उत्तराखण्ड निवास का नई दिल्ली में लोकार्पण, सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखण्ड राज्य अतिथि गृह ‘उत्तराखण्ड निवास’ का नई दिल्ली में मुख्यमंत्री ने किया लोकार्पण।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में उत्तराखण्ड राज्य अतिथि गृह ‘उत्तराखण्ड निवास’ का लोकार्पण किया। इस भव्य और ऐतिहासिक उत्तराखण्ड निवास का निर्माण लगभग 120 करोड़ 52 लाख की लागत से किया गया है। इस भवन का उद्घाटन उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक शिल्प को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भवन न केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान को जीवंत करता है, बल्कि दिल्ली में उत्तराखण्ड की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाता है। इस अवसर पर सबसे पहले मुख्यमंत्री ने अल्मोड़ा जनपद के मार्चुला बस दुर्घटना में दिवंगत आत्माओं की शांति और उनके परिवारजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की।

उत्तराखण्ड निवास: राज्य की संस्कृति का अद्भुत उदाहरण

उत्तराखण्ड राज्य अतिथि गृह ‘उत्तराखण्ड निवास’ का निर्माण राज्य की समृद्ध संस्कृति, लोक कला और वास्तुकला के सामंजस्य से किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उत्तराखण्ड निवास को राज्य की संस्कृति का अद्वितीय उदाहरण बताया। भवन की दीवारों को पारंपरिक पहाड़ी शैली के सुंदर पत्थरों से सजाया गया है, जो उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस भवन का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में उत्तराखण्ड की प्रतिष्ठा और पहचान को मजबूत करना है। यह भवन न केवल राज्य के नागरिकों, बल्कि देश-विदेश से आने वाले अतिथियों को भी बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करेगा।

उत्तराखण्ड राज्य अतिथि गृह नई दिल्ली

 

उत्तराखण्ड राज्य अतिथि गृह: शाही वास्तुकला और संस्कृति का संगम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज हम सब उत्तराखण्ड निवास के लोकार्पण के ऐतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं। उत्तराखण्ड निवास में राज्य की संस्कृति, लोक कला और वास्तुकला का समावेश किया गया है। उत्तराखण्ड की अद्वितीय कला की छाप उत्तराखण्ड निवास संजोये हुए है। इसकी दीवार पारंपरिक रूप से पहाड़ी शैली के सुंदर पत्थरों से निर्मित है जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवंत करने का कार्य करती है। यह भवन हमारी समृद्ध सांस्कृतिक पंरपराओं को एक नई ऊंचाई प्रदान करने के साथ ही उत्तराखण्ड और देश-विदेश से आने वाले अतिथियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करेगा।

उत्तराखण्ड निवास का निर्माण केवल एक राज्य अतिथि गृह नहीं है, बल्कि यह राज्य की संस्कृति, परंपराओं और शिल्प कला का प्रतीक है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उद्घाटन के दौरान कहा कि इस भवन में उत्तराखण्ड की पारंपरिक व्यंजन, हस्तशिल्प और श्री अन्न उत्पादों की व्यवस्था की जाएगी। यहां पर राज्य के प्रसिद्ध उत्पादों जैसे टोपी, शॉल, जैकेट और पिछोड़ा बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे, जो राज्य की कला और संस्कृति को बढ़ावा देंगे।

इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित उच्च गुणवत्ता के उत्पादों को भी यहाँ प्रदर्शित करने की योजना का उल्लेख किया, जिससे स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन मिलेगा।

उत्तराखण्ड निवास में बेहतर सुविधाएं और राज्य की गर्वपूर्ण पहचान

उत्तराखण्ड निवास की स्थापना का मुख्य उद्देश्य राज्य के नागरिकों और अतिथियों के लिए उच्चतम स्तर की सुविधाएं प्रदान करना है। यह भवन एक अत्याधुनिक अतिथि गृह के रूप में कार्य करेगा, जहां उत्तराखण्ड के पारंपरिक उत्पादों, व्यंजनों और हस्तशिल्प के साथ-साथ राज्य की संस्कृति को भी प्रदर्शित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में उत्तराखण्ड निवास में स्थानीय जैविक उत्पादों और श्री अन्न की बिक्री के लिए विशेष काउंटर भी स्थापित किया जाएगा। इससे राज्य के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलने की संभावना है।

मुख्यमंत्री का योगदान और उत्तराखण्ड निवास का महत्व

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर उत्तराखण्ड निवास के निर्माण में सहयोग देने वाले सभी अधिकारियों और श्रमिकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस भवन का लोकार्पण उत्तराखण्ड राज्य के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उत्तराखण्ड निवास के लोकार्पण के बाद मुख्यमंत्री ने राज्य की प्रमुख योजनाओं और नीतियों की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि राज्य में पिछले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण योजनाएं और नीतियां लागू की गई हैं, जिनके परिणामस्वरूप राज्य को कई क्षेत्रों में सफलता मिली है।

उत्तराखंड संस्कृति और परंपरा

 

