बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का निधन पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। 72 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका निधन हो गया, जिसके बाद उनका पार्थिव शरीर पटना पहुंच चुका है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि दी। शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार कल 7 नवंबर को किया जाएगा। इस लेख में हम उनके जीवन और उनके योगदान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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Toggleशारदा सिन्हा का निधन: एक संगीत की महान हस्ती का अलविदा
शारदा सिन्हा, जिन्हें “बिहार की स्वर कोकिला” कहा जाता है, ने अपने जीवन में भारतीय लोक संगीत को एक नई पहचान दी। उनका निधन 5 नवंबर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ, जब उन्होंने रात 9 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली। शारदा सिन्हा पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही थीं और उनका इलाज दिल्ली के एम्स अस्पताल में चल रहा था।
शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना पहुंचा
शारदा सिन्हा के निधन के बाद उनके परिवार ने उनके पार्थिव शरीर को पटना एयरपोर्ट पर पहुंचाया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिंगर को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर राजेंद्र नगर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। बिहार की जनता और उनके प्रशंसक शारदा सिन्हा के निधन पर शोक में डूबे हुए हैं।
शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार 7 नवंबर को
शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार कल यानी 7 नवंबर को पटना में किया जाएगा। उनके निधन की खबर सुनकर फैंस और सेलेब्स गमगीन हैं। पूरे राज्य में शोक की लहर है, और हर कोई शारदा सिन्हा की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहा है।
शारदा सिन्हा की बीमारी और इलाज
शारदा सिन्हा लंबे समय से बीमार थीं। उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने बताया था कि उनकी मां ठीक से बोल नहीं पा रही थीं और उन्हें पहचानने में परेशानी हो रही थी। हाल ही में उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत कुछ बेहतर हुई थी और उन्हें प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया था। लेकिन अचानक उनकी तबियत और भी बिगड़ गई, और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया।
शारदा सिन्हा की वेंटिलेटर सपोर्ट पर स्थिति
सोमवार रात को शारदा सिन्हा की तबियत एक बार फिर बिगड़ी और उनका ऑक्सीजन लेवल काफी गिर गया। एम्स के चिकित्सक लगातार उनकी स्थिति को सुधारने की कोशिश करते रहे, लेकिन अंततः वे जीवन की जंग हार गईं।
शारदा सिन्हा की छठ और लोक गीतों में योगदान
शारदा सिन्हा को छठ पूजा और बिहार की लोक धारा में विशेष पहचान मिली थी। उनका गाया हुआ लोक गीत, खासकर छठ के समय गाए जाने वाले गीत, अब भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं। उन्होंने मैथिली और भोजपुरी के लोकगीतों को एक नई दिशा दी, और उनके गीतों की ध्वनि अब भी बिहार में खासकर छठ पर्व के समय सुनाई देती है।
पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानितशारदा सिन्हा को उनके जीवन भर के योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मानित पुरस्कार से नवाजा गया था। इन पुरस्कारों से उनकी कला और संगीत के प्रति समर्पण को उच्च सम्मान मिला था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने जताया शोक
शारदा सिन्हा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!”
नीतीश कुमार ने भी शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि शारदा सिन्हा का निधन संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उनकी आवाज़ बिहार की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुकी थी।
शारदा सिन्हा की यादें और प्रभाव
शारदा सिन्हा की आवाज़ ने बिहार के लोक संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी संगीत यात्रा ने न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत में लोक संगीत की समृद्ध परंपराओं को जीवित रखा। उनका योगदान लोक गीतों और छठ पूजा के गीतों में अनमोल रहेगा।
शारदा सिन्हा का योगदान छठ पूजा के गीतों में
छठ पूजा में शारदा सिन्हा का योगदान विशेष रूप से अहम था। उनके द्वारा गाए गए गीतों में आस्था, समर्पण और भक्तिभाव की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। उनके गीतों ने छठ पूजा के दौरान बिहारवासियों को एकजुट किया और उनका संगीत कई पीढ़ियों तक प्रचलित रहेगा।
शारदा सिन्हा के प्रशंसक और उनका संगीत
शारदा सिन्हा के निधन से उनके फैंस का दिल टूट गया है। उनका संगीत लाखों दिलों में बसा हुआ है, और उनके द्वारा गाए गए गीत आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं। चाहे वो छठ पूजा के गीत हों या फिर अन्य लोक गीत, शारदा सिन्हा ने हर गाने में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा था।
शारदा सिन्हा का निधन एक अविस्मरणीय क्षति है। उन्होंने अपने जीवन में बिहार की संस्कृति और लोक संगीत को एक नई दिशा दी। उनके द्वारा गाए गए गीत सदियों तक गूंजते रहेंगे, और उनका योगदान कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनका संगीत और उनकी आवाज़ हमेशा हमारे साथ रहेगी, और उनका नाम लोक संगीत की महान हस्तियों में हमेशा याद किया जाएगा।
7 नवंबर को उनके अंतिम संस्कार के बाद उनकी यादें और उनके गीत हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
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