Site icon संपूर्ण हिंदुस्तान

सिंगापुर में मंत्रियों की सैलरी: जानिए कैसे जीडीपी घटने पर घट जाती है सैलरी

सिंगापुर में मंत्रियों की सैलरी: जानिए कैसे जीडीपी घटने पर घट जाती है सैलरी

सिंगापुर में मंत्रियों की सैलरी दुनिया में सबसे ज्यादा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सैलरी का आकलन देश की जीडीपी (GDP) के आधार पर किया जाता है? सिंगापुर में मंत्री की सैलरी उनकी परफॉर्मेंस और देश की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि सिंगापुर के मंत्रियों को मिलने वाली सैलरी और बोनस की संरचना क्या है, और जीडीपी में उतार-चढ़ाव का इन पर क्या असर पड़ता है।

सिंगापुर में मंत्रियों की सैलरी की संरचना

सिंगापुर में मंत्रियों की सैलरी कई घटकों पर आधारित होती है। यह न केवल एक निश्चित वेतन पर निर्भर करती है, बल्कि इसमें वेरिएबल कंपोनेंट्स भी होते हैं। इस सैलरी संरचना का उद्देश्य मंत्रियों को भ्रष्टाचार से बचाते हुए अधिक उत्पादक बनने के लिए प्रेरित करना है।

सैलरी के फिक्स्ड कंपोनेंट्स

सिंगापुर में मंत्रियों को मिलने वाली सैलरी में कई फिक्स्ड कंपोनेंट्स शामिल होते हैं, जैसे:

सैलरी के वेरिएबल कंपोनेंट्स

वेरिएबल कंपोनेंट्स में परफॉर्मेंस बोनस और GDP बोनस शामिल हैं।

सिंगापुर के प्रधानमंत्री की सैलरी

सिंगापुर के प्रधानमंत्री, लॉरेंस बॉन्ग (Lawrence Wong), दुनिया के सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले नेताओं में शामिल हैं। उन्हें करीब 1.69 मिलियन सिंगापुर डॉलर (लगभग 10.84 करोड़ रुपये) की सैलरी मिलती है। सभी भत्तों के साथ उनकी सैलरी 14.11 करोड़ रुपये के आसपास हो जाती है।

सैलरी में घट-बढ़

सिंगापुर में मंत्रियों की सैलरी का आकलन हर पांच साल में एक समिति द्वारा किया जाता है। यदि देश की अर्थव्यवस्था सही दिशा में नहीं चलती या मंत्री का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं होता, तो उनकी सैलरी कम हो सकती है। 2011 में सैलरी की समीक्षा के बाद यह व्यवस्था लागू की गई थी, जिससे पीएम की सैलरी में भी बदलाव आया।

2011 में हुई सैलरी संरचना में बदलाव

2011 में सिंगापुर सरकार ने मंत्री की सैलरी की संरचना में बदलाव किया। इसके तहत प्रधानमंत्री को एमआर4 मंत्री के वेतन से दोगुना वेतन देने का निर्णय लिया गया था। यह प्रणाली आज भी लागू है, और अगर जीडीपी घटती है, तो सैलरी में भी उतना ही असर पड़ता है।

सिंगापुर में मंत्रियों की सैलरी देश की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है। जीडीपी घटने पर यह सैलरी कम हो जाती है, जिससे यह सिस्टम पारदर्शी और जिम्मेदार बनता है। इस सैलरी संरचना का उद्देश्य मंत्रियों को भ्रष्टाचार से बचाते हुए अधिक काम करने के लिए प्रेरित करना है।

 

जानें अगली खबर के लिए जुड़े रहें और हमारे Website Sampurn Hindustan को फॉलो करें।

 

Exit mobile version