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Sunday, October 5, 2025

क्या है गोल्डन डोम? चीन और रूस के डर से अमेरिका ने शुरु किया नया प्रोजेक्ट, जानिए कितना होगा खर्च?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार 20 मई को एक नए और महत्वाकांक्षी मिसाइल सिक्योरिटी सिस्टम ‘गोल्डन डोम’ की घोषणा की। कहा जा रहा है कि यह सिस्टम कुछ ऐसा होगा जिसके माध्यम से दुश्मन की मिसाइल का तुरंत पता लगाया जा सकेगा। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें बीच में ही ट्रैक कर लेना और उन्हें चंद सेकण्ड में तहस नहस करने का काम भी यह गोल्डन डोम करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने गोल्डन डोम प्लान के लिए खर्च के बारे में भी पूरी जानकारी दी। तो चलिए जानते हैं कि आखिर गोल्डन डोम प्रोजेक्ट है क्या और इससे अमेरिका को क्या-क्या फायदे होने वाले हैं?

क्या है गोल्डन डोम?
दरअसल, गोल्डन डोम एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो विदेशी खतरों से अमेरिका की रक्षा करेगा। खासकर रूस और चीन से बचने में गोल्डन डोम के माध्यम से मदद मिलेगी। वैसे इजरायल के आयरन डोम की तुलना में अमेरिका का यह प्रोजेक्ट काफी महंगा साबित हो सकता है। दरअसल, इजराइल ने भी कुछ ऐसा ही प्रोजेक्ट पहले से ही शुरू कर दिया है। अब इसमें अमेरिका का नाम भी शामिल हो गया है। हालांकि अमेरिका का यह प्रोजेक्ट आयरन डोम की तुलना में काफी महंगा होगा। खास बात यह है कि जैसे ही अमेरिका ने यह घोषणा की उसके बाद से ही कनाडा ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई।

golden dome trump

क्या बोले ट्रंप?
ट्रंप ने कहा कि, “मैंने अपने चुनाव अभियान में अमेरिका की जनता से वादा किया था कि मैं मिसाइल डिफेंस शील्ड बनाऊंगा। आज मुझे यह ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि हमने आधाकारिक तौर पर इस स्टेट ऑफ आर्ट सिस्टम के लिए आर्किटेक्चर का चयन कर लिया है। इस प्रोजेक्ट का काम स्पेस ऑपरेशन के मौजूदा उप प्रमुख माइकल गीतलीन देखेंगे। वहीं सैन्य अधिकारियों को गोल्डन डोम का विचार काफी पसंद आया है।” ट्रंप ने बताया कि यह बिल कांग्रेस में है जिसके जरिए 25 बिलियन डॉलर के आवंटन का प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि, पूरे सिस्टम को बनाने में लगभग 175 बिलियन डॉलर की लागत आने वाली है। इसका पूरा निर्माण अमेरिका में किया जाएगा।

golden dome trump

क्या है इसकी खासियत?
ट्रंप के मुताबिक गोल्डन डोम का मकसद एक सैटेलाइट आधारित नेटवर्क तैयार करना है जो दुश्मनी मिसाइल की पहचान कर सकेगा और उन्हें बीच में ही रोक सकेगा। इतना ही नहीं बल्कि सिस्टम में सैकड़ो सेटेलाइट भी शामिल होंगी। इसके अलावा यह रियल टाइम डाटा शेयरिंग और रडार इंटेलिजेंट से लैस होंगे। इसमें AI आधारित ट्रैकिंग और फायर कमान भी शामिल होगी।

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