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साउथ से क्यों पिछड़ रहा बॉलीवुड? जानें ‘वनवास’ एक्टर की राय

बॉलीवुड बनाम साउथ: उत्कर्ष शर्मा ने क्या कहा?

बॉलीवुड बनाम साउथ

बॉलीवुड और साउथ फिल्मों के बीच तुलना पिछले कुछ वर्षों से तेज हो गई है। साउथ की फिल्मों ने लगातार ‘पुष्पा’ और ‘आरआरआर’ जैसी ब्लॉकबस्टर दी हैं, जबकि बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष करती नजर आईं। ‘वनवास’ के अभिनेता उत्कर्ष शर्मा ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कई अहम बातें साझा कीं।

बॉलीवुड रीमेक—क्यों खत्म हो रही है एक्साइटमेंट?

उत्कर्ष शर्मा ने रीमेक के बढ़ते ट्रेंड को बॉलीवुड के संघर्ष का एक बड़ा कारण बताया। वह कहते हैं:

“2010 के बाद से बॉलीवुड ने कई साउथ फिल्मों के रीमेक बनाए। पहले रीमेक का कॉन्सेप्ट दर्शकों के लिए नया और रोमांचक होता था, क्योंकि भाषा की दीवार के कारण लोग साउथ की फिल्मों को सीधे नहीं देख पाते थे। लेकिन अब बार-बार रीमेक बनाने से यह आकर्षण खत्म हो गया है।”

उत्कर्ष ने जोर दिया कि बॉलीवुड को अब अपने लेखकों पर भरोसा करना होगा और ओरिजिनल कहानियों पर काम करना होगा।

“राइटर्स बन गए सिर्फ ट्रांसलेटर”: उत्कर्ष शर्मा

उत्कर्ष ने हिंदी सिनेमा के लेखकों की स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड के लेखकों को ट्रांसलेटर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। साउथ की स्क्रिप्ट्स का हिंदी अनुवाद कराना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी बन गई है।

“लेखकों को सिर्फ ट्रांसलेशन का काम सौंपा गया है। इससे उनकी क्रिएटिविटी खत्म हो गई है, और बॉलीवुड में ओरिजिनल कंटेंट की कमी हो गई है।”

बॉलीवुड में रिस्क लेने की कमी

उत्कर्ष का मानना है कि हिंदी सिनेमा ने जोखिम लेना लगभग छोड़ दिया है।

“अच्छी फिल्मों के रीमेक बनाने के बाद अब कुछ नया करने का साहस ही नहीं बचा। इस आदत ने क्रिएटिविटी को खत्म कर दिया है। दर्शक नई कहानियों की उम्मीद रखते हैं, लेकिन उन्हें वही पुराना कंटेंट परोसा जा रहा है।”

साउथ फिल्मों की सफलता का राज

साउथ फिल्मों की सफलता के पीछे उनकी कहानियों का जड़ों से जुड़ा होना है। उत्कर्ष ने बताया कि साउथ की कहानियां गांव और कस्बों तक आसानी से पहुंचती हैं।

“साउथ फिल्मों का कंटेंट जड़ों से जुड़ा है। टीवी चैनल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने इसे छोटे शहरों और गांवों तक पहुंचाया है। दर्शक उन स्टार्स और किरदारों से जुड़ते हैं जो उनकी जिंदगी से मेल खाते हैं।”

‘वनवास’ और यूनिवर्सल कनेक्शन

अपनी फिल्म ‘वनवास’ पर बात करते हुए उत्कर्ष ने कहा कि यह फिल्म भी दर्शकों के साथ गहराई से जुड़ सकती है।

“‘वनवास’ में पारिवारिक और भावनात्मक पहलुओं पर जोर दिया गया है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसे हर पीढ़ी के दर्शक देख सकते हैं। यही वजह है कि यह फिल्म इंटीरियर इलाकों के दर्शकों को भी आकर्षित करेगी।”

बॉलीवुड को क्या करना चाहिए?

उत्कर्ष ने कहा कि अगर बॉलीवुड को अपनी खोई पहचान वापस पानी है, तो उसे ओरिजिनल कहानियों पर ध्यान देना होगा।

“बॉलीवुड को उन कहानियों पर काम करना चाहिए जो दर्शकों की भावनाओं को छू सकें। जो कहानी दिल को छूती है, वही बॉक्स ऑफिस पर जादू करती है।”

‘वनवास’ को मिले शानदार रिव्यू

उत्कर्ष शर्मा की फिल्म ‘वनवास’ को क्रिटिक्स और दर्शकों से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। नाना पाटेकर के साथ उनकी यह फिल्म फैमिली ड्रामा और इमोशनल एंगल पर आधारित है। क्रिटिक्स ने इसे ‘बागबान’ जैसी फिल्मों की याद दिलाने वाला बताया है।

बॉलीवुड बनाम साउथ: बड़े अंतर

1. ओरिजिनल कंटेंट बनाम रीमेक

साउथ में ज्यादातर फिल्में ओरिजिनल होती हैं, जबकि बॉलीवुड रीमेक पर निर्भर करता है।

2. लेखकों की क्रिएटिविटी

साउथ में लेखकों को फ्रीडम दी जाती है, जबकि बॉलीवुड में उन्हें ट्रांसलेटर की तरह ट्रीट किया जाता है।

3. गांव-देहात से कनेक्शन

साउथ की फिल्में गांव-देहात की कहानियों को दर्शाती हैं, जबकि बॉलीवुड मेट्रो सिटीज तक सीमित रहता है।

साउथ की फिल्मों से क्या सीख सकता है बॉलीवुड?

1. जड़ों से जुड़ना

दर्शकों से गहराई से जुड़ने वाली कहानियां बनाना।

2. नए लेखकों को मौका देना

लेखकों की क्रिएटिविटी का सम्मान करना।

3. ओरिजिनल कंटेंट पर ध्यान देना

रीमेक पर निर्भरता खत्म कर नए विषयों पर फिल्में बनाना।

उत्कर्ष शर्मा ने अपने साक्षात्कार में हिंदी सिनेमा के सामने मौजूद चुनौतियों और संभावनाओं पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगर बॉलीवुड को दर्शकों का प्यार वापस चाहिए, तो उसे ओरिजिनल कहानियों पर जोर देना होगा। ‘वनवास’ जैसी फिल्में इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकती हैं। अब देखना यह है कि बॉलीवुड इस बदलाव को अपनाता है या नहीं।

 

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