रिपोर्ट: साइबर अटैक का शिकार हो रहे भारतीय शिक्षण संस्थान


नई दिल्ली: देश में साइबर हमलों में वृद्धि हो रही है। एक अध्ययन के अनुसार, पिछले छह महीनों में भारतीय शिक्षा क्षेत्र में साइबर हमलों की संख्या वैश्विक औसत को पार कर गई है। Check Point Software Technologies Ltd. द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय शिक्षा क्षेत्र में साइबर हमले में चौंकाने वाली वृद्धि हुई है, जिसमें प्रति सप्ताह 8,195 हमले हुए हैं, जो वैश्विक औसत 3,355 से दोगुने से अधिक है।

साइबर

शिक्षा क्षेत्र के बाद, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को 7,982 साप्ताहिक हमलों का सामना करना पड़ा, इसके बाद सरकारी/सैन्य क्षेत्र में 4,590 हमले और परामर्श क्षेत्र में 4,177 साप्ताहिक हमले हुए।

हमलों में वृद्धि का मुख्य कारण COVID-19 के दौरान दूरस्थ शिक्षा में तेज़ी से बदलाव और शिक्षा का निरंतर डिजिटलीकरण है। भारत में शैक्षणिक संस्थान व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी सहित संवेदनशील डेटा को छात्र भारी मात्रा में संग्रहित कर रहे हैं, जिससे वे साइबर अपराधियों के लिए प्रमुख लक्ष्य बन गए हैं।


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साइबर हमलों की बढ़ती आवृत्ति और उनकी जटिलता, साथ ही ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफार्मों की व्यापक स्वीकृति ने इन संस्थानों के डिजिटल फुटप्रिंट को बढ़ा दिया है, जिससे वे डेटा से समझौता के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं। साइबर अपराधी स्कूलों और विश्वविद्यालयों की कमजोर साइबर सुरक्षा को भुनाकर व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी (PII) चुराने का प्रयास कर रहे हैं, जो अक्सर डार्क वेब पर बेची जाती है।

पिछले छह महीनों में भारत में संस्थाओं ने प्रति सप्ताह औसतन 3,244 साइबर हमलों का सामना किया है, जो वैश्विक औसत 1,657 हमलों से लगभग दोगुना है। यह अंतर स्पष्ट रूप से भारतीय संगठनों में बढ़ते साइबर खतरों के प्रति असंवेदनशीलता को उजागर करता है।

रिपोर्ट में फर्जी अपडेट, क्यूबॉट और फॉर्मबुक को भारत में सबसे प्रचलित मालवेयर के रूप में बताया गया है, जिसमें 54% हमले ईमेल के माध्यम से और 58% ईमेल द्वारा भेजे गए हमलों में .exe फ़ाइलों का उपयोग किया गया है। जानकारी का खुलासा करने वाली कमजोरियों ने भी 70% भारतीय संगठनों को प्रभावित किया है, जिससे महत्वपूर्ण डेटा खतरों के प्रति संवेदनशील हो गया है।

भारत में सबसे सामान्य मालवेयर में चार बॉटनेट्स, एक सूचना चुराने वाला (फॉर्मबुक) और एक डाउनलोडर (फर्जी अपडेट) शामिल हैं।

Check Point Software Technologies में भारत और SAARC के प्रबंध निदेशक सुंदर बालासुब्रमण्यम ने कहा- जीएम एआई के आगमन के साथ ये खतरे और भी गंभीर होने की संभावना है, खासकर सोशल इंजीनियरिंग और फ़िशिंग हमलों में वृद्धि के साथ। हमलों में वृद्धि कंपनियों के लिए अपने साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है। संवेदनशील डेटा की सुरक्षा और परिचालन अखंडता बनाए रखने के लिए मजबूत सुरक्षा और निरंतर निगरानी सहित निवारक उपाय आवश्यक हैं। ”