ट्रेकोमा: एक जानलेवा बीमारी और भारत की जीत।

भारत ने एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के खिलाफ महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पुष्टि की है कि भारत से ट्रेकोमा रोग का पूरी तरह से खात्मा हो गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि ट्रेकोमा विश्व स्तर पर अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक रहा है और लंबे समय से यह सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय रहा है।

इस सफलता के साथ, भारत नेपाल और म्यांमार के साथ डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के 19 अन्य देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने ट्रेकोमा से मुक्ति प्राप्त कर ली है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने इस अवसर पर कहा, “भारत ने इस गंभीर और वैश्विक स्वास्थ्य समस्या का सफलतापूर्वक उन्मूलन कर लिया है।

यह उन लाखों लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए देश की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है जो इस बीमारी से पीड़ित थे।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस उपलब्धि को हासिल करने में डब्ल्यूएचओ ने भारत के साथ मिलकर काम किया।

 ट्रेकोमा

 

ट्रेकोमा क्या है?
ट्रेकोमा एक संक्रामक आंखों की बीमारी है, जो कि चश्मे में होने वाले संक्रमण के कारण होती है। यह बीमारी मुख्य रूप से चश्मे में इन्फ्लूएंजा द्वारा फैलती है, जिसे Chlamydia trachomatis नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। ट्रेकोमा का मुख्य कारण उचित स्वच्छता और साफ पानी की कमी है। यह बीमारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में माना गया है, खासकर विकासशील देशों में।

ट्रेकोमा का इतिहास
भारत ने 2023 में ट्रेकोमा के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जब देश ने इस बीमारी को समाप्त करने के लिए कई उपाय किए। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि ट्रेकोमा ने भारत में लाखों लोगों को प्रभावित किया है, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में। भारत की सरकार ने WHO के “SAFE” दृष्टिकोण (सर्जरी, एंटीबायोटिक्स, सफाई, और पर्यवेक्षण) को अपनाते हुए इस बीमारी के खिलाफ जंग छेड़ी है।

ट्रेकोमा के लक्षण
ट्रेकोमा के लक्षण आमतौर पर निम्नलिखित होते हैं:

आंखों में जलन: शुरुआती लक्षणों में आंखों में खुजली और जलन महसूस होती है।
पलकों की अंदरूनी तरफ झुर्रियाँ: लगातार संक्रमण के कारण पलकों के अंदर झुर्रियाँ आ जाती हैं, जिससे आंखों पर दबाव पड़ता है।
पार्श्व दृष्टि की कमी: बीमारी के बढ़ने पर, दृष्टि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अंधापन: यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो ट्रेकोमा स्थायी अंधापन का कारण बन सकता है।

ट्रेकोमा का प्रसार
ट्रेकोमा मुख्य रूप से निम्नलिखित तरीकों से फैलता है:

सीधी संपर्क: संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से यह फैल सकता है।
गंदगी और अस्वच्छता: गंदे हाथों, तौलिये, या बेडशीट के माध्यम से भी संक्रमण फैल सकता है।
मच्छरों और कीड़ों के माध्यम से: कुछ मामलों में, यह कीड़ों के माध्यम से भी फैल सकता है।
ट्रेकोमा के कारण
स्वच्छता की कमी: गंदगी और स्वच्छता की कमी ट्रेकोमा के मुख्य कारणों में से एक है।
जल की कमी: साफ पानी की अनुपस्थिति भी इस बीमारी को बढ़ावा देती है।
अस्वच्छ वातावरण: अस्वस्थ वातावरण में रहने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

ट्रेकोमा का उपचार

ट्रेकोमा का उपचार समय पर किया जाना आवश्यक है। उपचार के मुख्य तरीके निम्नलिखित हैं:

एंटीबायोटिक्स: डोक्सीसाइक्लिन, एरिथ्रोमाइसिन और ऐज़िथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है।
सर्जरी: गंभीर मामलों में, सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है।
स्वच्छता शिक्षा: समुदायों में स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है।

भारत में ट्रेकोमा की स्थिति

भारत ने ट्रेकोमा के खिलाफ जंग में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:

जागरूकता अभियान: लोगों को ट्रेकोमा और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न अभियान चलाए गए हैं।
स्वास्थ्य कार्यक्रम: स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा नियमित जांच और उपचार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
स्वच्छता कार्यक्रम: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और साफ पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं।

ट्रेकोमा के दीर्घकालिक प्रभाव

यदि ट्रेकोमा का उपचार न किया जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है:

दृष्टि हानि: लगातार संक्रमण के कारण दृष्टि की हानि हो सकती है।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव: अंधापन और दृष्टि हानि व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
आर्थिक प्रभाव: दृष्टि हानि के कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है, जिससे आर्थिक नुकसान हो सकता है।

ट्रेकोमा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन भारत ने इस पर महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। उचित स्वच्छता, जल उपलब्धता, और जागरूकता के माध्यम से, भारत ने ट्रेकोमा को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह जरूरी है कि सभी समुदाय इस बीमारी के प्रति जागरूक रहें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने से हम न केवल ट्रेकोमा, बल्कि अन्य संक्रामक बीमारियों के खिलाफ भी अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। भारत का यह प्रयास न केवल देश के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है।