मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में इंसानियत को मिली शर्मनाक हरकत
रविवार की देर शाम, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। झांसी-मिर्जापुर हाइवे पर हरपालपुर से गुज़रते समय एक युवक की कार के द्वारा कुचले जाने से मौत हो गई। लेकिन यह घटना और भी ज्यादा हैरान करने वाली बन गई, जब युवक का शव घंटों तक सड़क पर पड़ा रहा और दोनों राज्यों की पुलिस, UP और MP, सीमा विवाद में उलझी रही, जबकि परिजनों ने शव को लेकर उचित कार्रवाई की गुहार लगाई।
सड़क पार करते समय हादसा हुआ: युवक की जान चली गई
राहुल, जो उत्तर प्रदेश के महोबकंठ थाना क्षेत्र के ग्राम सौरा का निवासी था, दिल्ली जा रहा था। वह जैसे ही झांसी-मिर्जापुर हाइवे पर सड़क पार करने के लिए निकला, तभी एक तेज़ गति से आ रही कार ने उसे कुचल दिया। इस हादसे में राहुल की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद, शव को घंटों सड़क पर पड़ा रहने दिया गया, क्योंकि दोनों राज्यों की पुलिस के बीच सीमा विवाद चल रहा था।
सीमा विवाद के कारण शव को सड़क पर पड़ा रहने दिया गया
युवक के शव को लेकर एक गंभीर समस्या सामने आई। यूपी पुलिस जब मौके पर पहुंची, तो उन्हें बताया गया कि यह घटना हरपालपुर थाने के क्षेत्र में हुई है, जो मध्य प्रदेश की सीमा में आता है। इसके बाद यूपी पुलिस ने एमपी पुलिस को सूचित किया। हरपालपुर पुलिस टीम जब मौके पर पहुंची, तो उन्होंने शव को लेने से इनकार कर दिया, उनका कहना था कि यह यूपी क्षेत्र में नहीं, बल्कि एमपी क्षेत्र में हुआ है।
इस तरह, दोनों पुलिस बलों के बीच सीमा विवाद में उलझने के कारण युवक का शव ढाई घंटे तक सड़क पर पड़ा रहा। इस दौरान, राहुल के परिजनों ने कई बार पुलिस से कार्रवाई करने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की।
हाइवे पर शव रखकर परिजनों ने किया प्रदर्शन
जब परिजनों ने देखा कि पुलिस शव को हटाने को तैयार नहीं है, तो उन्होंने सड़क पर ही शव रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। ठंड में सड़क पर पड़ा शव और परिजनों का आक्रोश, यह सब देखकर आसपास के लोग भी हैरान रह गए। इस स्थिति में जब मामला बढ़ने लगा, तो हरपालपुर पुलिस फिर से मौके पर आई और शव को कब्जे में लेकर मर्ग कायम किया।
नकली सीमा विवाद से जुड़ी पुलिस की लापरवाही पर सवाल
यह पूरा घटना क्रम पुलिस की लापरवाही और सिस्टम की कमजोरी को उजागर करता है। जहां एक ओर युवक की मौत हुई, वहीं दूसरी ओर दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद के कारण किसी ने भी इस मामले में पहल नहीं की। पुलिस का यह लापरवाह व्यवहार समाज के लिए एक गंभीर प्रश्न छोड़ता है। क्या ऐसी स्थिति में इंसानियत और संवेदनशीलता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए?
यूपी-एमपी सीमा विवाद के बाद भी परिवार को मिली न्याय की उम्मीद
हालांकि, जब परिजनों ने शव को लेकर गंभीर प्रदर्शन किया, तब जाकर हरपालपुर पुलिस ने कार्रवाई की। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर पुष्पक शर्मा, हरपालपुर थाना प्रभारी ने मामले में मर्ग कायम किया और जांच शुरू की। इस कदम से परिजनों को थोड़ी राहत मिली, लेकिन यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और सीमा विवाद के बीच इंसानियत की हार का प्रतीक बन गई।
क्या दोनों राज्यों के पुलिस अधिकारियों के बीच समन्वय का अभाव था?
इस पूरी घटना में एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है, क्या सीमा विवाद के चलते दोनों राज्यों के पुलिस अधिकारियों के बीच समन्वय का अभाव था? यह सवाल पुलिस के कामकाजी रवैये और उनके कर्तव्यों पर सवाल खड़ा करता है। पुलिस को अपनी प्राथमिकता इंसानियत और पीड़ितों की मदद पर रखनी चाहिए, ना कि सीमा विवादों में उलझने पर।
सीमा विवाद की जटिलता और सुरक्षा मुद्दे

यह घटना केवल एक दुखद दुर्घटना नहीं थी, बल्कि यह यूपी और एमपी के बीच सीमा विवाद और पुलिस व्यवस्था की जटिलता को भी उजागर करती है। दोनों राज्य अपनी-अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे थे, जिसके कारण एक निर्दोष युवक की मौत के बाद भी कार्रवाई में देरी हुई।
समय पर कार्रवाई और समन्वय की आवश्यकता
यह घटना यह स्पष्ट करती है कि जब पुलिस और प्रशासन एक दूसरे के साथ समन्वय नहीं करते, तो न सिर्फ मृतक के परिवार को कष्ट होता है, बल्कि समाज की विश्वास प्रणाली भी कमजोर होती है। यूपी-एमपी सीमा विवाद को सुलझाने की बजाय, एक जिम्मेदार प्रशासन को तत्काल मामले की जांच करनी चाहिए थी और इंसानियत का कर्तव्य निभाना चाहिए था।
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