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Saturday, April 26, 2025

Supreme Court on Bulldozer Action – अवैध बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त निर्देश, सरकारी शक्ति का दुरुपयोग न हो

Supreme Court on Bulldozer Action: अवैध बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त निर्देश, सरकारी शक्ति का दुरुपयोग न हो

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर जताई नाराजगी, कहा बिना मुकदमे घर तोड़ना गलत

Supreme Court on Bulldozer Action पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। अदालत ने बुधवार (13 नवंबर 2024) को सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी परिवार के घर को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के नहीं तोड़ा जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रशासन के पास कानून का पालन करवाने का अधिकार है, लेकिन illegal demolition को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है।

Supreme Court on Bulldozer Action

सरकारी शक्ति के दुरुपयोग पर Supreme Court का आदेश

इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना मुकदमे के अवैध ढंग से मकान गिराने की कार्रवाई न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों का भी हनन है। Supreme Court आदेश on Illegal Demolition को लेकर न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा, “घर किसी का सपना होता है। अपराध का आरोप केवल आरोपी पर है, न कि उसके परिवार पर।” अदालत ने यह भी कहा कि प्रशासन जज की भूमिका नहीं निभा सकता, यह काम अदालतों का है।

संविधान में सभी को न्याय का अधिकार – अपराधी को भी

सुनवाई के दौरान अदालत ने जोर दिया कि किसी को भी न्याय प्रणाली का लाभ उठाने का अधिकार है, चाहे वह आरोपी ही क्यों न हो। बिना किसी का पक्ष सुने, सीधे illegal demolition को वैध नहीं ठहराया जा सकता। न्यायमूर्ति ने कहा कि यदि सरकार मनमानी तरीके से घर तोड़ती है, तो ऐसे मामलों में अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।

मुआवजे और जवाबदेही की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर एक्शन के तहत जिन लोगों के घरों को तोड़ा गया, उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए। अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि इस प्रकार की कार्रवाई में शामिल अधिकारियों की पहचान की जाए और उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए।

“देश में might is right का सिद्धांत नहीं चल सकता,” अदालत ने कहा। अपराध के लिए सजा देना अदालतों का काम है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि बिना मुकदमे किसी को दोषी मानकर घर नहीं गिराया जा सकता।

हर जिले में नोडल अधिकारी की नियुक्ति

सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि हर जिले का डीएम एक नोडल अधिकारी नियुक्त करे, जो bulldozer action illegal demolition के सभी मामलों की निगरानी करेगा। इस अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि किसी भी प्रकार की गैरकानूनी कार्रवाई को रोका जाए और नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण हो।

अवैध निर्माण के मामलों में उचित प्रक्रिया का पालन करें: सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने कहा कि अवैध निर्माण के मामलों में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। मकान मालिक को notice देकर अवैध निर्माण हटाने का मौका दिया जाना चाहिए। साथ ही, illegal demolition से पहले पूरी जानकारी नोटिस में दी जानी चाहिए ताकि मकान मालिक को यह स्पष्ट हो कि उनके घर को अवैध क्यों माना गया है।

नागरिक अधिकारों की रक्षा की जरूरत

Supreme Court ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि प्रशासन को अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के घरों को गिराना न केवल संविधान के खिलाफ है, बल्कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन भी है। Supreme Court on Bulldozer Action पर दिए इस आदेश को देशभर में लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से सरकार और प्रशासन पर ज़िम्मेदारी और बढ़ गई है कि वे किसी भी कार्रवाई को न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप ही अंजाम दें। इस फैसले ने नागरिक अधिकारों और उनकी सुरक्षा के प्रति न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को एक बार फिर से दृढ़ किया है, जिससे अवैध ढंग से घरों को गिराने के मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा।

 

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