UP में पीपीपी मॉडल से आसान होगी वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी की राह।

प्रदेश में त्वरित और समावेशी विकास के लिए पीपीपी मॉडल को किया जा रहा प्रमोट।

पीपीपी मॉडल्स को अपनाने के लिए कोर सेक्टर्स के साथ सक्षम सेक्टर्स को किया गया चिह्नित।

2027-28 तक प्रदेश में पीपीपी मॉडल्स के जरिए 100 लाख करोड़ से ज्यादा निवेश का लक्ष्य।

प्रदेश को देश का ग्रोथ इंजन बनाने के लिए सीएम योगी ने लिया है वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का संकल्प

Lucknow देश की इकॉनमी का ग्रोथ इंजन बनने के लिए तत्पर उत्तर प्रदेश अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ रहा है। योगी सरकार ने 2027-28 तक प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी वाला राज्य बनाने का संकल्प लिया है और इस संकल्प को पूरा करने में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरिशप (पीपीपी) मॉडल सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने जा रहा है। इसके तहत प्रदेश की इकॉनमी को बूस्ट करने के लिए प्रदेश सरकार कई सेक्टर्स में पीपीपी मॉडल को प्रमोट कर रही है। इनमें 4 कोर सेक्टर्स के साथ-साथ वो सेक्टर्स भी शामिल हैं

जिनमें पीपीपी मॉडल को एक्सेप्ट करने और आगे बढ़ने की क्षमता है। इसके माध्यम से प्रदेश सरकार ने 2023-24 से 2027-28 तक 105 लाख करोड़ से 120 लाख करोड़ रुपए तक के निवेश का लक्ष्य निर्धारित किया है।

सक्षम सेक्टर्स में इनवेस्टमेंट पर फोकस

2022-23 में उत्तर प्रदेश की इकॉनमी 279 बिलियन डॉलर थी, जिसे सीएम योगी ने अगले 5 वर्ष में एक ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रदेश सरकार त्वरित और समावेशी विकास पर जोर दे रही है। इकॉनमी को रफ्तार देने के लिए सेक्टोरल इंटरवेंशंस के साथ-साथ ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए सक्षम सेक्टर्स को भी प्रमोट किया जा रहा है।

कोर सेक्टर्स में जहां एग्रीकल्चर, मैन्युफैक्चरिंग, टूरिज्म और आईटी एवं आईटीईएस शामिल हैं तो वहीं, सक्षम सेक्टर्स में एजुकेशन एंड स्किलिंग, एनर्जी, हेल्थ, इंफ्रास्ट्रक्चर और अर्बन डेवलपमेंट को रखा गया है। सरकार को उम्मीद है कि इस सेक्टर में निवेश के साथ ही ग्रोथ की भी काफी संभावनाएं हैं। इन सेक्टर्स में पीपीपी मॉडल प्राइवेट इनवेस्टमेंट को आकर्षित करने का महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है।

सरकार बना सकती है पीपीपी सेल।

2027-28 तक प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए ओवरआल 1.3-1.5 ट्रिलियन डॉलर यानी 105 से 120 लाख करोड़ रुपए के इनवेस्टमेंट की आवश्यकता है। इसमें पब्लिक इनवेस्टमेंट का शेयर 12 से 16 लाख करोड़ के बीच रह सकता है, जबकि प्राइवेट इनवेस्टमेंट 93 से 108 लाख करोड़ रुपए हो सकता है। यदि सेक्टरवाइज पीपीपी प्रोजेक्ट्स की बात करें तो विभिन्न सेक्टर्स में करीब 2 लाख करोड़ रुपए के पीपीपी प्रोजेक्ट्स कंप्लीट हो चुके हैं या चल रहे हैं, या फिर शुरू होने हैं।

इन कार्यों को और गति देने के लिए पीपीपी फ्रेमवर्क के तहत पीपीपी सेल की स्थापना करने पर सरकार ध्यान दे रही है। कई राज्यों ने अपने यहां पीपीपी सेल की स्थापना की है जिसमें पड़ोसी राज्य उत्तराखंड भी शामिल है। यह सेल इंस्टीट्यूशनल मैकेनिज्म की कमी को पूरा करने के साथ-साथ पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर्स को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स डेवलप करने को कोलाबरेशन के लिए प्रोत्साहित करती है। साथ ही ट्रांसपोर्ट, एनर्जी, हेल्थकेयर, एजुकेशन और टूरिज्म जैसे सेक्टर्स में प्राइवेट इनवेस्टमेंट को आकर्षित करने में योगदान देती है। यही नहीं इसके माध्यम से रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होते हैं, जबकि राज्य में सभी पीपीपी प्रोजेक्ट्स की जानकारी एक ही स्थान मिलती है।

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