्लादेश में बांग्लादेश की यूनुस सरकार द्वारा शेख हसीना पर बढ़ते हुए शिकंजे को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। पिछले कुछ समय से शेख हसीना के भाषणों और उनके सार्वजनिक बयान बांग्लादेश की मौजूदा सरकार के लिए चुनौती बनते जा रहे थे। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने शेख हसीना के भाषणों को हटाने के आदेश दिए हैं, ताकि उनका प्रभाव देश की राजनीति और समाज पर न पड़े।
शेख हसीना के भाषण और उनका प्रभाव
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में एक सार्वजनिक भाषण में बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने सत्ता के लिए बलिदान और हिंसा का सहारा लिया। उन्होंने यूनुस पर अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं की सुरक्षा में विफल रहने का आरोप भी लगाया था। इसके बाद से यूनुस सरकार शेख हसीना के भाषणों के प्रसार को रोकने की पूरी कोशिश कर रही है।
शेख हसीना के भाषणों का सोशल मीडिया पर प्रसार
शेख हसीना के भाषणों को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित करने से बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने रोक लगा दी है। इस आदेश के बाद बांग्लादेश के सूचना और प्रसारण मंत्रालय और बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (BTRC) को निर्देश दिया गया है कि वे शेख हसीना के भाषणों को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से हटा दें।
शेख हसीना के भाषणों का कानूनी और राजनीतिक पहलू
शेख हसीना के भाषणों के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने की मांग पहले भी की जा चुकी थी। अभियोजन पक्ष ने याचिका दायर की थी कि इन भाषणों से गवाहों को डराया जा सकता है और न्यायिक प्रक्रिया में रुकावट आ सकती है। अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह एक घृणास्पद भाषण था और हर देश में ऐसे भाषणों को कानूनी अपराध माना जाता है।
शेख हसीना और मोहम्मद यूनुस के बीच विवाद
बांग्लादेश में शेख हसीना और मोहम्मद यूनुस के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। शेख हसीना ने न्यूयॉर्क में एक सार्वजनिक भाषण में यूनुस को सत्ता का भूखा बताया था और आरोप लगाया था कि वह अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं। हसीना ने यह भी दावा किया था कि उन्हें और उनकी बहन शेख रेहाना को मारने की योजना बनाई गई थी, ठीक उसी तरह जैसे उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या की गई थी। शेख हसीना के इन आरोपों के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
शेख हसीना के भाषणों पर अबतक की कार्रवाई
इससे पहले भी शेख हसीना के भाषणों पर कई बार कार्रवाई की जा चुकी है। 16 दिसंबर के विजय दिवस के अवसर पर शेख हसीना ने अपनी अवामी लीग पार्टी के समर्थकों से बात की थी, लेकिन उनके भाषणों का प्रसारण बांग्लादेश में पूरी तरह से रोका गया है। बांग्लादेश सरकार इस कार्रवाई के जरिए यह सुनिश्चित करना चाहती है कि शेख हसीना के भाषणों का असर देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर न पड़े।
शेख हसीना के खिलाफ उठाए गए कदमों का उद्देश्य
बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने शेख हसीना के खिलाफ ये कदम उठाकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह अपनी सत्ता में किसी भी प्रकार की असहमति को बर्दाश्त नहीं करेगी। हालांकि, इस कदम से शेख हसीना के समर्थकों में नाराजगी और असंतोष बढ़ सकता है, जो बांग्लादेश की राजनीति में एक नई दिशा को जन्म दे सकता है।
शेख हसीना का भविष्य और बांग्लादेश की राजनीति
शेख हसीना और मोहम्मद यूनुस के बीच बढ़ता विवाद बांग्लादेश की राजनीति को एक नई दिशा में मोड़ सकता है। शेख हसीना के भाषणों के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने से यह साफ है कि बांग्लादेश की सरकार शेख हसीना को राजनीतिक रूप से पूरी तरह से दबाने की कोशिश कर रही है। लेकिन इसके परिणाम क्या होंगे, यह समय ही बताएगा।
शेख हसीना के भाषणों की संभावना और आगामी चुनाव
बांग्लादेश में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं, और शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग चुनावी अभियान के लिए तैयार है। बांग्लादेश के भविष्य को देखते हुए शेख हसीना के भाषणों पर प्रतिबंध और यूनुस सरकार के द्वारा उठाए गए कदम चुनावी राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।
बांग्लादेश में शेख हसीना के भाषणों पर यूनुस सरकार का शिकंजा कसना बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना सकता है। शेख हसीना के भाषणों को हटाने और प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश यह संकेत देता है कि बांग्लादेश की सरकार किसी भी प्रकार की राजनीतिक असहमति को बर्दाश्त नहीं कर रही है। अब यह देखना होगा कि इस निर्णय का बांग्लादेश की राजनीति पर क्या असर पड़ता है, और शेख हसीना के समर्थक इस कदम को कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।
जानें अगली खबर के लिए जुड़े रहें और हमारे Website Sampurn Hindustan को फॉलो करें।