उत्तराखण्ड राज्य की सफलता की दिशा में योगदान

मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 09 नवम्बर को हम उत्तराखण्ड राज्य की रजत जयंती वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं। ऐसे में उत्तराखण्ड भवन का लोकार्पण श्रेष्ठ उत्तराखण्ड बनाने का हमारे संकल्प को मजबूती प्रदान करेगा और राज्य को आगे बढ़ाने में हम सबको प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के समग्र विकास के लिए पिछले सालों में कई महत्वपूर्ण योजनाएं और नीतियां लागू की गई हैं। यही कारण है कि नीति आयोग द्वारा इस वर्ष जारी सतत विकास के लक्ष्यों की रैंकिंग में उत्तराखण्ड को देश प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में राज्य को एचीवर्स और स्टार्टप में लीडर्स की श्रेणी प्राप्त हुई है। जीएसडीपी में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उत्तराखण्ड युवाओं को रोजगार देने में भी अग्रणी राज्य बना है। एक वर्ष में बेरोजगारी दर में 4.4 प्रतिशत कमी लाई गई है। फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी सबसे अनुकूल राज्य होने के लिए भी उत्तराखण्ड को देश में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

उत्तराखण्ड राज्य की नीतियां और भविष्य की दिशा

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने राज्यहित में अनेक निर्णय लिये हैं। समान नागरिक संहिता की दिशा में कदम उठाने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। जल्द ही यूसीसी राज्य में लागू करने की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में देश का सबसे प्रभावी नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। जिससे प्रदेश के युवाओं में नया आत्मविश्वास जगा है। हर जनपद से युवाओं का चयन हो रहा है। विगत तीन वर्षों में राज्य में 18500 सरकारी पदों पर नियुक्तियां दी गई हैं। राज्य में धर्मान्तरण को रोकने के लिए सख्त कानून लागू किया गया है। जो देवभूमि की पवित्रता और संस्कृति की रक्षा करेगा। 05 हजार से भी अधिक सरकारी जमीन जो गैरकानूनी रूप से कब्जे में थी। उसको अतिक्रमण से मुक्त कराया है। प्रदेश में लव जिहाद और थूक जिहाद जैसी घटिया मानसिकता के खिलाफ भी कड़ा रूख अपनाते हुए सख्त कार्रवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले बजट सत्र में एक सख्त भू-कानून भी लाया जायेगा। जिसकी काफी लंबे समय से प्रतिक्षा है। राज्य सरकार उत्तराखण्ड के अंतिम छोर के व्यक्ति तक विकास की धारा से जोड़ने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कई अहम कदमों की चर्चा की, जिनमें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करना, नकल विरोधी कानून लागू करना और धर्मांतरण को रोकने के लिए सख्त कानून लाना शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने भूमि अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई की है और सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आने वाले समय में एक सख्त भू-कानून लागू करेगी, जो राज्य की पवित्रता और संस्कृति की रक्षा करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आरामदायी आवास व्यवस्था तथा उत्तराखण्ड की संस्कृति की झलक को समेटे यह भवन राष्ट्रीय राजधानी में हमारे प्रदेश की गरिमा का प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड निवास में हमारे पारंपरिक व्यंजनों की व्यवस्था की जाए। श्री अन्न उत्पादों और जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए भी यहां पर एक विशेष काउंटर की व्यवस्था की जाए। उत्तराखण्ड की पहचान टोपी, पिछोड़ा, शॉल, जैकेट एवं राज्य के प्रसिद्ध उत्पादों की बिक्री की भी व्यवस्था हो। राज्य की महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उच्च गुणवत्ता के उत्पाद बनाये जा रहे हैं। यह हमारे आने वाले अतिथियों के लिए एक विशेष प्रकार का अनुभव होगा। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड भवन के निर्माण में योगदान देने वाले सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। सभी श्रमिकों के समर्पण भाव की भी उन्होंने सराहना की।

उत्तराखण्ड निवास: एक ऐतिहासिक पहल

उत्तराखण्ड निवास का लोकार्पण राज्य की सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर को प्रदर्शित करने का एक ऐतिहासिक पहल है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे उत्तराखण्ड राज्य की समृद्धि और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

उत्तराखण्ड निवास का निर्माण न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए किया गया है, बल्कि यह राज्य के लिए एक नई पहचान और प्रतिष्ठा का प्रतीक बनेगा।

उत्तराखण्ड निवास का लोकार्पण उत्तराखण्ड राज्य की पहचान और संस्कृति को नई ऊंचाई प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भवन राज्य के लिए एक ऐतिहासिक प्रतीक बनेगा और राज्य के नागरिकों और अतिथियों को उच्चतम स्तर की सुविधाएं प्रदान करेगा।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल, गणेश जोशी, डॉ. धन सिंह रावत, सासंद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, सांसद अजय भट्ट, राज्यसभा सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, राज्यसभा सासद डॉ. कल्पना सैनी, विधायकगण, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु एवं सचिवगण उपस्थित थे।

उत्तराखण्ड निवास का उद्घाटन न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए किया गया है, बल्कि यह राज्य के विकास और समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

 

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